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Questions and Answers
सभी भारतीयों को समान रूप से उपलब्ध मौलिक अधिकारों का क्या महत्व है?
संविधान के किस अनुच्छेद में अछूत प्रथा के उन्मूलन की बात की गई है?
कौन सा कथन दलितों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सही है?
मदरसों में कितने प्रतिशत मुस्लिम बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं?
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किस अनुच्छेद में नागरिकों के बीच भेदभाव न करने की बात की गई है?
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कौन सा कथन सरकारी उपायों से अनुसूचित जातियों और जनजातियों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए गलत है?
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किस कारण से मुस्लिम समुदाय को अलग ढंग से पहचाना जाता है?
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अछूत प्रथा के खिलाफ कौन सा तत्व एक लोकतांत्रिक सरकार में महत्वपूर्ण है?
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भारत में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कौन सा कानून लागू होता है?
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कौन सा कारण समाज में हाशिये पर रहने की स्थिति को बढ़ावा देता है?
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अनुसूचित जनजातियों में से कौन सा समुदाय 'अदिवासी' कहलाता है?
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कौन सा बिंदु अनुसूचित जातियों और जनजातियों के खिलाफ हिंसा को सही ठहराता है?
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किस कारक का हाशिये पर रहने वाले समुदायों को राजनीतिक चेतना के अभाव से जोड़ना गलत नहीं होगा?
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कौन सा कानून अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों को आरक्षित करता है?
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दलितों और आदिवासियों के लिए शिक्षा में सुधार के लिए कौन से कदम उठाए गए हैं?
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संविधान का किस भाग का उपयोग अल्पसंख्यक समूह करते हैं?
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संविधान में सांस्कृतिक अधिकारों की व्याख्या का उद्देश्य क्या है?
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दलित और आदिवासी समुदायों को किन अवसरों से वंचित किया गया है?
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समाज में जातिगत तनाव और हिंसा को कम करने के लिए कौन सा कदम लिया गया है?
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मूल प्रमाण पत्र के द्वारा कौन से समुदायों को आरक्षण का लाभ मिल सकता है?
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किस समूह को तात्कालिक न्याय की आवश्यकता है?
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दलित और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कौन सी नीति महत्वपूर्ण है?
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सरकारी कॉलेजों में प्रवेश के लिए कट-ऑफ अंक क्या होता है?
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1950 में दलितों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कौन सा कानून बनता है?
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संविधान में किसे सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार मिलते हैं?
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कौन सा समूह भारतीय संविधान के अंतर्गत अधिकारियों से न्याय की मांग कर सकता है?
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1980 के दशक में दलितों और जनजातियों के खिलाफ हिंसा का प्रमुख कारण क्या था?
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दलितों को मिलने वाले विशेष छात्रवृत्तियों का उद्देश्य क्या है?
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Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Act, 1989 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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दलितों के खिलाफ हिंसा की एक सामान्य घटना क्या हो सकती है?
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दलित समूहों ने 1970 के दशक में किन अधिकारों की मांग की थी?
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CUT-OFF अंक किस कारण से निर्धारित किए जाते हैं?
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कौन सा तत्व दलितों और जनजातीय समूहों के अधिकारों की रक्षा करता है?
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आदिवासियों की धार्मिकता का विशिष्ट तत्व क्या है?
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आदिवासियों पर किस बाह्य धर्म का प्रभाव बहुत अधिक है?
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आदिवासी भाषाओं का कौन सा महत्वपूर्ण प्रभाव है?
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आदिवासियों के जीवन में किसका गलत चित्रण किया गया है?
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19वीं सदी में आदिवासियों का पर्यावरण के साथ क्या संबंध था?
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आदिवासियों के लिए विकास की प्रक्रिया में क्या चुनौती थी?
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आदिवासी धर्मों का मुख्य प्रभाव क्या है?
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आदिवासियों की संस्कृति को कैसे गलत तरीके से दर्शाया जाता है?
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आदिवासियों का खानपान कैसे था?
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भारत में मुस्लिम बच्चों का किस प्रतिशत मदरसों में शिक्षा प्राप्त करता है?
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संविधान का कौन सा अनुच्छेद अछूत प्रथा के उन्मूलन की बात करता है?
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अवर्णित समुदायों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान में किस प्रकार की धाराओं का उपयोग किया?
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किस अनुच्छेद के तहत भारत में कोई भी नागरिक धर्म, जाति, लिंग के आधार पर भेदभाव का शिकार नहीं हो सकता?
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दलितों को किस कारण से मौलिक अधिकारों का सहारा लेने में मदद मिलती है?
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मुस्लिम समुदाय की पहचान किस कारक से प्रभावित होती है?
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दलितों को 'अछूत' होने से क्या लाभ होता है?
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किस प्रकार की पहचान के कारण मुस्लिम समुदाय को अलग ढंग से पहचाना जाता है?
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हाशिये पर रहने वाले समूहों के लिए किन कारकों का एक साथ काम करना आम है?
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भारत में आदिवासियों की जनसंख्या का लगभग क्या प्रतिशत है?
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आदिवासियों का 'अदिवासी' नाम किस अर्थ में प्रयोग होता है?
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भारत में कितने विभिन्न आदिवासी समूह हैं?
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आदिवासी आबादी भारत के किन राज्यों में अधिक है?
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डीलित और जनजातीय उम्मीदवारों के लिए विशेष छात्रवृत्तियाँ क्यों प्रदान की जाती हैं?
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कौन सा कानूनी अधिनियम दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार को रोकने के लिए लागू हुआ?
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कौन से कारक ने 1970 के दशक में दलितों और जनजातियों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि की?
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कट-ऑफ अंक किसका निर्धारण करते हैं?
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दलित समूहों ने कौन से विशेष अधिकार माँगे थे?
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आदिवासियों को किस प्रकार के विशेष लाभ मिलते हैं?
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कौन सी कार्रवाई अनुसूचित जातियों और जनजातियों के खिलाफ हिंसा की एक सामान्य घटना मानी जाती है?
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कट-ऑफ अंक किस स्थिति पर आधारित होते हैं?
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कौन सा तत्व दलितों के अधिकारों की सुरक्षा में सहायता करता है?
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अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण की नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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आदिवासी धर्मों में किसकी पूजा की जाती है?
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किस परिस्थिति में 19वीं सदी में कई आदिवासी ईसाई धर्म में परिवर्तित हुए?
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आदिवासियों की संस्कृति का किस प्रकार का चित्रण किया जाता है?
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संविधान किस प्रकार से अल्पसंख्यक समूहों को सांस्कृतिक न्याय प्रदान करता है?
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आदिवासियों ने किस प्रकार की पारंपरिक आजीविका अपनाई थी?
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किसने आदिवासियों के लिए जंगलों तक पहुँचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?
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कौन सा उपाय दलित और आदिवासी समुदायों की शिक्षा में सुधार लाने के लिए नहीं है?
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आरक्षण नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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आदिवासियों की भाषाएँ किस प्रकार की हैं?
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किस कानून के तहत भारतीय संविधान में दलितों और आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा की जाती है?
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आदिवासियों की धार्मिक परंपराएँ किन अन्य धर्मों से प्रभावित हुई हैं?
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किस प्रकार की मान्यता आदिवासियों के बारे में बनी हुई है?
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किस प्रकार का अधिकार अल्पसंख्यक समूहों को अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में सहायता करता है?
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आदिवासियों का अस्तित्व किस प्रकार की संस्कृति में समाहित है?
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दलितों और आदिवासियों को शिक्षा और रोजगार में अवसर क्यों दिए जाते हैं?
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संविधान में किस बात का ध्यान रखा गया है कि बहुसंख्यक समुदाय की संस्कृति का वर्चस्व न हो?
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आदिवासी जो आत्माओं की पूजा करते हैं, उनका संबंध किससे होता है?
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राजनीतिक दृष्टि से दलितों को जानने के लिए कौन सा तत्व महत्वपूर्ण है?
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किस समुदाय के सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा के लिए व्यक्त किए गए हैं?
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सरकार द्वारा दलित और आदिवासी छात्रों के लिए किस तरह की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं?
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भारत में मैनुअल स्केवेंजिंग के बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?
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गेटोइज़ेशन की प्रक्रिया किस प्रकार की स्थिति का निर्माण करती है?
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जिस कानून ने मैनुअल स्केवेंजर्स के अधिकारों की सुरक्षा की, वह कब लागू हुआ?
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किस प्रकार की सामाजिक स्थिति गेटोइज़ेशन का कारण बन सकती है?
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न्यायालय ने मैनुअल स्केवेंजिंग को लेकर किस प्रकार की कार्रवाई की?
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किस कानून को 2006 में पारित किया गया था ताकि वन निवासियों के अधिकारों को मान्यता दी जा सके?
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मैनुअल स्कैवेंजिंग में शामिल लोग सामान्यत: किस समाज से आते हैं?
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सूचना के अनुसार, मैनुअल सफाईकर्मियों को हर दिन कितनी मात्रा में वेतन मिलता है?
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मैनुअल स्कैवेंजिंग पर रोक लगाने वाला कानून कब पारित किया गया था?
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अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों को मान्यता देने वाला अधिनियम क्या करता है?
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कितनी संख्या में दलित समुदायों के लोग आज भी मैनुअल सफाई में कार्यरत हैं?
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मैनुअल सफाईकर्मियों को किन कामों का सामना करना पड़ता है?
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सूखे शौचालयों का निर्माण रोकने का कानून कब लागू हुआ था?
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किस अधिनियम का उद्देश्य वन निवासियों के ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करना है?
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आदिवासी धर्मों में पूजा की जाने वाली कौन सी तत्व सबसे महत्वपूर्ण है?
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19वीं सदी में आदिवासियों के Christianity में परिवर्तित होने का मुख्य कारण क्या था?
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आदिवासियों की पारंपरिक जीवनशैली किस पर निर्भर करती थी?
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आदिवासियों के बारे में आमतौर पर क्या धारणा बनाई जाती है?
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आदिवासियों द्वारा वर्चस्व वाले धर्मों में से एक कौन सा योगदान दिया गया है?
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कौन सा कथन आदिवासियों की संस्कृति का सही चित्रण नहीं करता?
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आदिवासियों की परंपरागत धार्मिक मान्यताओं में क्या समाहित है?
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आदिवासियों और जंगलों का पारंपरिक संबंध किस प्रकार से वर्णित किया जा सकता है?
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किस प्रकार की कार्रवाई को अनुसूचित जातियों या जनजातियों के खिलाफ अपमानजनक माना जाता है?
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1989 के अधिनियम में आदिवासियों को किस प्रकार का अधिकार दिया गया है?
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कौन सा कानून दलितों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करता है?
