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Questions and Answers
शिवाजी महाराज के देहांत के बाद छत्रपति कौन बना, जबकि स्वराबाई और कुछ अष्ट प्रधान सदस्य उन्हें गद्दी से हटाना चाहते थे?
शिवाजी महाराज के देहांत के बाद छत्रपति कौन बना, जबकि स्वराबाई और कुछ अष्ट प्रधान सदस्य उन्हें गद्दी से हटाना चाहते थे?
- संभाजी महाराज (correct)
- शाहूजी महाराज
- शिवाजी द्वितीय
- राजाराम महाराज
इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब का मूल्यांकन करते समय किन दो पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए?
इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब का मूल्यांकन करते समय किन दो पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए?
- औरंगजेब एक धार्मिक नेता के रूप में और औरंगजेब एक राजनीतिक नेता के रूप में
- औरंगजेब एक कवि के रूप में और औरंगजेब एक कलाकार के रूप में
- औरंगजेब एक व्यक्ति के रूप में और औरंगजेब एक शासक के रूप में (correct)
- औरंगजेब एक सैनिक और औरंगजेब एक रणनीतिकार के रूप में
किस इतिहासकार के अनुसार, औरंगजेब का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाना चाहिए कि क्या उसे हिंदुस्तान जैसे बहुसंख्यक हिंदू प्रजा वाले देश पर शासन करने का अधिकार था?
किस इतिहासकार के अनुसार, औरंगजेब का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाना चाहिए कि क्या उसे हिंदुस्तान जैसे बहुसंख्यक हिंदू प्रजा वाले देश पर शासन करने का अधिकार था?
- जदुनाथ सरकार (correct)
- सतीश चंद्र
- वासुदेव सीताराम बेंद्रे
- शिवाजी सावंत
शिवाजी महाराज को किस संधि के बाद आगरा दरबार में बंदी बना लिया गया था?
शिवाजी महाराज को किस संधि के बाद आगरा दरबार में बंदी बना लिया गया था?
औरंगजेब ने किस वर्ष बीजापुर और गोलकुंडा पर विजय प्राप्त की, जिससे मराठों के साथ उसका सीधा संघर्ष शुरू हुआ?
औरंगजेब ने किस वर्ष बीजापुर और गोलकुंडा पर विजय प्राप्त की, जिससे मराठों के साथ उसका सीधा संघर्ष शुरू हुआ?
इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब की सबसे बड़ी कूटनीतिक भूल क्या थी, जिसने मराठों के खिलाफ उसके संघर्ष को और भी कठिन बना दिया?
इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब की सबसे बड़ी कूटनीतिक भूल क्या थी, जिसने मराठों के खिलाफ उसके संघर्ष को और भी कठिन बना दिया?
वासुदेव सीताराम बेंद्रे ने किस मराठा शासक पर शोध किया और उन्हें एक कवि, लेखक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति के रूप में उभारा?
वासुदेव सीताराम बेंद्रे ने किस मराठा शासक पर शोध किया और उन्हें एक कवि, लेखक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति के रूप में उभारा?
छावा उपन्यास, जो संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, किस लेखक द्वारा लिखा गया है?
छावा उपन्यास, जो संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित है, किस लेखक द्वारा लिखा गया है?
शिवाजी महाराज ने किस राज्य से शक्ति अर्जित की और मुगलों के खिलाफ गोलकुंडा के सहयोग से विजापुरी कर्नाटक क्षेत्र को जीता?
शिवाजी महाराज ने किस राज्य से शक्ति अर्जित की और मुगलों के खिलाफ गोलकुंडा के सहयोग से विजापुरी कर्नाटक क्षेत्र को जीता?
औरंगजेब का कौन सा पुत्र विद्रोह करके दक्षिण की ओर भाग गया और संभाजी महाराज ने उसे शरण दी?
औरंगजेब का कौन सा पुत्र विद्रोह करके दक्षिण की ओर भाग गया और संभाजी महाराज ने उसे शरण दी?
