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Questions and Answers
संविधान सभा का गठन कब हुआ?
संविधान सभा का गठन कब हुआ?
- 6 दिसंबर 1946 (correct)
- 15 अगस्त 1947
- 2 सितंबर 1946
- 22 जनवरी 1947
संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे?
संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे?
- 199
- 345
- 299 (correct)
- 250
कौन संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे?
कौन संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे?
- डॉ. बी आर अंबेडकर (correct)
- जवाहर लाल नेहरू
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
- वल्लभभाई पटेल
संविधान सभा को 'भारत का संविधान' कब पारित किया गया?
संविधान सभा को 'भारत का संविधान' कब पारित किया गया?
कौन सा सदस्य संघी संवैधानिक समिति का अध्यक्ष था?
कौन सा सदस्य संघी संवैधानिक समिति का अध्यक्ष था?
संविधान सभा के उद्देश्यों के प्रस्ताव कब पारित हुए?
संविधान सभा के उद्देश्यों के प्रस्ताव कब पारित हुए?
कौन सा प्रमुख सदस्य राज्य समिति का अध्यक्ष था?
कौन सा प्रमुख सदस्य राज्य समिति का अध्यक्ष था?
संविधान सभा की अंतिम बैठक कब हुई?
संविधान सभा की अंतिम बैठक कब हुई?
संविधान सभा की कौन सी समिति प्रांतीय संवैधानिक मामलों पर कार्यरत थी?
संविधान सभा की कौन सी समिति प्रांतीय संवैधानिक मामलों पर कार्यरत थी?
संविधान सभा के किस अध्यक्ष ने 22 जनवरी 1950 को 'भारत का संविधान' लागू होने का निर्णय लिया?
संविधान सभा के किस अध्यक्ष ने 22 जनवरी 1950 को 'भारत का संविधान' लागू होने का निर्णय लिया?
भारतीय संविधान की मूल संरचना का उद्देश्य क्या है?
भारतीय संविधान की मूल संरचना का उद्देश्य क्या है?
संविधान में मौलिक अधिकारों का क्या महत्व है?
संविधान में मौलिक अधिकारों का क्या महत्व है?
संविधान सभा का मसौदा किसने तैयार किया था?
संविधान सभा का मसौदा किसने तैयार किया था?
संविधान निर्माण में किन मुद्दों का समावेश किया गया है?
संविधान निर्माण में किन मुद्दों का समावेश किया गया है?
संविधान के निर्माण के लिए क्या आवश्यक है?
संविधान के निर्माण के लिए क्या आवश्यक है?
संविधान का उद्देश्य भेदभाव को कैसे समाप्त करना है?
संविधान का उद्देश्य भेदभाव को कैसे समाप्त करना है?
संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई थी?
संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई थी?
किस तथ्य के अंतर्गत संविधान की वैधता निर्धारित होती है?
किस तथ्य के अंतर्गत संविधान की वैधता निर्धारित होती है?
संविधान का उद्देश क्या है?
संविधान का उद्देश क्या है?
भारतीय संविधान की घटना ने किस पर जोर दिया है?
भारतीय संविधान की घटना ने किस पर जोर दिया है?
भारतीय संविधान के कौन से संशोधन ने 'संप्रभु लोकतांत्रिक गणतंत्र' को 'संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणतंत्र' में बदल दिया?
भारतीय संविधान के कौन से संशोधन ने 'संप्रभु लोकतांत्रिक गणतंत्र' को 'संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणतंत्र' में बदल दिया?
गोपालि केस में सुप्रीम कोर्ट का निष्कर्ष क्या था?
गोपालि केस में सुप्रीम कोर्ट का निष्कर्ष क्या था?
भारतीय संविधान में जिमत संग्रह के अंतर्गत शासन प्रणाली का क्या उद्देश्य होता है?
भारतीय संविधान में जिमत संग्रह के अंतर्गत शासन प्रणाली का क्या उद्देश्य होता है?