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राज्य सरकारों की किस भूमिका को अधिनियम में उल्लिखित किया गया है?
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किस प्रकार के अपराधों को विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ माना गया है?
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किस स्थिति में आदिवासी भूमि की पुनः प्राप्ति का अधिकार मिलता है?
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अधिनियम के अनुसार कौन सा कार्य उचित नहीं माना जाता है?
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किस चुनौती का सामना आदिवासी समुदायों को विकास प्रक्रिया में करना पड़ता है?
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किस प्रक्रिया के तहत आदिवासियों को उनके परंपरागत वन से बाहर निकाला जाता है?
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आदिवासियों के लिए किस प्रकार की नौकरी में वे अधिकतर काम करते हैं?
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किस कारण से आदिवासी अपनी पारंपरिक भूमि और जंगलों से वंचित हो गए हैं?
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आदिवासियों को किस प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों के लिए मजबूरन अपनी भूमि छोड़नी पड़ी?
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भारत में किस क्षेत्र में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है?
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आदिवासियों को अपनी पारंपरिक ज़मीन से वंचित करने के लिए कौन सा उपाय सबसे अधिक जिम्मेदार है?
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किस रिपोर्ट के अनुसार, खनन परियोजनाओं के कारण विस्थापित व्यक्तियों में से 50% से अधिक आदिवासी हैं?
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आदिवासियों के लिए सबसे बड़ा संकट क्या है जब वे अपनी ज़मीन खो देते हैं?
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किस दशक में आदिवासियों की भूमियां बड़े पैमाने पर निकाली गईं?
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भारत में आदिवासियों के लिए कौन सा खनन प्रोजेक्ट सबसे अधिक पुराना है?
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आदिवासियों के लिए जिन क्षेत्रों को राष्ट्रीय उद्यानों के तहत सुरक्षित किया गया है, उनमें से कितने प्रतिशत क्षेत्र उन्हें पुनः आवासित किया गया है?
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किस कानून के तहत मैनुअल स्कैवेंजर के रोजगार को प्रतिबंधित किया गया है?
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गैटोटाइजेशन के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
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भारत में मैनुअल स्कैवेंजर के संख्या में वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?
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कौन सी बात मैनुअल स्कैवेंजर और उनके पुनर्वास अधिनियम के लागू होने से संबन्धित नहीं है?
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किस पहलू के कारण गैटोटाइजेशन की प्रक्रिया अधिकतर होती है?
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हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिए सामान्य रूप से कौन सा कारक सबसे अधिक प्रभाव डालता है?
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भारत में कुल जनसंख्या का कितना प्रतिशत आदिवासी समुदाय है?
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आदिवासी समुदाय को किन मुख्य तत्वों की कमी का सामना करना पड़ता है?
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किस राज्य में आदिवासी समूहों की सबसे अधिक विविधता पाई जाती है?
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माध्यमिक जाति-व्यवस्था के विपरीत, आदिवासी समूहों की क्या विशेषता होती है?
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हाशिये पर रहने वाले समुदायों को संसाधनों और अवसरों तक पहुँचने में किस तत्व का अभाव होता है?
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आदिवासी क्या दर्शाता है?
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कौन सा कारक हाशिये पर रहने वाले समुदायों के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा देता है?
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अनुसूचित जनजातियों और पारंपरिक वन निवासियों के अधिकारों को मान्यता देने वाला कानून कौन सा है?
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मैनुअल स्केवेंजिंग(हाथ से मैला उठाने) का क्या मुख्य परिणाम है?
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निम्नलिखित में से कौन सा मैनुअल स्केवेंजिंग का मुख्य कार्य है?
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किस अधिनियम ने मैनुअल स्केवेंजिंग के रोजगार पर रोक लगाई?
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मैनुअल स्केवेंजिंग करने वाले व्यक्तियों को किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
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किस संगठन ने मैनुअल स्केवेंजर्स के अधिकारों की सुरक्षा हेतु सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी?
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अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों के संरक्षण के तहत उनकी कौन सी विशेषता मान्यता प्राप्त है?
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मैनुअल स्केवेंजिंग का प्रमुख कार्य कौन करता है?
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गृहस्थी, कृषि और चरागाह भूमि का अधिकार किस अधिनियम के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है?
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मैनुअल स्केवेंजिंग के परिणामस्वरूप कौन सी स्वास्थ्य समस्या सबसे आम है?
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संविधान के किस अनुच्छेद के तहत अछूत प्रथा का उन्मूलन किया गया है?
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मुस्लिम बच्चों के शिक्षा में कौन सा स्कूल सबसे अधिक प्राथमिकता प्राप्त करता है?
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दलितों के अधिकारों के लिए किस तरह का कानून महत्वपूर्ण माना जाता है?
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किस अनुच्छेद के अंतर्गत किसी नागरिक को धर्म, जाति, लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता?
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संविधान के किस धार से जनता को मौलिक अधिकारों का सहारा लेने में मदद मिलती है?
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मुस्लिम समुदाय की पहचान में निम्नलिखित में से कौन सा तत्व शामिल है?
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दलितों ने किस प्रकार अपने अधिकारों की मांग की है?
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किस कारण से मुस्लिम समुदाय को समाज में अलग ढंग से देखा जाता है?
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दलितों को किस अनुच्छेद से न्याय की मांग करने का अधिकार है?
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किस प्रकार के कारण से दलित समाज में भेदभाव का सामना करते हैं?
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संविधान में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के भूमि अधिकारों की सुरक्षा के लिए कौन सा प्रावधान है?
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किस आकृति में अनुसूचित जातियों या जनजातियों की महिलाओं पर हिंसा को विशिष्ट रूप से मान्यता दी गई है?
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कौन सा कार्य अनुसूचित जातियों और जनजातियों के अधिकारों के उल्लंघन के अंतर्गत आता है?
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किस दृष्टिकोण से आदिवासियों की भूमि अधिकारों की सुरक्षा के लिए 1989 का अधिनियम महत्वपूर्ण है?
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किस प्रकार की स्थितियों में आदिवासी लोग अपने पारंपरिक वन से निष्कासित होते हैं?
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क्या स्थिति संविधान के अंतर्गत आदिवासियों के भूमि अधिकारों का उल्लंघन दर्शाती है?
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संविधान क्या सुनिश्चित करता है जब भूमि का अवैध अधिग्रहण होता है?
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किस प्रकार की गतिविधियाँ Scheduled Castes and Scheduled Tribes (Prevention of Atrocities) Act, 1989 के अंतर्गत दंडनीय हैं?
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किस कारक के कारण आदिवासी समुदायों की भूमि पर वैध स्वामित्व का उल्लंघन होता है?
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किस प्रकार की घटनाएँ आदिवासियों को मजबूर करती हैं अपने परंपरागत भूमि से बाहर निकलने के लिए?
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हाशिये पर रहने वाले समूहों की समस्याएँ किस प्रकार के कारकों से प्रभावित होती हैं?
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जो समुदाय अदिवासी कहलाते हैं, वे किस प्रकार की विशेषता रखते हैं?
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भारत में अदिवासी जनसंख्या का प्रतिशत लगभग कितना है?
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हाशिये पर रहने वाले लोगों के संसाधनों तक पहुँचने में कौन-सी बाधाएँ होती हैं?
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किस स्थिति का अनुभव आदिवासियों के लिए सामान्यतः नहीं किया जा सकता?
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भारत में आदिवासी समूह किस प्रकार से भिन्न होते हैं?
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हाशिये पर रहने वाले समूहों को किन कारकों के चलते संसाधनों से वंचित किया जाता है?
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आदिवासी समूहों की पहचान में किन बातों का विशेष ध्यान दिया जाता है?
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भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग की समस्या का मुख्य कारण क्या है?
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1993 के कानून के बाद मैनुअल स्कैवेंजर्स की संख्या में वृद्धि का मुख्य कारण क्या हो सकता है?
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गेट्टोाईज़ेशन की प्रक्रिया में किस तत्व की प्रमुखता होती है?
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प्रशासनिक विभागों को मैनुअल स्कैवेंजर्स की सच्चाई की जांच करने के लिए कितने समय की अवधि दी गई थी?
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मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके पुनर्वास से संबंधित कानून कब लागू हुआ?
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किस शताब्दी में आदिवासियों की प्रवास यात्रा में लगभग 5 लाख आदिवासी मरे गए थे?
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भारत के कितने राष्ट्रीय पार्क आदिवासियों के प्रिय निवास क्षेत्र पर आधारित हैं?
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आदिवासियों के लिए उनकी पारंपरिक भूमि खोने का सबसे बड़ा परिणाम क्या है?
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आदिवासियों को किस प्रकार की श्रम में शामिल किया गया है?
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कितने प्रतिशत आदिवासी खगोलमाना और अन्य औद्योगिक परियोजनाओं के जरीये विस्थापित हुए हैं?
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आदिवासियों के पास से कौन सी प्रमुख संसाधन ले ली गई है, जिसके कारण उनकी आजीविका प्रभावित हुई है?
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आदिवासियों की प्रवास यात्रा किस प्रदेशों से अधिकतर हुई है?
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आदिवासी लोगों के लिए कृषि भूमि और औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए कितने भूभाग को साफ किया गया है?
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आदिवासी लोगों की साइट पर जब उन्हें हथियाया जाता है, तो उन्हें क्या कहा जाता है?
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भारत में आदिवासियों की उद्योगों में काम करते समय क्या विशेष चुनौती है?
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संविधान के अनुसार, किन अल्पसंख्यक समूहों को सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार प्राप्त हैं?
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दलितों और आदिवासियों के लिए सरकार द्वारा कौन सा प्रमुख कार्यक्रम चलाया जाता है?
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अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण नीति क्यों महत्वपूर्ण है?
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संविधान में सांस्कृतिक न्याय का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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किस कारण से अनुसूचित जातियों और जनजातियों को बढ़ावा देने के लिए सरकारी अधिनियमों की आवश्यकता है?
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भारत सरकार द्वारा अनुदानित आवासों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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कौन सा तथ्य अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण नीति की आलोचना का आधार बनता है?
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संविधान द्वारा सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए किन अल्पसंख्यक समूहों को विशेष प्रावधान दिए गए हैं?
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किस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जातियों और जनजातियों के सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना है?
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मोदी सरकार ने किस अधिनियम के माध्यम से वन निवासियों के अधिकारों को मान्यता दी है?
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किस अधिनियम ने मैनुअल स्केवेंजर्स की नियुक्ति और सूखा शौचालयों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाया है?
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मैनुअल स्केवेंजिंग का मुख्य प्रवाह किस प्रकार की स्थितियों से जुड़ा हुआ है?