Flashcards
मराठा शक्ति का उदय
मराठा शक्ति का उदय
मराठा शक्ति का उदय एक साधारण जमींदार से छत्रपति बनने की घटना है, जो 1674 में शिवाजी महाराज के राज्यारोहण के साथ शुरू हुई।
संभाजी का छत्रपति बनना
संभाजी का छत्रपति बनना
शिवाजी महाराज के देहांत के बाद, संभाजी छत्रपति बने, लेकिन स्वराबाई और कुछ अष्ट प्रधान सदस्यों ने उनका विरोध किया।
औरंगजेब का मूल्यांकन
औरंगजेब का मूल्यांकन
इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब का मूल्यांकन व्यक्तिगत रूप से और शासक के रूप में किया जाना चाहिए।
औरंगजेब का नारा
औरंगजेब का नारा
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औरंगजेब की विजय
औरंगजेब की विजय
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औरंगजेब की कूटनीतिक भूल
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संभाजी का मूल्यांकन: दो दृष्टिकोण
संभाजी का मूल्यांकन: दो दृष्टिकोण
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शिवाजी की शक्ति का उदय
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औरंगजेब: अदूरदर्शी शासक
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मराठों की शक्ति का स्रोत
मराठों की शक्ति का स्रोत
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Study Notes
छावा मूवी और मुगल-मराठा संघर्ष का सच
- "छावा" का अर्थ है सिंह सावक, और फिल्म में संभाजी महाराज को इसी रूप में दर्शाया गया है।
- फिल्म छत्रपति संभाजी के पराक्रम और बलिदान को दर्शाती है, जिससे दर्शक औरंगजेब द्वारा दी गई यातनाओं को देखकर भावुक हो जाते हैं।
- चिंता का विषय है कि कुछ दर्शक फिल्म देखने के बाद संभाजी और औरंगजेब के संघर्ष को हिंदू-मुस्लिम संघर्ष के रूप में देखते हैं।
मराठा शक्ति का उदय
- मराठा शक्ति का उदय एक सामान्य जमींदार (देशमुख) से छत्रपति बनने तक की एक महत्वपूर्ण और नाटकीय घटना थी।
- 1674 में शिवाजी महाराज का रायगढ़ में राज्याभिषेक हुआ और वे छत्रपति बने।
- 1680 में शिवाजी महाराज की मृत्यु हो गई, जिसके बाद संभाजी छत्रपति बने।
- संभाजी के लिए सिंहासन पर बैठना आसान नहीं था क्योंकि स्वराबाई और अष्ट प्रधान के कुछ सदस्य उन्हें पद से हटाना चाहते थे।
- संभाजी ने अपने विरोधियों को दंडित किया, जिसमें ब्राह्मण मंत्री अन्नाजी दत्तो भी शामिल थे।
औरंगजेब का मूल्यांकन
- इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब का मूल्यांकन दो पहलुओं के आधार पर किया जाना चाहिए: एक व्यक्ति के रूप में औरंगजेब और एक शासक के रूप में औरंगजेब।
- मार्क्सवादी इतिहासकारों का मत है कि औरंगजेब की नीतियां केवल धार्मिक कट्टरता का परिणाम नहीं थीं, बल्कि राजनीतिक बाध्यताओं का भी परिणाम थीं।
- उत्तराधिकार के युद्ध में, औरंगजेब ने दारा शिकोह के खिलाफ "इस्लाम बनाम विधर्मी" का नारा दिया और अपने पिता को कैद करके बादशाह बन गया।
- सर जदुनाथ सरकार ने औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता और राजपूत नीति का उल्लेख किया है।
- सतीश चंद्र के अनुसार, केवल सिसोदिया और राठौर राजपूत परिवारों ने औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह किया था।
- सर जदुनाथ सरकार का मानना है कि औरंगजेब का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाना चाहिए कि क्या उसे हिंदुस्तान जैसे बहुसंख्यक हिंदू आबादी वाले देश पर शासन करने का अधिकार था, न कि केवल जन और धन की हानि के आधार पर।