भारतीय संविधान में जिन प्रमुख स्रोतों को नजरअंदाज किया जा सकता है उनमें से कौन सा सही है?
भारतीय संविधान में जिन प्रमुख स्रोतों को नजरअंदाज किया जा सकता है उनमें से कौन सा सही है?
शंकरी प्रसाद केस का मुख्य मुद्दा क्या था?
शंकरी प्रसाद केस का मुख्य मुद्दा क्या था?
बेरुबरी यूनियन केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
बेरुबरी यूनियन केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
भारतीय संविधान में उच्चतम न्यायालय का क्या कार्य है?
भारतीय संविधान में उच्चतम न्यायालय का क्या कार्य है?
गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्या निष्कर्ष निकाला?
गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्या निष्कर्ष निकाला?
संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद के संशोधन की शक्तियों की व्याख्या करता है?
संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद के संशोधन की शक्तियों की व्याख्या करता है?
भारतीय संविधान के पहले संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
भारतीय संविधान के पहले संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
केसवाणी भारती केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्णय लिया?
केसवाणी भारती केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्या निर्णय लिया?
मेिका गांधी मामले में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा क्या था?
मेिका गांधी मामले में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा क्या था?
भारतीय संविधान के अनुसार संघ की संसद में कितने सदस्य होते हैं?
भारतीय संविधान के अनुसार संघ की संसद में कितने सदस्य होते हैं?
किस संशोधन के द्वारा राज्य की चुनाव प्रक्रिया की व्याख्या की गई है?
किस संशोधन के द्वारा राज्य की चुनाव प्रक्रिया की व्याख्या की गई है?
एमसी मेहता और भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किस विषय पर निर्णय दिया?
एमसी मेहता और भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किस विषय पर निर्णय दिया?
इंदिरा सावनी और भारत संघ मामले का मुख्य विषय क्या था?
इंदिरा सावनी और भारत संघ मामले का मुख्य विषय क्या था?
अधिकतम न्यायिक समीक्षा की अवधारणा भारतीय संविधान में कब मान्यता प्राप्त हुई?
अधिकतम न्यायिक समीक्षा की अवधारणा भारतीय संविधान में कब मान्यता प्राप्त हुई?
विशाखा और राज्य मामले में Supreme Court ने क्या निर्णय दिया?
विशाखा और राज्य मामले में Supreme Court ने क्या निर्णय दिया?
किस संशोधन ने माल और सेवा कर (GST) का परिचय दिया?
किस संशोधन ने माल और सेवा कर (GST) का परिचय दिया?
संविधान सभा की कितनी प्रमुख समितियाँ थीं?
संविधान सभा की कितनी प्रमुख समितियाँ थीं?
कौन से भाषण में 13 दिसंबर, 1946 को उद्देश्यों का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था?
कौन से भाषण में 13 दिसंबर, 1946 को उद्देश्यों का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था?
संविधान सभा के कुल कितने सदस्यों ने योजना को मंजूरी दी थी?
संविधान सभा के कुल कितने सदस्यों ने योजना को मंजूरी दी थी?
संविधान सभा का गठन किस तिथि को हुआ?
संविधान सभा का गठन किस तिथि को हुआ?
किस समिति का अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू था?
किस समिति का अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू था?
भारत के संविधान का अनावरण किस तिथि को हुआ?
भारत के संविधान का अनावरण किस तिथि को हुआ?
संविधान सभा की किस समिति का अध्यक्ष वल्लभभाई पटेल था?
संविधान सभा की किस समिति का अध्यक्ष वल्लभभाई पटेल था?
संविधान सभा का अंतिम बैठक किस तिथि को हुई?
संविधान सभा का अंतिम बैठक किस तिथि को हुई?
किस सदस्य ने संविधान सभा की बैठक में 'भारत का संविधान' की प्रारूप पेश की?
किस सदस्य ने संविधान सभा की बैठक में 'भारत का संविधान' की प्रारूप पेश की?
संविधान सभा में कुल कितने प्रवतनिशध थे?
संविधान सभा में कुल कितने प्रवतनिशध थे?