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मैनुअल स्केवेंजिंग के प्रचलन में कौन से विशेष समूह सबसे अधिक प्रभावित होते हैं?
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किस नीति के तहत वन निवासियों को बुनियादी संसाधनों का अधिकार मिलता है?
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किस संगठन ने मैनुअल स्केवेंजर्स की स्थिति के सुधार के लिए सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी?
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किस स्थिति में मैनुअल स्केवेंजर्स सामान्य कामकाजी लोगों की तुलना में कम वेतन प्राप्त करते हैं?
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वन अधिकारों के अधिनियम में वन निवासियों के अधिकारों में कौन सा अधिकार शामिल नहीं है?
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मैनुअल स्केवेंजिंग करने वाले पेशेवरों को किन स्वास्थ्य खतरों का सामना करना पड़ता है?
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कौन सा कानून अनुसूचित जनजातियों और अन्य पारंपरिक वन निवासियों के वन अधिकारों को मान्यता देता है?
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मानव स्केवेंजर के काम में शामिल लोगों को किस प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
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मनोरोग के क्षेत्र में 1993 में पास किया गया कानून क्या है?
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किस कानून के अंतर्गत एक लाख से अधिक लोग आज भी मैनुअल स्केवेंजर के रूप में काम कर रहे हैं?
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किस अधिनियम ने वन निवासियों के लिए ज़मीन और संसाधनों के अधिकारों की मान्यता दी थी?
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हाशिये पर रहने वाले समूहों की शक्ति और संसाधनों तक पहुँच में कमी का मुख्य कारण क्या है?
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आदिवासी समुदायों में सबसे अधिक जनसंख्या किस राज्य में पाई जाती है?
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आदिवासियों को 'अदिवासी' कहने का क्या तात्पर्य है?
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हाशिए पर रहने वाले समुदायों में से आदिवासियों की कौन सी विशेषता उन्हें जati-varna के सिद्धांतों से अलग करती है?
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समाज में हाशिये पर रहने की स्थिति को बढ़ावा देने वाली एक महत्वपूर्ण वजह क्या है?
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आदिवासियों की पहचान को किन कारकों से प्रभावित किया जाता है?
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हाशिये पर रहने वाले समुदाय हमेशा किस प्रकार की परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं?
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हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिए किस प्रकार का सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है?
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मुस्लिम समुदाय की हालिया स्थिति के संदर्भ में, किस पहल से उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन किया गया?
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भारत में मुस्लिम समुदाय की शिक्षा में कमी का एक प्रमुख कारण क्या माना जाता है?
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सचर समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम बच्चों का विद्यालय में नामांकन और थोडा प्रतिशत क्या है?
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भारत के संविधान के किस तत्व का मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा में विशेष महत्व है?
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सचर समिति की रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम समुदाय का औसत शिक्षा स्तर किसके समकक्ष है?
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संविधान में मुस्लिम समुदाय को किस प्रकार की विशेष सुरक्षा प्रदान की गई है?
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भारत में मुस्लिम समुदाय की कमजोरियों के लिए कौन सा कारक मुख्य रूप से जिम्मेदार है?
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क्या यह सच है कि मुस्लिम समुदाय अपने बच्चों को मदरसों में भेजने की प्राथमिकता नहीं रखते?
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मुस्लिम समुदाय के विकास में कितने वर्ष का औसत स्कूलिंग स्तर दूसरों की तुलना में कम रहा है?
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संविधान के तहत सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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आरक्षण नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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संविधान में विभिन्न सांस्कृतिक अधिकारों को क्यों शामिल किया गया है?
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राज्य और केंद्रीय सरकारें कैसे सुनिश्चित करती हैं कि दलित और आदिवासी छात्र शिक्षा प्राप्त कर सकें?
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भारत में विभिन्न अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण नीति का क्या आधार है?
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दलितों और आदिवासियों को न्याय पाने के लिए किस अधिनियम का सहारा लेना चाहिए?
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कौन सी विशेषता सांस्कृतिक अधिकारों को परिभाषित करती है?
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दलितों के लिए विशेष छात्रवृत्ति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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भारत में अनुसूचित जातियों और जनजातियों की सूची किस आधार पर बनाई गई है?
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संविधान विभिन्न समुदायों को सांस्कृतिक अधिकार देने का उद्देश्य क्या है?
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Scheduled Caste या Scheduled Tribe के सदस्यों के खिलाफ किए गए कार्यों की क्या विशेषता होती है?
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1989 के अधिनियम का उपयोग अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए किस अधिकार की रक्षा के लिए किया जाता है?
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C.K. Janu द्वारा उठाए गए मुद्दों में से कौन सा मुद्दा सही है?
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किस स्थिति में आदिवासी लोग मजबूरन अपनी भूमि छोड़ते हैं?
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1989 के अधिनियम के तहत किसी सदस्य के खिलाफ अपराधों की पहचान किस प्रकार की जाती है?
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अधिनियम के अनुसार, भूमि का हस्तांतरण किस तरह की स्थिति में माना जाता है?
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किस स्थिति में राज्य सरकारें आदिवासी लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं?
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आदिवासियों की भूमि पर गैर-आदिवासी लोगों द्वारा कब्जा करने की दशा में क्या किया जाना चाहिए?
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Scheduled Caste और Scheduled Tribe के खिलाफ हिंसा की स्थिति में क्या किया जाना चाहिए?
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अनुसूचित जातियों और जनजातियों की महिलाओं के खिलाफ किस तरह का अपराध किया जाता है?
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Study Notes
मुस्लिम बच्चों का शिक्षा में भागीदारी
- केवल 4% मुस्लिम बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं, जबकि 66% सरकारी स्कूलों और 30% निजी स्कूलों में पढ़ते हैं।
मुस्लिम पहचान और भेदभाव
- कुछ मुस्लिम बुर्का पहनते हैं, लंबी दाढ़ी रखते हैं, फेज़ पहनते हैं।
- यह इनकी पहचान का तरीका होता है, जिससे कुछ लोग उन्हें बाकी लोगों से अलग मानते हैं।
- इस वजह से, उनसे भेदभाव हो सकता है और उन्हें अन्याय का सामना करना पड़ सकता है।
संविधान और मौलिक अधिकार
- संविधान में मौलिक अधिकारों का उल्लेख है जो सभी भारतीयों को समान रूप से मिलते हैं।
- मौलिक अधिकारों का उपयोग करके, हाशिए पर रहने वाले लोग सरकार से अन्याय के खिलाफ लड़ते हैं।
- वे सरकार से इन कानूनों को लागू करने की मांग करते हैं।
अस्पृश्यता का उन्मूलन– अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 17 में अस्पृश्यता के उन्मूलन का उल्लेख है।
- इसका मतलब है कि दलितों को शिक्षा प्राप्त करने, मंदिरों में जाने, सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग करने से रोकना गैरकानूनी है।
- अस्पृश्यता अब एक दंडनीय अपराध है।
अनुच्छेद 15 और समानता
- अनुच्छेद 15 कहता है कि किसी भी भारतीय नागरिक से धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
- दलितों ने समानता के लिए अनुच्छेद 15 का उपयोग किया है।
जाति और जनजाति प्रमाण पत्र
- सरकारी संस्थानों में दाखिले के लिए जाति और जनजाति प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है।
- यह प्रमाण पत्र आरक्षण का लाभ दिलाता है।
आरक्षण नीति
- कॉलेजों में दाखिले के लिए, सरकार कटऑफ अंक तय करती है।
- आरक्षित श्रेणी के छात्रों के लिए कटऑफ अंक कम होते हैं।
- दलित और आदिवासी छात्रों को सरकारी स्कॉलरशिप भी मिलती है।
दलित और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा
- दलित और आदिवासी समुदायों के खिलाफ भेदभाव और शोषण से बचाने के लिए कानून हैं।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों से रोकथाम) अधिनियम, 1989, दलितों और आदिवासियों द्वारा किए गए मांगों के जवाब में बनाया गया था।
- यह अधिनियम दलितों और आदिवासियों के खिलाफ हिंसा के विभिन्न रूपों को परिभाषित करता है और अपराधियों को सख्त सजा देता है।
आदिवासियों की धार्मिक मान्यताएँ
- आदिवासी कई तरह के धर्मों का पालन करते हैं, जो इस्लाम, हिंदू धर्म और ईसाई धर्म से अलग हैं।
- ये धर्म पूर्वजों, गांवों, और प्रकृति की आत्माओं की पूजा से जुड़े हैं।
- आदिवासी धर्मों ने शक्त, बौद्ध, वैष्णव, भक्ति और ईसाई धर्म से प्रभावित हुए हैं।
- आदिवासी धर्मों का प्रभाव भारतीय साम्राज्यों के प्रमुख धर्मों पर भी पड़ा है, जैसे जगन्नाथ पंथ ओड़ीशा में और शक्ति और तांत्रिक परंपराएँ बंगाल और असम में।
- 19वीं शताब्दी में काफी संख्या में आदिवासियों ने ईसाई धर्म अपनाया, जो आधुनिक आदिवासी इतिहास में एक महत्वपूर्ण धर्म बन गया है।
आदिवासी भाषाएँ और उनके प्रभाव
- आदिवासियों की अपनी भाषाएँ हैं जो संस्कृत से अलग हैं और संभवतः उसे भी पुरानी हैं।
- आदिवासी भाषाओं का बंगाली जैसी 'मुख्यधारा' की भारतीय भाषाओं के निर्माण पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
आदिवासी और स्टीरियोटाइप
- आदिवासियों को बहुत रूढ़िवादी तरीके से चित्रित किया जाता है - रंगीन पोशाक, सिर पर पगड़ी और नृत्य के जैसे।
- हमें उनके जीवन की वास्तविकताओं के बारे में बहुत कम जानकारी है।
- इससे लोग गलत मानते हैं कि वे विदेशी, आदिम और पिछड़े हैं।
आदिवासी और विकास
- 19वीं शताब्दी तक हमारे देश का बड़ा हिस्सा जंगलों से ढका हुआ था।
- उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक आदिवासियों का इन विशाल इलाकों पर गहरा ज्ञान था, उनकी पहुँच थी और उनका नियंत्रण था।
- उन पर बड़े राज्यों और साम्राज्यों का शासन नहीं था।
- वास्तव में, साम्राज्य जंगल के संसाधनों तक पहुँचने के लिए आदिवासियों पर भारी निर्भर थे।
- औपनिवेशिक दुनिया में, वे पारंपरिक रूप से शिफ्टिंग कृषि करते थे और एक जगह पर भी खेती करते थे, और शिकारी-संग्राहक और घुमक्कड़ थे ।
हाशिए पर रहना
- हाशिए पर रहने का मतलब है कि किसी चीज के केंद्र में न होकर किनारे या किनारे पर रहने को मजबूर होना।
- सामाजिक परिवेश में भी, लोगों के कुछ समूह या समुदाय बहिष्कृत हो रहे हैं।
हाशिए पर रहने के कारण
- भिन्न भाषाएँ, भिन्न रीति-रिवाज और भिन्न धार्मिक समूह हाशिए पर रहने के कुछ कारण हैं।
- हाशिए के समूहों को दुश्मनी और डर की नजर से देखा जाता है।
- विभिन्नता और बहिष्कार की इस भावना के कारण समुदायों की संसाधनों और अवसरों तक पहुँच नहीं हो पाती है, और वे अपने अधिकारों का दावा नहीं कर पाते हैं इससे उनमें वंचितता और शक्तिहीनता की भावना पैदा होती है, जो कि समाज के अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली वर्गों के सापेक्ष हैं, जो जमीन के मालिक हैं, धनी हैं, बेहतर शिक्षित हैं और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली हैं।
आदिवासी
- आदिवासियों को जनजाति भी कहा जाता है।
- आदिवासी का शाब्दिक अर्थ "मूल निवासी" होता है, वे समुदाय जो जंगलों के साथ घनिष्ठ संबंध में रहते थे और रहते हैं।
- भारत की लगभग 8% जनसंख्या आदिवासी है और देश के ज्यादातर खनन और औद्योगिक केंद्र जैसे जमशेदपुर, राउरकेला, बोकारो और भिलाई आदि आदिवासी क्षेत्रों में स्थित हैं।
विविध आदिवासी समूह
- आदिवासी जनसंख्या एकरूपी नहीं है, भारत में 500 से अधिक विभिन्न आदिवासी समूह हैं।
- वे छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में बहुत संख्या में है।
- ओडिशा में 60 विभिन्न जनजातीय समूह हैं।
- वे अलग हैं क्योंकि उनके बीच अक्सर बहुत कम क्रम रहता है।
- यह उन्हें जाति-वर्ण (जाति) के सिद्धांतों के आधार पर संघटित समुदायों या जिनका शासन राजों के द्वारा था, उनसे बिलकुल अलग बनाता है।
हाशिए पर
- हाशिए पर होने का मतलब है कि आपको किनारे या हाशिए पर रहने के लिए मजबूर किया जाता है और आप चीजों के केंद्र में नहीं होते हैं।
- सामाजिक वातावरण में, लोगों के समूहों या समुदायों को भी बाहर रखा जा रहा है।
- हाशिए पर रहने के कारण: अलग-अलग भाषाएं, अलग-अलग रीति-रिवाज और अलग-अलग धार्मिक समूह हाशिए पर रहने के कुछ कारण हैं।
- हाशिए पर रहने वाले समूहों को दुश्मनी और भय के साथ देखा जाता है।
- इस अंतर और बहिष्कार की भावना के कारण समुदायों को संसाधनों और अवसरों तक पहुंच नहीं होती है और वे अपने अधिकारों का दावा करने में असमर्थ रहते हैं, जिससे उन्हें समाज के अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली वर्गों के सापेक्ष वंचितता और शक्तिहीनता का अनुभव होता है जो भूमि के मालिक हैं, अमीर हैं, बेहतर शिक्षित हैं और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली हैं।
- इस प्रकार, हाशिए पर रहने का अनुभव शायद ही कभी एक क्षेत्र में होता है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारक मिलकर समाज में कुछ समूहों को हाशिए पर महसूस कराते हैं।
आदिवासी
- आदिवासियों को आदिवासी भी कहा जाता है।
- आदिवासी का शाब्दिक अर्थ है 'मूल निवासी', वे समुदाय जो जंगलों के साथ घनिष्ठ संबंध में रहते थे और रहते हैं।
- भारत की लगभग 8% आबादी आदिवासी है और देश के अधिकांश खनन और औद्योगिक केंद्र आदिवासी क्षेत्रों में स्थित हैं जैसे जमशेदपुर, राउरकेला, बोकारो और भिलाई, आदि।
- एक सजातीय आबादी नहीं होने के कारण, भारत में 500 से अधिक विभिन्न आदिवासी समूह हैं।
- वे छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में कई राज्यों में पाए जाते हैं।
- ओडिशा में 60 अलग-अलग जनजातीय समूह हैं।
- वे विशिष्ट हैं क्योंकि उनके बीच अक्सर बहुत कम पदानुक्रम होता है और यह उन्हें जाति-वर्ण (जाति) के सिद्धांतों के आसपास संगठित समुदायों या राजाओं द्वारा शासित समुदायों से मौलिक रूप से अलग बनाता है।
आदिवासी धर्म और संस्कृति
- आदिवासी अपने अलग-अलग धार्मिक विश्वासों का पालन करते हैं, जो इस्लाम, हिंदू धर्म और ईसाई धर्म से अलग हैं।
- वे पूर्वजों, गांव और प्रकृति की आत्माओं की पूजा करते हैं।
- ये आत्माएँ, जैसे पहाड़ों की आत्माएँ, नदियों की आत्माएँ, जानवरों की आत्माएँ, प्राकृतिक स्थानों में निवास करती हैं।
- गांव की आत्माओं की पूजा गांव के पवित्र वृक्षों में की जाती है, जबकि पूर्वजों की पूजा घरों में की जाती है।
- आदिवासी संस्कृति पर विभिन्न धर्मों, जैसे शाक्त, बौद्ध, वैष्णव, भक्ति और ईसाई धर्म, का प्रभाव रहा है।
- आदिवासी धर्मों का प्रभाव उन राज्यों के प्रमुख धर्मों पर भी पड़ा है, जैसे ओडिशा का जगन्नाथ पंथ और बंगाल और असम में शक्ति और तांत्रिक परंपराएँ।
- 19वीं शताब्दी में बड़ी संख्या में आदिवासी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए, जो आधुनिक आदिवासी इतिहास में एक महत्वपूर्ण धर्म बन गया है।
- आदिवासियों की अपनी भाषाएँ हैं, जो संस्कृत से अलग और संभवतः उतनी ही पुरानी हैं।
- इन भाषाओं का प्रभाव भारतीय भाषाओं के विकास पर पड़ा है, जैसे बंगाली।
आदिवासी और रूढ़िवादिता
- आदिवासियों को रूढ़िवादी तरीके से चित्रित किया जाता है, जो रंगीन परिधान, सिर के आभूषण और नृत्य करते हैं।
- उनके जीवन की वास्तविकताओं के बारे में हम बहुत कम जानते हैं।
- इन रूढ़िवादी चित्रणों से लोगों में यह धारणा बनती है कि वे विदेशी, आदिम और पिछड़े हुए हैं।
आदिवासी और विकास
- 19वीं शताब्दी तक हमारे देश के एक बड़े हिस्से में जंगल थे।
- आदिवासियों का जंगल और उसके संसाधनों पर 19वीं शताब्दी के मध्य तक गहरा ज्ञान, पहुंच और नियंत्रण था।
- वे बड़े राज्यों और साम्राज्यों द्वारा शासित नहीं थे।
- साम्राज्य जंगल के संसाधनों तक पहुंच के लिए आदिवासियों पर निर्भर थे।
- औपनिवेशिक काल से पूर्व, आदिवासी शिकारी-संग्रहकर्ता और खानाबदोश थे।
- वे स्थानांतरण खेती (झूम खेती) और स्थायी खेती करते थे।
- पिछले 200 वर्षों से, राज्य और निजी उद्योगों द्वारा लागू की गई आर्थिक परिवर्तन, वन नीतियां और राजनीतिक दबावों के कारण, आदिवासियों को बागानों, निर्माण स्थलों, उद्योगों और घरेलू कामगारों के रूप में काम करने के लिए पलायन करने के लिए मजबूर किया गया है।
- इतिहास में पहली बार, वे जंगल के क्षेत्रों पर नियंत्रण या सीधी पहुंच नहीं रखते हैं।
- 1830 के दशक से, झारखंड और आसपास के क्षेत्रों के आदिवासी भारत और दुनिया में बागानों में चले गए, जैसे मॉरीशस, कैरिबियन और ऑस्ट्रेलिया।
- 19वीं शताब्दी में अकेले ही 5 लाख आदिवासियों की पलायन में जान गई।
- असम में चाय उद्योग उनके श्रम से ही संभव हुआ।
- आज, अकेले असम में 70 लाख आदिवासी हैं।
आदिवासी भूमि पर अतिक्रमण
- लकड़ी, कृषि और उद्योग के लिए वन भूमि को साफ किया गया है।
- आदिवासी उन क्षेत्रों में रहते थे जहाँ खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधन थे।
- इन क्षेत्रों का खनन और बड़े औद्योगिक परियोजनाओं के लिए अधिग्रहण किया गया।
- शक्तिशाली ताकतें आदिवासी भूमि पर जबरन कब्जा करती हैं, और नियमों का पालन नहीं करती हैं।
- आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खानों और खनन परियोजनाओं के कारण विस्थापित हुए 50% से अधिक लोग आदिवासी हैं।
- आदिवासियों के बीच काम करने वाले संगठनों की एक हालिया सर्वेक्षण रिपोर्ट बताती है कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड राज्यों से विस्थापित हुए 79% लोग आदिवासी हैं।
- स्वतंत्र भारत में बने सैकड़ों बांधों के पानी के नीचे आदिवासियों की विशाल भूमि डूब गई है।
- पूर्वोत्तर में उनकी भूमि अत्यधिक सैन्यीकृत बनी हुई है।