- छत्रपति शिवाजी ने औरंगजेब को पत्र लिखकर अकबर की नीतियों का पालन करने की सलाह दी थी।
- औरंगजेब का मूल्यांकन मध्ययुगीन मानदंडों, मध्य एशियाई क्रूरता और राजतंत्र के आधार पर किया जाना चाहिए।
- औरंगजेब ने अपने पिता और भाइयों के साथ जो किया, वह मध्य एशियाई क्रूरता का हिस्सा था।
- राजशाही में न्याय आज के लोकतंत्र से अलग था।
- औरंगजेब अपने पूर्वजों की तुलना में कम उदार था।
- औरंगजेब ने जजिया कर और तीर्थ यात्रा कर को फिर से लागू किया।
- औरंगजेब के नाम पर सड़कों का नामकरण सही नहीं है, क्योंकि उसने हिंदुस्तान जैसे देश पर शासन करने का अधिकार खो दिया था।
मराठों का उदय और संघर्ष
- मराठे हिंदू स्वाभिमान का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और देशमुख से छत्रपति बने।
- मराठों ने बहमनी साम्राज्य के अंतर्गत अपनी शक्ति प्राप्त की और अहमदनगर की सेवा में शक्ति अर्जित की।
- शिवाजी ने बीजापुर से शक्ति प्राप्त की और गोलकुंडा के सहयोग से मुगलों के खिलाफ विजापुरी कर्नाटक क्षेत्र को जीता।
- शिवाजी की सेना में मुसलमानों की एक बड़ी संख्या थी।
- मराठों ने दक्षिण के मुस्लिम राज्यों के साथ मिलकर अपनी शक्ति अर्जित की।
- औरंगजेब ने दक्षिण के मुस्लिम राज्यों को रास्ते से हटाया, इसलिए इसे हिंदू-मुस्लिम संघर्ष के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
- मिर्जा राजा जय सिंह ने शिवाजी को रायगढ़ के किले पर घेर लिया, जिसके बाद पुरंदर की संधि हुई।
- शिवाजी को आगरा दरबार में बंदी बना लिया गया, लेकिन वे भागने में सफल रहे।
- औरंगजेब ने 1681 में अपने विद्रोही पुत्र अकबर का पीछा करते हुए दक्षिण की ओर रुख किया।
- औरंगजेब की पहली टक्कर बीजापुर और गोलकुंडा के मुस्लिम राज्यों से हुई।
- 1686 में बीजापुर और 1687 में गोलकुंडा को जीतने के बाद, 1689 में औरंगजेब ने संगमेश्वर पर छापा मारकर संभाजी और कवि कलश को गिरफ्तार कर लिया।
- इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब की सबसे बड़ी कूटनीतिक भूल यह थी कि उसने संभाजी को यातना देकर मार डाला।
संभाजी का मूल्यांकन
- संभाजी के मूल्यांकन में इतिहासकारों के दो मत हैं: ब्राह्मणवादी और गैर-ब्राह्मणवादी।
- ब्राह्मण लेखकों ने संभाजी को एक अयोग्य शासक के रूप में चित्रित किया।
- वासुदेव सीताराम बेंद्रे ने संभाजी पर शोध किया और उन्हें एक कवि, लेखक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया।
- शिवाजी सावंत ने बेंद्रे के शोध के आधार पर "छावा" नामक उपन्यास लिखा।
निष्कर्ष
- "छावा" फिल्म को हिंदू-मुस्लिम संघर्ष के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि एक मनोरंजक फिल्म के रूप में देखा जाना चाहिए।
- औरंगजेब एक अदूरदर्शी और अयोग्य शासक था, जिसे हिंदुस्तान जैसे देश पर शासन करने का अधिकार नहीं था।
- औरंगजेब की गलतियों के लिए अकबर को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
- फिल्म में राजपूत योद्धाओं को नहीं दिखाया गया है, जबकि वे औरंगजेब की सेना का हिस्सा थे।
- संभाजी ने कभी भी औरंगजेब के पुत्र अकबर पर मुस्लिम होने के बारे में संदेह नहीं किया, बल्कि उसे आश्रय दिया।
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