संविधान की मूल संरचना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
संविधान की मूल संरचना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई थी?
संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई थी?
भारत के संविधान की वैधता किससे निर्धारित होती है?
भारत के संविधान की वैधता किससे निर्धारित होती है?
संविधान का उद्देश्य भेदभाव को समाप्त करने में कैसे मदद करता है?
संविधान का उद्देश्य भेदभाव को समाप्त करने में कैसे मदद करता है?
संविधान में मौलिक अधिकारों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
संविधान में मौलिक अधिकारों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
संविधान का निर्माण किस प्रक्रिया के माध्यम से होता है?
संविधान का निर्माण किस प्रक्रिया के माध्यम से होता है?
संविधान की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक क्या है?
संविधान की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक क्या है?
एक आदर्श संविधान को किस बात का ध्यान रखना चाहिए?
एक आदर्श संविधान को किस बात का ध्यान रखना चाहिए?
संविधान का निर्माण मुख्य रूप से किस उद्देश्य से किया गया था?
संविधान का निर्माण मुख्य रूप से किस उद्देश्य से किया गया था?
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की उपस्थिति का क्या महत्व है?
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की उपस्थिति का क्या महत्व है?
गोपालि केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस धारणा पर निष्कर्ष निकाला?
गोपालि केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस धारणा पर निष्कर्ष निकाला?
गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस विषय पर निर्णय दिया?
गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस विषय पर निर्णय दिया?
शंकरी प्रसाद केस का मुख्य मुद्दा क्या था?
शंकरी प्रसाद केस का मुख्य मुद्दा क्या था?
मेिका गांधी मामले का मुख्य प्रश्न क्या था?
मेिका गांधी मामले का मुख्य प्रश्न क्या था?
बेरुबरी यूनियन केस में सुप्रीम कोर्ट का क्या निष्कर्ष था?
बेरुबरी यूनियन केस में सुप्रीम कोर्ट का क्या निष्कर्ष था?
इंदिरा सावनी और भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किस विषय पर विचार किया?
इंदिरा सावनी और भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किस विषय पर विचार किया?
एमसी मेहता और भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किस प्रमुख मुद्दे पर निर्णय दिया?
एमसी मेहता और भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किस प्रमुख मुद्दे पर निर्णय दिया?
विशाखा और राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिशानिर्देश दिए?
विशाखा और राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिशानिर्देश दिए?
गोलकनाथ केस में संसद को किन सीमा में संशोधन करने की शक्ति नहीं दी गई थी?
गोलकनाथ केस में संसद को किन सीमा में संशोधन करने की शक्ति नहीं दी गई थी?
बेरुबरी यूनियन केस में दी गई सर्वोच्च अदालत की पहचान क्या थी?
बेरुबरी यूनियन केस में दी गई सर्वोच्च अदालत की पहचान क्या थी?
भारतीय संविधान में 'बुनियादी संरचना' का सिद्धांत किस मामले में पहली बार मान्यता प्राप्त की गई?
भारतीय संविधान में 'बुनियादी संरचना' का सिद्धांत किस मामले में पहली बार मान्यता प्राप्त की गई?
भारतीय संविधान के 42 वें संशोधन में 'संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य' का स्वरूप क्या बदला गया?
भारतीय संविधान के 42 वें संशोधन में 'संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य' का स्वरूप क्या बदला गया?
भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद की संशोधन शक्तियों की व्याख्या करता है?
भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद की संशोधन शक्तियों की व्याख्या करता है?
भारतीय संविधान में जिमत संग्रह का किस उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाता है?
भारतीय संविधान में जिमत संग्रह का किस उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाता है?
सवोच्च न्यायालय को संसद द्वारा पारित किसी कानून की संवैधानिक वैधता पर विचार करने का अधिकार किस अनुच्छेद द्वारा मिलता है?
सवोच्च न्यायालय को संसद द्वारा पारित किसी कानून की संवैधानिक वैधता पर विचार करने का अधिकार किस अनुच्छेद द्वारा मिलता है?