- भारत में 103 राष्ट्रीय उद्यान हैं जो 44,372 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल और 564 वन्यजीव अभ्यारण्य हैं जो 1,22,509 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले हुए हैं।
- ये वे क्षेत्र थे जहां आदिवासी मूल रूप से रहते थे, लेकिन उन्हें वहां से निकाल दिया गया।
- जब वे इन जंगलों में रहना जारी रखते हैं, तो उन्हें अतिक्रमणकारी कहा जाता है।
आदिवासी के अधिकार और संघर्ष
- अपनी भूमि और जंगल की पहुंच खोने का मतलब है कि आदिवासियों के जीविकोपार्जन और भोजन के मुख्य स्रोत खत्म हो जाते हैं।
- अपनी पारंपरिक मातृभूमि तक पहुंच खोने के बाद, बहुत सारे आदिवासी शहरों में रोजगार की तलाश में चले गए, जहाँ उन्हें स्थानीय उद्योगों या निर्माण स्थलों पर बहुत कम मजदूरी पर काम पर रखा जाता है।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, 'अमानुषिक क्रिया' को परिभाषित करता है, जिसमें यह शामिल है:
- अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के कपड़े जबरन उतारना या उसे नग्न या रंगे हुए चेहरे या शरीर के साथ परेड कराना।
- दलित और आदिवासियों के कमजोर संसाधनों को जब्त करना या उनसे गुलामी के रूप में काम कराना।
- किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के स्वामित्व वाली या आवंटित की गई किसी भी भूमि पर गलत तरीके से कब्जा करना या खेती करना।
- यह अधिनियम यह मानता है कि दलित और आदिवासी महिलाओं के खिलाफ अपराध एक विशेष प्रकार के होते हैं, और इसलिए, किसी भी व्यक्ति को दंडित करता है जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की किसी भी महिला पर उसके सम्मान को ठेस पहुँचाने के इरादे से हमला करता है या जबरदस्ती इस्तेमाल करता है।
आदिवासी माँगें और 1989 का अधिनियम
- 1989 का अधिनियम महत्वपूर्ण है क्योंकि आदिवासी कार्यकर्ता इसका उपयोग उनकी भूमि पर कब्जा करने के अपने अधिकारों का बचाव करने के लिए करते हैं।
- आदिवासी अक्सर अपनी भूमि छोड़ने को तैयार नहीं होते हैं और उन्हें जबरन विस्थापित किया जाता है।
- कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि उन लोगों को इस कानून के तहत दंडित किया जाना चाहिए जिन्होंने आदिवासी भूमि पर जबरन कब्जा किया है।
- उन्होंने इस तथ्य पर भी ध्यान आकर्षण किया है कि यह अधिनियम संविधान में आदिवासी लोगों से पहले ही किए गए वादे की पुष्टि करता है - कि आदिवासी लोगों की भूमि गैर-आदिवासी लोगों को नहीं बेची जा सकती है या उनके द्वारा खरीदी नहीं जा सकती है।
- ऐसे मामलों में जहां ऐसा हुआ है, संविधान आदिवासी लोगों को अपनी भूमि को पुनः प्राप्त करने के अधिकार की गारंटी देता है।
- आदिवासी कार्यकर्ता सी.के. जानू ने बताया है कि भारत की राज्य सरकारें आदिवासी लोगों को संविधान में दिए गए अधिकारों का उल्लंघन करती हैं, क्योंकि ये सरकारें गैर-आदिवासी अतिक्रमणकारियों जैसे लकड़ी व्यापारियों, पेपर मिल व्यापारियों आदि को अनुमति देती हैं।
- इससे आदिवासी भूमि का शोषण होता है और जंगलों को रिजर्व या अभयारण्य घोषित करने की प्रक्रिया में आदिवासियों को अपनी पारंपरिक वनों से जबरन निकाल दिया जाता है।
- उन्होंने यह भी बताया है कि उन मामलों में जहां आदिवासियों को पहले ही निकाल दिया गया है और वे अपनी भूमि पर वापस नहीं जा सकते हैं, उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए।
- यानी सरकार को उन्हें कहीं और रहने और काम करने के लिए योजनाएँ और नीतियाँ बनानी चाहिए।
- आखिरकार, सरकारें आदिवासियों से ली गई भूमि पर औद्योगिक या अन्य परियोजनाएँ बनाने पर बड़ी रकम खर्च करती हैं।
अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम, 2006
- केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम, 2006 पारित किया।
- इस अधिनियम का परिचय इस बात को दर्शाता है कि यह अधिनियम वन निवास जनसंख्या को उनकी भूमि और संसाधनों पर अधिकारों को न मान्यता देने के कारण हुए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए बनाया गया है।
- यह अधिनियम उनके होमस्टेड, खेती योग्य और चराई क्षेत्र और गैर-लकड़ी वन उत्पादों के अधिकार को मान्यता देता है।
- अधिनियम यह भी बताता है कि वन निवासियों के अधिकारों में वन और जैव-विविधता का संरक्षण शामिल है।
हाथ से सफाई का खतरा
- हाथ से सफाई का मतलब है सूखी शौचालयों से मानव और पशु मल/मल को झाड़ू, टिन प्लेट और टोकरियों का उपयोग करके हटाना और उसे कुछ दूरी पर डिस्पोजल ग्राउंड पर ले जाना।
- हाथ से सफाई करने वाला वह व्यक्ति है जो यह काम करता है।
- यह काम मुख्य रूप से दलित महिलाएं और युवा लड़कियां करती हैं.
- आंध्र प्रदेश आधारित सफाई कर्मचारी आंदोलन के अनुसार, जो हाथ से सफाई करने वालों के साथ काम करता है, इस देश में दलित समुदायों के एक लाख लोग अभी भी इस काम में लगे हुए हैं और नगर पालिकाओं द्वारा प्रबंधित 26 लाख निजी और सामुदायिक सूखी शौचालयों में काम करते हैं।
- हाथ से सफाई करने वालों को काम की बहुत ही अमानवीय स्थितियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें गंभीर स्वास्थ्य खतरों का सामना करना पड़ता है।
- वे निरंतर संक्रमणों के संपर्क में आते हैं जो उनकी आँखों, त्वचा, श्वसन और पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं।
- वे जो काम करते हैं उसके लिए बहुत ही कम मजदूरी मिलती है।
- शहरी नगर पालिकाओं में काम करने वाले 200 रुपये प्रतिदिन कमाते हैं और निजी रूप से काम करने वालों को बहुत कम मजदूरी मिलती है।
हाथ से सफाई की प्रतिबंध और पुनर्वास:
- 1993 में सरकार ने हाथ से सफाई कर्मचारियों का नियोजन और सूखी शौचालयों का निर्माण (प्रतिषेध) अधिनियम पारित किया।
- यह कानून हाथ से सफाई करने वाले कर्मचारियों के नियोजन के साथ ही सूखी शौचालयों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाता है।
- 2003 में, सफाई कर्मचारी आंदोलन और 13 अन्य संगठनों और व्यक्तियों ने, जिनमें सात सफाई कर्मचारी भी शामिल थे, सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की।
- याचिकाकर्ताओं ने शिकायत की कि हाथ से सफाई अभी भी मौजूद है और यह सरकारी उपक्रमों जैसे रेलवे में भी जारी है।
- याचिकाकर्ताओं ने अपने मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग की।
- अदालत ने देखा कि 1993 के कानून के बाद से भारत में हाथ से सफाई करने वाले कर्मचारियों की संख्या बढ़ गई है।
- इसने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के हर विभाग/मंत्रालय को छह महीनों के अंदर तथ्यों की जांच करने का निर्देश दिया।
- अगर हाथ से सफाई मौजूद पाई जाती है, तो सरकारी विभाग को उनकी मुक्ति और पुनर्वास के लिए समयबद्ध कार्यक्रम शुरू करना होगा।
- हाथ से सफाई कर्मचारियों के रूप में नियोजन पर प्रतिबंध और उनका पुनर्वास अधिनियम 6 दिसंबर 2013 को लागू हुआ।
गेटोईकरण:
-
गेटो एक क्षेत्र या इलाका है जो किसी विशेष समुदाय के सदस्यों द्वारा बड़े पैमाने पर आबाद है।
- गेटोईकरण उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जो इस स्थिति को जन्म देती है।
-
यह विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारणों से हो सकता है।
-
भय या शत्रुता एक समुदाय को एक साथ जुड़ने के लिए मजबूर कर सकती है क्योंकि वे अपने ही बीच रहते हुए अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।
-
अक्सर एक 'गेटोईकृत' समुदाय के पास बाहर निकलने के कुछ ही विकल्प होते हैं, जिससे वे समाज के बाकी हिस्सों से अलग हो जाते हैं।
हाशिए पर धकेलना
- हाशिए पर धकेलना का अर्थ है किनारे पर रहना, केंद्र में न होना।
- समाज में, लोगों या समुदायों को हाशिए पर धकेल दिया जाता है, जैसे अलग भाषा, रीति-रिवाज या धार्मिक समूह
- हाशिए पर धकेले गए समूहों को नफरत और डर की निगाह से देखा जाता है।
- असमानता और अपवर्जन के कारण, इन समुदायों तक संसाधनों और अवसरों की पहुंच नहीं होती है, और वे अपने अधिकारों का दावा नहीं कर पाते हैं।
- यह उन्हें समाज के अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली वर्गों की तुलना में वंचित और असहाय महसूस कराता है।
- हाशिए पर धकेलना अक्सर एक ही क्षेत्र में अनुभव नहीं होता है।
- आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक कारक मिलकर समाज में कुछ समूहों को हाशिए पर धकेल देते हैं।
आदिवासी
- आदिवासी शब्द का शाब्दिक अर्थ 'मूल निवासी' है।
- भारत की लगभग 8% आबादी आदिवासी है।
- ज्यादातर खनन और औद्योगिक केंद्र आदिवासी क्षेत्रों में स्थित हैं जैसे जमशेदपुर, राउरकेला, बोकारो और भिलाई।
- भारत में 500 से अधिक विभिन्न आदिवासी समूह हैं।
- वे छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, और उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में हैं।
- ओडिशा में 60 अलग-अलग जनजातीय समूह हैं।
- इनमें बहुत कम पदानुक्रम होता है, जो उन्हें जाति-वर्ण के सिद्धांतों के आधार पर आयोजित समुदायों या राजाओं द्वारा शासित समुदायों से अलग करता है।
मुसलमान
- केवल 4% मुस्लिम बच्चे मदरसों में जाते हैं, जबकि 66% सरकारी स्कूलों और 30% निजी स्कूलों में जाते हैं।
- अन्य अल्पसंख्यकों की तरह, मुस्लिम रीति-रिवाज और प्रथाएं मुख्यधारा से अलग होती हैं।
- कुछ, सभी नहीं, मुसलमान बुर्का पहनते हैं, लंबी दाढ़ी रखते हैं, फेज़ पहनते हैं, जो उन्हें पहचानने के तरीके बन जाते हैं।
- यह अक्सर उन्हें अन्यायपूर्वक व्यवहार करने और भेदभाव करने का बहाना बन जाता है।
मौलिक अधिकारों का आह्वान
- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का उल्लेख है जो हमारे समाज और राजनीति को लोकतांत्रिक बनाते हैं।
- ये अधिकार सभी भारतीयों को समान रूप से उपलब्ध हैं।
- हाशिए पर धकेले गए लोगों ने इन अधिकारों का उपयोग दो तरीकों से किया है:
- वे अपने मौलिक अधिकारों पर ज़ोर देते हुए सरकार को उनके साथ किए गए अन्याय को स्वीकार करने के लिए मजबूर करते हैं.
- वे इन कानूनों को लागू करने के लिए सरकार से आग्रह करते हैं.
- हाशिए पर धकेले गए समूह द्वारा किए गए संघर्षों ने सरकार को मौलिक अधिकारों की भावना के अनुरूप नए कानून बनाने के लिए प्रेरित किया।
- संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है - जिसका अर्थ है कि कोई भी दलितों को खुद को शिक्षित करने, मंदिरों में प्रवेश करने, सार्वजनिक सुविधाओं का उपयोग करने से नहीं रोक सकता।
- अनुच्छेद 15 यह कहता है कि किसी भी भारतीय नागरिक के साथ धर्म, जाति, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
- अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का दंडनीय अपराध बनाता है।
- अनुच्छेद 15 को दलितों द्वारा समानता हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जहां उन्हें अस्वीकार किया गया था।
दलितों विरूद्ध अपराध निवारण अधिनियम
- दलितों और आदिवासियों के खराब संसाधनों को छीनने या उन्हें गुलामी करने के लिए मजबूर करने के लिए किया जाने वाले कार्यों पर रोक लगाने के लिए अधिनियम।
- एक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के कपड़े जबरन उतारने, उसे नग्न या रंगे हुए चेहरे या शरीर के साथ परेड करने या मानवीय गरिमा के लिए अपमानजनक कोई भी कार्य करने पर रोक लगाने के लिए अधिनियम।
- अधिनियम उन लोगों को दंडित करता है:
- जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य द्वारा स्वामित्व या आवंटित भूमि पर गलत तरीके से कब्जा करते हैं या खेती करते हैं या उस भूमि को अपने नाम करा लेते हैं.
- जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की किसी महिला पर हमला करते हैं या उसे अपमानित करने के इरादे से बल प्रयोग करते हैं.
आदिवासी मांग और 1989 का अधिनियम
- 1989 का अधिनियम आदिवासियों को अपनी पारंपरिक भूमि पर कब्जा करने के अधिकार का बचाव करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- आदिवासी अक्सर अपनी भूमि से विस्थापित होते हैं, और आदिवासी कार्यकर्ता मांग करते हैं कि जो लोग आदिवासी भूमि पर जबरन कब्जा कर रहे हैं, उन्हें इस कानून के तहत दंडित किया जाए।
- 1989 का अधिनियम आदिवासियों को संविधान द्वारा प्रदान किया गया वादा करता है, जो भूमि आदिवासियों के पास है, वह गैर-आदिवासी नहीं खरीद सकते हैं।
- यदि ऐसा हुआ है, तो संविधान आदिवासियों को अपनी भूमि वापस लेने का अधिकार देता है।
आदिवासी अधिकारों का उल्लंघन
- आदिवासी कार्यकर्ता सी.के. जनु ने कहा है कि भारतीय राज्य सरकारें आदिवासी लोगों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं क्योंकि वे गैर-आदिवासी अतिक्रमणकारियों जैसे लकड़ी व्यापारियों, कागज मिल व्यापारियों, आदि को अनुमति देती हैं।
- यह आदिवासी भूमि के शोषण और वनों को रिज़र्व या अभयारण्य घोषित करके उनसे आदिवासियों को जबरन विस्थापित करने तक जाता है।
- जनु ने कहा है कि जिन आदिवासियों को पहले ही विस्थापित किया जा चुका है, उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए, और सरकारों को उन्हें कहीं और रहने और काम करने के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए।
वन अधिकार अधिनियम, 2006
- केंद्र सरकार ने 2006 में अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम पारित किया।
- यह अधिनियम वनवासियों की भूमि और संसाधनों पर उनके अधिकारों को मान्यता देने के लिए है।
- यह अधिनियम उनके आवास, खेती योग्य और चराई भूमि, तथा गैर-लकड़ी वन उत्पादों के अधिकार को मान्यता देता है।
- यह अधिनियम वनवासियों के वनों और जैव विविधता के संरक्षण के अधिकार का भी ध्यान रखता है।
हाथ से सफाई
- हाथ से सफाई का मतलब है हाथों से मानव और जानवरों के अपशिष्ट को साफ करना।
- इसे दलित महिलाएं और युवतियां करती हैं।
- सफाई कर्मचारी आंदोलन के अनुसार, भारत में एक लाख दलित समुदाय के लोग यह काम करते हैं।
- यह काम स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
- 1993 में सरकार ने हाथ से सफाई पर रोक लगाने वाला कानून पारित किया, लेकिन यह काम आज भी जारी है।
गेटोइजेशन
- गेटो एक क्षेत्र है जहां एक खास समुदाय के लोग रहते हैं।
- गेटोइजेशन एक प्रक्रिया है जिसके कारण ऐसा होता है।
- यह सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारणों से हो सकता है।
- डर या दुश्मनी से लोगों को अपने समुदाय के साथ रहने के लिए मजबूर किया जाता है।
- "गेटोइज्ड" समुदाय अक्सर बाहर जाने के कम विकल्प होते हैं।
- इससे उन्हें समाज से अलग महसूस होता है।
हाशिए पर होना
- हाशिए पर होना का मतलब है कि किसी चीज़ के केंद्र में नहीं, बल्कि किनारे या हाशिए पर रहना।
- समाज में भी, लोगों के समूह या समुदाय को हाशिए पर धकेल दिया जाता है।
- भाषा, रीति-रिवाज और धर्म के अंतर ये हाशिए पर धकेलने के कुछ कारण हैं।
- हाशिए पर धकेले गए समूहों को दुश्मनी और डर के साथ देखा जाता है।
- फर्क और बहिष्कार की भावना के कारण, इन समुदायों को संसाधनों और अवसरों तक पहुँच नहीं मिल पाती और वे अपने अधिकारों का दावा नहीं कर पाते, जिससे उन्हें समाज के अधिक प्रभावशाली और प्रभुत्वशाली वर्गों के सापेक्ष वंचित और शक्तिहीनता का अनुभव होता है, जो भूमि के मालिक हैं, धनी हैं, अच्छी शिक्षा प्राप्त हैं और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली हैं।
- इसलिए, हाशिए पर होना शायद ही कभी एक क्षेत्र में अनुभव किया जाता है।
- आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारक मिलकर समाज के कुछ समूहों को हाशिए पर महसूस कराने में योगदान देते हैं।
आदिवासी
- आदिवासियों को आदिवासी भी कहा जाता है।
- आदिवासी - शाब्दिक रूप से 'मूल निवासी' का अर्थ है, वे समुदाय जो जंगलों के साथ घनिष्ठ संबंध में रहते थे और अब भी रहते हैं।
- भारत की लगभग 8% आबादी आदिवासी है और देश के अधिकांश खनन और औद्योगिक केंद्र आदिवासी क्षेत्रों में स्थित हैं जैसे - जमशेदपुर, राउरकेला, बोकारो और भिलाई, आदि।
- आदिवासी एक समान समूह नहीं हैं, भारत में 500 से अधिक विभिन्न आदिवासी समूह हैं।
- छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में आदिवासी बड़ी संख्या में रहते हैं।
- ओडिशा में 60 अलग-अलग जनजातीय समूह हैं।
- वे विशिष्ट हैं क्योंकि उनमें अक्सर बहुत कम पदानुक्रम होता है और यह उन्हें जाति-वर्ण (जाति) के सिद्धांतों के आसपास संगठित समुदायों या राजाओं द्वारा शासित समुदायों से मौलिक रूप से अलग बनाता है।
- पिछले 200 वर्षों में, आदिवासियों को आर्थिक परिवर्तनों, वन नीतियों, और राज्य और निजी उद्योग द्वारा लागू राजनीतिक बल के माध्यम से बागानों, निर्माण स्थलों, उद्योगों में मजदूर के रूप में रहने के लिए और घरेलू कामगारों के रूप में पलायन करने के लिए मजबूर किया गया है।
- इतिहास में पहली बार, वे वन क्षेत्रों को नियंत्रित नहीं करते हैं या उन तक बहुत कम प्रत्यक्ष पहुंच है।
- 1830 के दशक के बाद से, झारखंड और आसपास के क्षेत्रों के आदिवासी भारत और दुनिया के विभिन्न बागानों - मॉरीशस, कैरिबियन और यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया में बहुत बड़ी संख्या में चले गए।
- उदाहरण के लिए, अकेले 19वीं शताब्दी में 5 लाख आदिवासियों की इन प्रवासन में मृत्यु हो गई थी।
- भारत का चाय उद्योग असम में उनके श्रम से संभव हुआ।
- आज, अकेले असम में 70 लाख आदिवासी हैं।
वनों का विनाश
- वन क्षेत्रों को लकड़ी के लिए और कृषि और उद्योग के लिए भूमि प्राप्त करने के लिए साफ कर दिया गया है।
- आदिवासी ऐसे क्षेत्रों में भी रहते हैं जो खनिजों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध हैं, जिन्हें खनन और अन्य बड़े औद्योगिक परियोजनाओं के लिए अधिग्रहीत कर लिया गया।
- शक्तिशाली ताकतें आदिवासी भूमि को जबरन लेने के लिए मिलीभगत करती हैं और प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया जाता है।
- आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खानों और खनन परियोजनाओं के कारण विस्थापित व्यक्तियों में से 50% से अधिक आदिवासी हैं।
- आदिवासियों के बीच काम करने वाले संगठनों द्वारा एक हालिया सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चला है कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड राज्यों से विस्थापित व्यक्तियों में से 79% आदिवासी हैं।
- उनकी भूमि के विशाल क्षेत्र स्वतंत्र भारत में बनाए गए सैकड़ों बांधों के पानी के नीचे चले गए हैं।
- पूर्वोत्तर में, उनकी भूमि अत्यधिक सैन्यीकृत बनी हुई है।
- भारत में 103 राष्ट्रीय उद्यान हैं जो 44,372 वर्ग किलोमीटर और 564 वन्यजीव अभयारण्य हैं जो 1,22,509 वर्ग किलोमीटर में फैले हैं।
- ये वे क्षेत्र हैं जहाँ आदिवासी मूल रूप से रहते थे, लेकिन उन्हें निकाल दिया गया था।
- जब वे इन जंगलों में रहना जारी रखते हैं, तब उन्हें अतिक्रमणकारी कहा जाता है।
आदिवासियों का जीवन
- अपनी भूमि और जंगल तक पहुँच खोने का मतलब है कि आदिवासियों को अपनी आजीविका और भोजन के मुख्य स्रोत खोना पड़ता है।
- अपनी पारंपरिक मातृभूमि तक धीरे-धीरे पहुंच खोने के बाद, कई आदिवासी काम की तलाश में शहरों में चले गए हैं जहां उन्हें स्थानीय उद्योगों या निर्माण स्थलों में बहुत कम मजदूरी पर काम पर रखा जाता है।
दलित
- दलित भारत सरकार का ध्यान संविधान की ओर आकर्षित कर सकते हैं और मांग कर सकते हैं कि सरकार इसका पालन करे और उनके साथ न्याय करे।
- अन्य अल्पसंख्यक समूहों ने हमारे संविधान के मौलिक अधिकार अनुभाग का सहारा लिया है।