भारत सरकार अधिनियम, 1935 से कौन सा तत्व भारतीय संविधान में शामिल किया गया है?
भारत सरकार अधिनियम, 1935 से कौन सा तत्व भारतीय संविधान में शामिल किया गया है?
किस संशोधन ने 'माल और सेवा कर' (GST) का परिचय दिया?
किस संशोधन ने 'माल और सेवा कर' (GST) का परिचय दिया?
42 वें संशोधन के दौरान जो शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए, वे क्या हैं?
42 वें संशोधन के दौरान जो शब्द भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए, वे क्या हैं?
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की व्याख्या किस अनुच्छेद में की गई है?
भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की व्याख्या किस अनुच्छेद में की गई है?
77 वें संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
77 वें संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
संविधान सभा में कुल कितनी समितियाँ थीं?
संविधान सभा में कुल कितनी समितियाँ थीं?
कौन से प्रमुख सदस्य मसौदा समिति के अध्यक्ष थे?
कौन से प्रमुख सदस्य मसौदा समिति के अध्यक्ष थे?
संविधान सभा का गठन किस तिथि को किया गया?
संविधान सभा का गठन किस तिथि को किया गया?
किस तिथि को भारत का संविधान लागू हुआ?
किस तिथि को भारत का संविधान लागू हुआ?
उद्देश्य संकल्प कब पारित हुआ?
उद्देश्य संकल्प कब पारित हुआ?
संविधान सभा की किस समिति ने राष्ट्रीय ध्वज के प्रस्ताव को मंजूरी दी?
संविधान सभा की किस समिति ने राष्ट्रीय ध्वज के प्रस्ताव को मंजूरी दी?
भारत की अंतरिम सरकार का गठन कब किया गया था?
भारत की अंतरिम सरकार का गठन कब किया गया था?
किस प्रमुख सदस्य ने सलाहकार समिति का अध्यक्षता की?
किस प्रमुख सदस्य ने सलाहकार समिति का अध्यक्षता की?
संविधान सभा की अंतिम बैठक में कितने सदस्यों ने हस्ताक्षर किए?
संविधान सभा की अंतिम बैठक में कितने सदस्यों ने हस्ताक्षर किए?
संविधान सभा ने कितने प्रमुख सवमवत्यों की स्थापना की थी?
संविधान सभा ने कितने प्रमुख सवमवत्यों की स्थापना की थी?
गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस विषय पर निर्णय दिया?
गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस विषय पर निर्णय दिया?
शंकरी प्रसाद केस में एससी ने किस अधिकार को चुनौती दी?
शंकरी प्रसाद केस में एससी ने किस अधिकार को चुनौती दी?
बेरुबरी यूनियन केस में कौन सी धाराओं की समीक्षा की गई?
बेरुबरी यूनियन केस में कौन सी धाराओं की समीक्षा की गई?
मेिका गांधी मामले में किस अधिकार पर बहस हुई थी?
मेिका गांधी मामले में किस अधिकार पर बहस हुई थी?
इंदिरा सावनी केस में एससी ने किस अनुच्छेद की सीमा की जांच की?
इंदिरा सावनी केस में एससी ने किस अनुच्छेद की सीमा की जांच की?
एमसी मेहता और भारत संघ मामले में एससी ने किस उपाय की पुष्टि की?
एमसी मेहता और भारत संघ मामले में एससी ने किस उपाय की पुष्टि की?
विशाखा और राज्य मामले में किस मुद्दे को संबोधित किया गया?
विशाखा और राज्य मामले में किस मुद्दे को संबोधित किया गया?
गोपाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस अनुछेद का उल्लेख किया?
गोपाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस अनुछेद का उल्लेख किया?
केसवाणी भारती केस में किस मूल संरचना का उल्लेख किया गया?
केसवाणी भारती केस में किस मूल संरचना का उल्लेख किया गया?
बेरुबरी यूनियन केस में किस समझौते को निष्पादित करने के लिए 9 वें संशोधन को पारित किया गया?