- उन्होंने विशेष रूप से धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार और सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों पर जोर दिया है।
सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
- सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों के मामले में, मुसलमानों और पारसियों जैसे अलग-अलग सांस्कृतिक और धार्मिक समूहों को अपनी संस्कृति की सामग्री के संरक्षक होने का अधिकार है, साथ ही यह तय करने का अधिकार है कि इस सामग्री को सर्वोत्तम तरीके से कैसे संरक्षित किया जाए।
सांस्कृतिक न्याय
- इस प्रकार, विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक अधिकार प्रदान करके, संविधान ऐसे समूहों को सांस्कृतिक न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
- संविधान ऐसा इसलिए करता है ताकि इन समूहों की संस्कृति को बहुसंख्यक समुदाय की संस्कृति द्वारा न तो दबाया जाए और न ही समाप्त किया जाए।
हाशिए पर रहने वालों के लिए कानून
- हमारे देश में हाशिए पर रहने वालों के लिए विशिष्ट कानून और नीतियां हैं।
सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना
- संविधान को लागू करने का प्रयास करते हुए, राज्य और केंद्र सरकारें दलित और आदिवासी समुदायों के छात्रों के लिए निःशुल्क या रियायती छात्रावास प्रदान करती हैं ताकि वे उन शिक्षा सुविधाओं का लाभ उठा सकें जो उनके इलाकों में उपलब्ध नहीं हो सकती हैं।
- सरकार व्यवस्था में असमानता को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए कानूनों के माध्यम से भी काम करती है।
- ऐसा ही एक कानून/नीति आरक्षण नीति है जो आज महत्वपूर्ण और अत्यधिक विवादास्पद दोनों है।
- दलितों और आदिवासियों के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षित सीटों वाले कानून एक महत्वपूर्ण तर्क पर आधारित हैं कि हमारे जैसे समाज में, सदियों से आबादी के इन वर्गों को सीखने और काम करने के अवसरों से वंचित किया गया है।
- नए कौशल या व्यवसाय विकसित करने के लिए, एक लोकतांत्रिक सरकार को कदम उठाना होगा और इन वर्गों की सहायता करनी होगी।
आरक्षण नीति
- भारत भर में सरकारों और केंद्र सरकार की अनुसूचित जातियों (या दलितों), अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों की अपनी सूची है।
- यानी सरकार को उनके लिए कहीं और रहने और काम करने के लिए योजनाएँ और नीतियाँ बनानी होंगी।
- आखिरकार, सरकारें आदिवासियों से ली गई भूमि पर औद्योगिक या अन्य परियोजनाएँ बनाने पर बड़ी रकम खर्च करती हैं।
वन अधिकार अधिनियम, 2006
- केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 पारित किया।
- अंतिम अधिनियम की प्रस्तावना में कहा गया है कि यह अधिनियम वन निवासियों की भूमि और संसाधनों के अधिकारों को मान्यता न देने के कारण वन निवासियों की आबादी पर किए गए ऐतिहासिक अन्यायों को दूर करने के लिए है।
- यह अधिनियम घरस्थान, कृषि योग्य और चराई भूमि और गैर-लकड़ी वन उत्पादों के प्रति उनके अधिकार को मान्यता देता है।
- अधिनियम यह भी बताता है कि वन निवासियों के अधिकारों में वनों और जैव विविधता का संरक्षण शामिल है।
मैनुअल स्कैवेंजिंग की बुराई
- मैनुअल स्कैवेंजिंग का तात्पर्य सूखी शौचालयों से झाड़ू, टिन की थाली और टोकरियों का उपयोग करके मानव और पशु अपशिष्ट/मल को हटाने और उसे किसी दूर डंपिंग ग्राउंड तक ले जाने की प्रथा से है।
- मैनुअल स्कैवेंजर वह व्यक्ति होता है जो यह काम करता है।
- यह काम मुख्य रूप से दलित महिलाओं और युवतियों द्वारा किया जाता है।
- मैनुअल स्कैवेंजर्स के साथ काम करने वाले आंध्र प्रदेश स्थित सफाई कर्मचारी आंदोलन के अनुसार, इस देश में दलित समुदायों के एक लाख लोग इस काम में लगे हुए हैं और जो नगरपालिकाओं द्वारा संचालित 26 लाख निजी और सामुदायिक सूखी शौचालयों में काम करते हैं।
- मैनुअल स्कैवेंजर्स को काम की अमानवीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें गंभीर स्वास्थ्य खतरों का सामना करना पड़ता है।
- वे लगातार संक्रमणों के संपर्क में आते हैं जो उनकी आंखों, त्वचा, श्वसन और पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं।
- उन्हें अपने द्वारा किए जाने वाले काम के लिए बहुत कम मजदूरी मिलती है।
- शहरी नगरपालिकाओं में काम करने वालों को प्रतिदिन 200 रुपये मिलते हैं और निजी रूप से काम करने वालों को बहुत कम भुगतान मिलता है।
मैनुअल स्कैवेंजिंग का उन्मूलन
- 1993 में, सरकार ने मैनुअल स्कैवेंजर्स का रोजगार और सूखे शौचालयों का निर्माण (निषेध) अधिनियम पारित किया।
- यह कानून मैनुअल स्कैवेंजर्स के रोजगार के साथ-साथ सूखे शौचालयों के निर्माण को प्रतिबंधित करता है।
- 2003 में, सफाई कर्मचारी आंदोलन और 13 अन्य संगठनों और व्यक्तियों, जिनमें सात स्कैवेंजर्स भी शामिल थे, ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की।
- याचिकाकर्ताओं ने शिकायत की कि मैनुअल स्कैवेंजिंग अभी भी मौजूद है और यह रेलवे जैसे सरकारी उपक्रमों में जारी है।
- याचिकाकर्ताओं ने अपने मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग की।
- अदालत ने देखा कि 1993 के कानून के बाद से भारत में मैनुअल स्कैवेंजर्स की संख्या बढ़ी है।
- इसने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्रत्येक विभाग/मंत्रालय को छह महीने के भीतर तथ्यों का सत्यापन करने का निर्देश दिया।
- यदि मैनुअल स्कैवेंजिंग मौजूद पाई जाती है, तो सरकारी विभाग को उनके उद्धार और पुनर्वास के लिए समयबद्ध कार्यक्रम सक्रिय रूप से लेना होगा।
- मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 6 दिसंबर 2013 को लागू हुआ।
गेटोइजेशन
- बस्ती एक ऐसा क्षेत्र या इलाका है जो बड़े पैमाने पर किसी विशेष समुदाय के सदस्यों द्वारा आबाद है।
- गेटोइजेशन उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जो ऐसी स्थिति की ओर ले जाती है।
- ऐसा विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारणों से हो सकता है।
- डर या दुश्मनी भी किसी समुदाय को एक साथ इकट्ठा होने के लिए मजबूर कर सकती है क्योंकि वे अपने ही बीच रहकर अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।
- अक्सर एक 'गेटोइज्ड' समुदाय के पास बाहर जाने के कुछ ही विकल्प होते हैं, जिससे वे समाज के बाकी हिस्सों से अलग हो सकते हैं।
हाशिए पर होना
- हाशिए पर होने का मतलब है कि किनारे या बाहरी हिस्सों पर रहने के लिए मजबूर होना और चीजों के केंद्र में नहीं होना।
- सामाजिक परिवेश में भी, लोगों के समूह या समुदायों को बहिष्कृत किया जा रहा है।
- हाशिए पर होने के कुछ कारणों में अलग-अलग भाषाएँ, अलग-अलग रीति-रिवाज और अलग-अलग धार्मिक समूह शामिल हैं।
- हाशिए पर स्थित समूहों को दुश्मनी और डर से देखा जाता है।
- यह अंतर और बहिष्करण की भावना उन समुदायों को संसाधनों और अवसरों तक पहुँचने से वंचित करती है और अपने अधिकारों का दावा करने में असमर्थ बनाती है, जिससे वे समाज के अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली वर्गों के सापेक्ष वंचितता और शक्तिहीनता की भावना का अनुभव करते हैं जो भूमि के मालिक हैं, धनी हैं, बेहतर शिक्षित हैं और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली हैं।
- इस प्रकार, हाशिए पर होना शायद ही कभी एक क्षेत्र में अनुभव किया जाता है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारक मिलकर समाज के कुछ समूहों को हाशिए पर महसूस कराते हैं।
- आदिवासी समुदायों को आदिवासी भी कहा जाता है।
- आदिवासी - शाब्दिक अर्थ है 'मूल निवासी', वे समुदाय जो जंगलों के साथ घनिष्ठ संबंध में रहते थे और रहते हैं।
- भारत की लगभग 8% आबादी आदिवासी है और देश के अधिकांश खनन और औद्योगिक केंद्र आदिवासी क्षेत्रों में स्थित हैं जैसे जमशेदपुर, राउरकेला, बोकारो और भिलाई, आदि।
- आदिवासी आबादी एक समान नहीं है, भारत में 500 से अधिक विभिन्न आदिवासी समूह हैं।
- वे छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा जैसे राज्यों में कई हैं।
- ओडिशा में 60 अलग-अलग आदिवासी समूह हैं।
- वे विशिष्ट हैं क्योंकि उनके बीच अक्सर बहुत कम पदानुक्रम होता है और यह उन्हें जाति-वर्ण (जाति) के सिद्धांतों के आसपास संगठित समुदायों या उन समुदायों से मौलिक रूप से अलग बनाता है जिन पर राजाओं का शासन था।
- वे उन्हें किसी भी भेदभाव और वंचितता से भी बचाते हैं।
- ऐसे समुदाय जो समाज के बाकी हिस्सों की तुलना में कम संख्या में हैं, अपने जीवन, संपत्ति और कल्याण को लेकर असुरक्षित महसूस कर सकते हैं, जो कि अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदायों के बीच संबंध तनावपूर्ण होने पर बढ़ सकता है।
- संविधान ये सुरक्षा प्रदान करता है क्योंकि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता की रक्षा करने और समानता के साथ-साथ न्याय को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
- न्यायपालिका कानून को बनाए रखने और मौलिक अधिकारों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- भारत का प्रत्येक नागरिक अदालतों में जा सकता है यदि उसे विश्वास है कि उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।
मुसलमान और हाशिए पर
- 2011 की जनगणना के अनुसार, मुसलमान भारत की आबादी का 14.2 प्रतिशत हैं और उन्हें आज भारत में एक हाशिए पर स्थित समुदाय माना जाता है क्योंकि अन्य समुदायों की तुलना में, वे वर्षों से सामाजिक-आर्थिक विकास के लाभों से वंचित रहे हैं।