बेरुबरी यूनियन केस में किस समझौते को निष्पादित करने के लिए 9 वें संशोधन को पारित किया गया?
भारत के संविधान की निर्माण प्रक्रिया में किस तत्व का योगदान महत्वपूर्ण था?
भारत के संविधान की निर्माण प्रक्रिया में किस तत्व का योगदान महत्वपूर्ण था?
संविधान सभा का क्या उद्देश्य था?
संविधान सभा का क्या उद्देश्य था?
संविधान की मूल संरचना के अंतर्गत किस प्रकार की मौलिक पहचान को स्वीकार किया गया है?
संविधान की मूल संरचना के अंतर्गत किस प्रकार की मौलिक पहचान को स्वीकार किया गया है?
एक आदर्श संविधान की क्या विशेषता होनी चाहिए?
एक आदर्श संविधान की क्या विशेषता होनी चाहिए?
भारत के संविधान में किन बातों का समावेश किया गया है?
भारत के संविधान में किन बातों का समावेश किया गया है?
संविधान के निर्माण के लिए आवश्यक शर्तों में कौन-सी महत्वपूर्ण है?
संविधान के निर्माण के लिए आवश्यक शर्तों में कौन-सी महत्वपूर्ण है?
संविधान सभा का किस प्रकार का गठन किया गया था?
संविधान सभा का किस प्रकार का गठन किया गया था?
एक संविधान का उद्देश्य क्या होना चाहिए?
एक संविधान का उद्देश्य क्या होना चाहिए?
संविधान में मौलिक अधिकारों का क्या महत्व है?
संविधान में मौलिक अधिकारों का क्या महत्व है?
संविधान सभा की पहली बैठक का महत्व क्या था?
संविधान सभा की पहली बैठक का महत्व क्या था?
भारतीय संविधान का कौन सा संशोधन भारत को 'संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य' में परिवर्तित करता है?
भारतीय संविधान का कौन सा संशोधन भारत को 'संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य' में परिवर्तित करता है?
भारतीय संविधान की मूल संरचना को नष्ट या विकृत नहीं किया जा सकता, यह अवधारणा कब मान्यता प्राप्त हुई?
भारतीय संविधान की मूल संरचना को नष्ट या विकृत नहीं किया जा सकता, यह अवधारणा कब मान्यता प्राप्त हुई?
भारतीय संविधान में आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों के निलंबन से संबंधित प्रावधान कहाँ दर्ज हैं?
भारतीय संविधान में आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों के निलंबन से संबंधित प्रावधान कहाँ दर्ज हैं?
संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद की संशोधन की शक्तियों की व्याख्या करता है?
संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद की संशोधन की शक्तियों की व्याख्या करता है?
भारतीय संविधान में पहली बार 'सर्वोच्च न्यायालय' द्वारा किसी कानून की संवैधानिकता की जांच करने का अधिकार कब दिया गया?
भारतीय संविधान में पहली बार 'सर्वोच्च न्यायालय' द्वारा किसी कानून की संवैधानिकता की जांच करने का अधिकार कब दिया गया?
संविधान सभा का कार्य किस उद्देश्य के लिए किया गया था?
संविधान सभा का कार्य किस उद्देश्य के लिए किया गया था?
भारतीय संविधान में विद्यमान मौलिक कर्तव्यों की संख्या कितनी है?
भारतीय संविधान में विद्यमान मौलिक कर्तव्यों की संख्या कितनी है?
भारत की संसद में कौन सा सदन उच्च सदन के रूप में कार्य करता है?
भारत की संसद में कौन सा सदन उच्च सदन के रूप में कार्य करता है?
किस संशोधन के माध्यम से माल और सेवा कर (GST) को भारतीय संविधान में शामिल किया गया?
किस संशोधन के माध्यम से माल और सेवा कर (GST) को भारतीय संविधान में शामिल किया गया?
भारत सरकार अधिनियम, 1935 से कौन सी व्यवस्था भारतीय संविधान में लागू की गई थी?
भारत सरकार अधिनियम, 1935 से कौन सी व्यवस्था भारतीय संविधान में लागू की गई थी?
संविधान सभा में कितनी प्रमुख समितियाँ थीं?
संविधान सभा में कितनी प्रमुख समितियाँ थीं?
कौन सा सदस्य मसौदा समिति का अध्यक्ष था?
कौन सा सदस्य मसौदा समिति का अध्यक्ष था?
संकल्प को संवैधानिक रूप से कब पारित किया गया?
संकल्प को संवैधानिक रूप से कब पारित किया गया?
संविधान सभा की अंतिम बैठक कब हुई थी?
संविधान सभा की अंतिम बैठक कब हुई थी?
संविधान सभा की सलाहकार समिति का अध्यक्ष कौन था?
संविधान सभा की सलाहकार समिति का अध्यक्ष कौन था?
संबिधान सभा की सवमवतों का कुल संख्या क्या थी?
संबिधान सभा की सवमवतों का कुल संख्या क्या थी?
किस तारीख को भारत का संविधान लागू हुआ?
किस तारीख को भारत का संविधान लागू हुआ?
कौन से सदस्य को संघ शशक्त सवमवत का अध्यक्ष चुना गया था?
कौन से सदस्य को संघ शशक्त सवमवत का अध्यक्ष चुना गया था?
संविधान सभा के किस सदस्य ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की?
संविधान सभा के किस सदस्य ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की?
संविधान सभा का गठन किस तिथि को हुआ?
संविधान सभा का गठन किस तिथि को हुआ?
भारत का संविधान किस प्रकार की सहमति पर आधारित है?
भारत का संविधान किस प्रकार की सहमति पर आधारित है?
संविधान की जिसकी संरचना आधारित है, वह क्या है?
संविधान की जिसकी संरचना आधारित है, वह क्या है?
संविधान का क्या उद्देश्य है?
संविधान का क्या उद्देश्य है?
संविधान में विभिन्न मामलों और समाज की श्रेणी को कैसे बांधने का प्रयास किया गया है?
संविधान में विभिन्न मामलों और समाज की श्रेणी को कैसे बांधने का प्रयास किया गया है?
संविधान की संरचना द्वारा सुनिश्चित की गई शर्त क्या है?
संविधान की संरचना द्वारा सुनिश्चित की गई शर्त क्या है?
भारत के संविधान के निर्माण में जो सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, वह क्या है?
भारत के संविधान के निर्माण में जो सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, वह क्या है?
संविधान सभा ने संविधान को कब साकार किया?
संविधान सभा ने संविधान को कब साकार किया?
संविधान का कौन सा पहलू राष्ट्र की संयुक्तता को प्रभावित करता है?
संविधान का कौन सा पहलू राष्ट्र की संयुक्तता को प्रभावित करता है?
संविधान सभा का गठन किसके द्वारा प्रस्तावित किया गया था?
संविधान सभा का गठन किसके द्वारा प्रस्तावित किया गया था?
संविधान में अलग-अलग समुदायों की पहचान को किस प्रकार का महत्व दिया गया है?
संविधान में अलग-अलग समुदायों की पहचान को किस प्रकार का महत्व दिया गया है?
भारतीय संविधान के अनुसार, कौन सा संशोधन 'संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य' को 'संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य' में बदलने के लिए जिम्मेदार था?
भारतीय संविधान के अनुसार, कौन सा संशोधन 'संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य' को 'संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य' में बदलने के लिए जिम्मेदार था?
भारतीय संविधान की मूल संरचना की रक्षा के ਲਈ सवोच्च न्यायालय की निर्णय शक्ति किस अनुच्छेद के तहत दी गई है?
भारतीय संविधान की मूल संरचना की रक्षा के ਲਈ सवोच्च न्यायालय की निर्णय शक्ति किस अनुच्छेद के तहत दी गई है?
भारत में संसदीय लोकतंत्र की संरचना के तहत, लोक सभा के सदस्यों का चुनाव किस प्रक्रिया के द्वारा होता है?