- यह पहचानते हुए कि भारत में मुसलमान विभिन्न विकास संकेतकों के मामले में पिछड़ रहे थे, सरकार ने 2005 में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया।
- न्यायमूर्ति राजिंदर सचहर की अध्यक्षता में, समिति ने भारत में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति की जाँच की।
- रिपोर्ट में इस समुदाय के हाशिए पर होने का विस्तार से उल्लेख किया गया है।
- यह बताता है कि सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक संकेतकों की एक श्रृंखला पर मुस्लिम समुदाय की स्थिति अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों जैसे अन्य हाशिए पर स्थित समुदायों की स्थिति के समान है।
- उदाहरण के लिए, रिपोर्ट के अनुसार 7-16 वर्ष की आयु के बीच मुस्लिम बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष अन्य सामाजिक-धार्मिक समुदायों की तुलना में बहुत कम हैं।
- 6-14 वर्ष की आयु वर्ग के 25 प्रतिशत मुस्लिम बच्चे या तो कभी स्कूल में दाखिला नहीं ले पाए हैं या छोड़ चुके हैं।
- यह प्रतिशत किसी भी अन्य सामाजिक-धार्मिक समुदाय की तुलना में बहुत अधिक है।
- सचहर समिति की रिपोर्ट ने मुसलमानों के बारे में प्रचलित अन्य मिथकों का भी भंडाफोड़ किया।
- यह आमतौर पर माना जाता है कि मुसलमान अपने बच्चों को मदरसों में भेजना पसंद करते हैं।
दलित
- दलित भारत सरकार का ध्यान संविधान की ओर आकर्षित कर सकते हैं और मांग कर सकते हैं कि सरकार उसका पालन करे और उनके साथ न्याय करे।
- अन्य अल्पसंख्यक समूहों ने हमारे संविधान के मौलिक अधिकार खंड पर ध्यान आकर्षित किया है।
- उन्होंने विशेष रूप से धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार और सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया है।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों के मामले में, मुसलमानों और पारसियों जैसे अलग-अलग सांस्कृतिक और धार्मिक समूहों को अपनी संस्कृति की सामग्री के संरक्षक होने का अधिकार है, साथ ही यह तय करने का अधिकार भी है कि इस सामग्री को कैसे संरक्षित किया जाए।
हाशिए पर रहने वालों के लिए कानून
- हमारे देश में हाशिए पर रहने वालों के लिए विशिष्ट कानून और नीतियां हैं।
सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना
- संविधान को लागू करने का प्रयास करते हुए, राज्य और केंद्र सरकारें दलित और आदिवासी समुदायों के छात्रों के लिए निःशुल्क या रियायती छात्रावास प्रदान करती हैं ताकि वे उन शिक्षा सुविधाओं का लाभ उठा सकें जो उनकी बस्तियों में उपलब्ध नहीं हो सकती हैं।
- सरकार कानूनों के माध्यम से यह भी काम करती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि व्यवस्था में असमानता को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
- ऐसी ही एक कानून/नीति आरक्षण नीति है जो आज महत्वपूर्ण और अत्यधिक विवादास्पद दोनों है।
- दलितों और आदिवासियों के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षित सीटों वाले कानून एक महत्वपूर्ण तर्क पर आधारित हैं कि हमारे जैसे समाज में, सदियों से जनसंख्या के इन वर्गों को सीखने और काम करने के अवसर से वंचित किया गया है।
- नए कौशल या व्यवसायों को विकसित करने के लिए, एक लोकतांत्रिक सरकार को हस्तक्षेप करने और इन वर्गों की सहायता करने की आवश्यकता है।
आरक्षण नीति
- भारत भर में सरकारों और केंद्र सरकार की अपनी अनुसूचित जातियों (या दलितों), अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े और सबसे पिछड़े वर्गों की सूची है।
- किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के व्यक्ति से जबरन कपड़े उतारना या उसे नग्न या रंगे हुए चेहरे या शरीर के साथ परेड करना या इसी तरह का कोई भी कार्य करना जो मानवीय गरिमा के लिए अपमानजनक हो।
- ऐसे कार्य जो दलितों और आदिवासियों को उनके मामूली संसाधनों से वंचित करते हैं या जो उन्हें दास-प्रथा में काम करने के लिए मजबूर करते हैं।
- इस प्रकार, अधिनियम यह दंडित करने का प्रयास करता है कि कोई भी:
- किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के स्वामित्व वाली या आवंटित किसी भी भूमि पर गलत तरीके से कब्जा करता है या उसकी खेती करता है या उसे अपने नाम से आवंटित भूमि हस्तांतरित करवाता है।
- दूसरे स्तर पर, अधिनियम पहचानता है कि दलित और आदिवासी महिलाओं के खिलाफ अपराध एक विशिष्ट प्रकार के हैं और इसलिए, किसी भी व्यक्ति को दंडित करना चाहता है जो किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की किसी भी महिला पर उसे बेइज्जत करने के इरादे से हमला करता है या बल प्रयोग करता है।
आदिवासी माँगें और 1989 का अधिनियम
- 1989 का अधिनियम एक अन्य कारण से महत्वपूर्ण है - आदिवासी कार्यकर्ता पारंपरिक रूप से अपनी भूमि पर कब्जा करने के अपने अधिकार की रक्षा के लिए इसका उल्लेख करते हैं।
- आदिवासी अक्सर अपनी भूमि से नहीं हटना चाहते हैं और उन्हें जबरन विस्थापित किया जाता है।
- कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि जो लोग आदिवासी भूमि पर जबरन अतिक्रमण कर चुके हैं, उन्हें इस कानून के तहत दंडित किया जाना चाहिए।
- उन्होंने इस तथ्य की ओर भी इशारा किया है कि यह अधिनियम केवल संविधान में आदिवासी लोगों से पहले ही किए गए वादे की पुष्टि करता है - कि आदिवासी लोगों की भूमि गैर-आदिवासी लोगों को नहीं बेची जा सकती है और न ही खरीदी जा सकती है।
- ऐसे मामलों में जहां ऐसा हुआ है, संविधान आदिवासी लोगों को अपनी भूमि को पुनः प्राप्त करने का अधिकार देता है।
- एक आदिवासी कार्यकर्ता सी.के. जनू ने यह भी बताया है कि भारत की राज्य सरकारें वास्तव में आदिवासी लोगों को गारंटीकृत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाली हैं क्योंकि ये सरकारें गैर-आदिवासी अतिक्रमणकारियों जैसे लकड़ी व्यापारियों, पेपर मिल व्यापारियों आदि को अनुमति देती हैं।
- इससे आदिवासी भूमि का शोषण होता है और जंगलों को रिजर्व या अभयारण्य घोषित करने की प्रक्रिया में आदिवासी लोगों को उनके पारंपरिक जंगलों से जबरन बेदखल कर दिया जाता है।
- उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसे मामलों में जहां आदिवासियों को पहले ही बेदखल कर दिया गया है और वे अपनी भूमि पर वापस नहीं जा सकते हैं, उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए।
- यानी सरकार को उनके लिए कहीं और रहने और काम करने की योजनाएं और नीतियां बनानी चाहिए।
- आखिरकार, सरकारें आदिवासियों से ली गई भूमि पर औद्योगिक या अन्य परियोजनाएं बनाने पर बड़ी रकम खर्च करती हैं।
क्या आप जानते हैं?
- केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 पारित किया।
- अंतिम अधिनियम की प्रस्तावना में कहा गया है कि यह अधिनियम वन में रहने वाली आबादी के लिए की गई ऐतिहासिक अन्यायों को दूर करने के लिए है, उनके भूमि और संसाधनों के अधिकारों को पहचानने में नहीं।
- यह अधिनियम भूमि, कृषि योग्य और चराई भूमि और गैर-लकड़ी वन उपज के लिए उनके अधिकार को मान्यता देता है।
- अधिनियम यह भी बताता है कि वनवासियों के अधिकारों में वनों और जैव विविधता का संरक्षण शामिल है।
मैनुअल स्कैवेंजिंग का संकट
- मैनुअल स्कैवेंजिंग से तात्पर्य मानव और पशु अपशिष्ट/मल को झाड़ू, टिन की प्लेटों और टोकरियों का उपयोग करके सूखी शौचालयों से हटाने और उसे सिर पर कुछ दूरी पर स्थित निपटान स्थलों तक ले जाने की प्रथा से है।
- मैनुअल स्कैवेंजर वह व्यक्ति है जो यह गंदा काम करता है।
- यह काम मुख्यतः दलित महिलाओं और युवतियों द्वारा किया जाता है।
- आंध्र प्रदेश स्थित सफाई कर्मचारी आंदोलन के अनुसार, मैनुअल स्कैवेंजर्स के साथ काम करने वाला एक संगठन, इस देश में दलित समुदायों के एक लाख लोग इस काम में लगे हुए हैं और जो नगरपालिकाओं द्वारा प्रबंधित 26 लाख निजी और सामुदायिक सूखी शौचालयों में काम करते हैं।
- मैनुअल स्कैवेंजर्स काम करने की अमानवीय परिस्थितियों के संपर्क में आते हैं और गंभीर स्वास्थ्य खतरों का सामना करते हैं।
- वे लगातार संक्रमणों के संपर्क में रहते हैं जो उनकी आंखों, त्वचा, श्वसन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रणालियों को प्रभावित करते हैं।
- उन्हें अपने द्वारा किए जाने वाले काम के लिए बहुत कम मजदूरी मिलती है।
- शहरी नगरपालिकाओं में काम करने वाले लोग प्रतिदिन 200 रुपये कमाते हैं और निजी तौर पर काम करने वालों को बहुत कम भुगतान किया जाता है।
- 1993 में, सरकार ने मैनुअल स्कैवेंजर्स का रोजगार और सूखी शौचालयों का निर्माण (निषेध) अधिनियम पारित किया।
- यह कानून मैनुअल स्कैवेंजर्स के रोजगार के साथ-साथ सूखी शौचालयों के निर्माण पर रोक लगाता है।
- 2003 में, सफाई कर्मचारी आंदोलन और 13 अन्य संगठनों और व्यक्तियों, जिनमें सात स्कैवेंजर्स भी शामिल थे, ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की।
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इस क्विज में भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो मुस्लिम बच्चों की शिक्षा, भेदभाव, और अस्पृश्यता के उन्मूलन से संबंधित हैं। यह आपको मौलिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के महत्व को समझने में मदद करेगा। संविधान की जानकारी और इसके कानूनों के अनुपालन पर आपका ज्ञान परखा जाएगा।