भारत में संसदीय लोकतंत्र की संरचना के तहत, लोक सभा के सदस्यों का चुनाव किस प्रक्रिया के द्वारा होता है?
भारतीय संविधान के 44वें संशोधन में क्या किया गया?
भारतीय संविधान के 44वें संशोधन में क्या किया गया?
भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने संसद और राज्य विधायिकाओं के संदर्भ में किस प्रकार की शक्तियां दीं?
भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने संसद और राज्य विधायिकाओं के संदर्भ में किस प्रकार की शक्तियां दीं?
संसद के सदस्य किस अनुच्छेद के तहत अपने कार्य संबंधी विवादों को निपटाते हैं?
संसद के सदस्य किस अनुच्छेद के तहत अपने कार्य संबंधी विवादों को निपटाते हैं?
भारतीय संविधान में जनमत संग्रह का उपयोग किस प्रकार के मामलों के लिए किया जाता है?
भारतीय संविधान में जनमत संग्रह का उपयोग किस प्रकार के मामलों के लिए किया जाता है?
42वें संशोधन के दौरान, कौन सी अवधारणा को संविधान में जोड़ा गया था?
42वें संशोधन के दौरान, कौन सी अवधारणा को संविधान में जोड़ा गया था?
भारतीय संविधान की समाप्ति के समय कितने अनुच्छेद थे?
भारतीय संविधान की समाप्ति के समय कितने अनुच्छेद थे?
1951 का पहला संशोधन भारतीय संविधान के किस क्षेत्र से संबंधित है?
1951 का पहला संशोधन भारतीय संविधान के किस क्षेत्र से संबंधित है?
गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस संविधान संशोधन की शक्षमता पर सवाल उठाया?
गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस संविधान संशोधन की शक्षमता पर सवाल उठाया?
शंकरी प्रसाद केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस उच्चतम अनुच्छेद के तहत संसद की शक्ति को मान्यता दी?
शंकरी प्रसाद केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस उच्चतम अनुच्छेद के तहत संसद की शक्ति को मान्यता दी?
क्या इंदिरा सावणी और भारत संघ मामले में आरक्षण की वैधता को शर्तों के साथ बरकरार रखा गया था?
क्या इंदिरा सावणी और भारत संघ मामले में आरक्षण की वैधता को शर्तों के साथ बरकरार रखा गया था?
बेरुबरी यूनियन केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस अनुच्छेद की जांच की?
बेरुबरी यूनियन केस में सुप्रीम कोर्ट ने किस अनुच्छेद की जांच की?
गोपालि केस में सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि निवारक निरोध अधिनियम के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ, यदि क्या था?
गोपालि केस में सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि निवारक निरोध अधिनियम के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ, यदि क्या था?
मेिका गांधी मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त की गई स्वतंत्रता का अर्थ क्या था?
मेिका गांधी मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त की गई स्वतंत्रता का अर्थ क्या था?
किस मामले में एससी ने नियोक्ताओं के साथ-साथ अन्य व्यक्तियों को यौन उत्पीड़न की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए?
किस मामले में एससी ने नियोक्ताओं के साथ-साथ अन्य व्यक्तियों को यौन उत्पीड़न की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए?
एमसी मेहता और भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किस अनुच्छेद के अंतर्गत अधिकारों का उल्लंघन होने पर उपचार प्रदान किया?
एमसी मेहता और भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किस अनुच्छेद के अंतर्गत अधिकारों का उल्लंघन होने पर उपचार प्रदान किया?
गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने संसद को कौन सी प्रक्रिया पर रोक कैसे लगाई?
गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने संसद को कौन सी प्रक्रिया पर रोक कैसे लगाई?
किस मामले में संसद की शक्तियों को मूल ढांचे से परे देखकर की गई आलोचना की गई?
किस मामले में संसद की शक्तियों को मूल ढांचे से परे देखकर की गई आलोचना की गई?
Study Notes
भारतीय संविधान - निर्माण और संशोधन
- भारत एक विविध देश है और उसके लोगों को साथ में रहने के लिए बुनियादी नियमों की आवश्यकता है।
- ब्रिटिश शासन के दौरान नियम कानून British Raj के कानून और नियम पर आधारित थे।
- स्वतंत्रता के बाद, एक संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा का गठन किया गया, जिसने देश को एक साथ लाने के लिए विभिन्न वर्गों के लोगों की आकांक्षाओं को संबोधित किया।
- संविधान सभा में कुल 299 सदस्य थे, जिनमें 15 महिलाएँ शामिल थीं।
- संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को दिल्ली में हुई, जिसमें डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 11 दिसंबर, 1946 को अध्यक्ष और एच.सी. मुखर्जी को उपाध्यक्ष चुना गया।
- प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा संविधान सभा के लिए सदस्यों का चुनाव किया गया था।
- “उद्देश्य प्रस्ताव” 13 दिसंबर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा पेश किया गया था, जिसमें संविधान के निर्माण के लिए दिशा-निर्देश तय किए गए थे। यह संकल्प 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा स्वीकार किया गया था।
- भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा स्वीकार किया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
- संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां शामिल हैं।
- संविधान बनाने वालों ने विभिन्न देशों के संविधानों से प्रेरणा ली, जिनमें शामिल हैं:
भारतीय संविधान के स्रोत
- भारत सरकार अधिनियम, 1935: संघीय प्रावधान, राज्यपाल पद, न्यायपालिका, लोक सेवा आयोग, आपातकालीन प्रावधान, और प्रशासनिक विवरण इस अधिनियम से लिए गए थे।
- शिटेिि (ब्रिटेन): संसदीय शासन, एकल नागरिकता, कानून का शासन, रिट, मंत्रिमंडल प्रणाली, विधायी प्रक्रिया, विशेषाधिकारित रिट।
- अमेरिका का संविधान: मौलिक अधिकार, न्यायिक समीक्षा, अमेरिकी संविधान की न्यायपालिका की स्वतंत्रता, राष्ट्रपति का महाभियोग, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और उपराष्ट्रपति को हटाना।
- आयरिश संविधान: राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत।
- कनाडाई संविधान: एक मजबूत केंद्र के साथ संघ, केंद्र के साथ अवशिष्ट शक्तियां, समवर्ती सूची, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति, और सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार क्षेत्राधिकार।
- ऑस्ट्रेलियाई संविधान: व्यापार, वाणिज्य की स्वतंत्रता, और संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक।
- वीमर संविधान (जर्मनी): आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन।
- सोवियत संविधान: मौलिक कर्तव्यों, प्रस्तावना में न्याय का आदर्श (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक), सोवियत संघ के संविधान के मॉडल पर आधारित। (1976 में 42 वें संशोधन के माध्यम से मौलिक कर्तव्यों पर जोर दिया गया)
- फ्रांसीसी संविधान: प्रस्तावना में गणतंत्र, स्वतंत्रता के आदर्श, समानता, बंधुत्व।
- दक्षिण अफ्रीकी संविधान: संविधान में संशोधन की प्रक्रिया, राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव।
भारतीय संविधान की मूल संरचना
- संविधान के अनुसार, भारत में संसद और राज्य विधानसभाओं को अपने-अपने न्यायालयों के भीतर कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है, लेकिन यह शक्ति पूर्ण नहीं है।
- संविधान न्यायपालिका में निहित है, जो सभी कानूनों की संवैधानिक वैधता पर निर्णय लेने की शक्ति रखती है।
- संविधान का अनुच्छेद 368 यह धारणा देता है कि संसद की संशोधन शक्तियां दस्तावेज के सभी भागों को निरपेक्ष और समग्र बनाती हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आजादी के बाद से संसद के विधायी उत्साह पर रोक लगाने का काम किया है।
- संविधान निर्माताओं द्वारा लागू किए गए मूल मूल्यों को संरक्षित करने के इरादे से, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संसद संविधान में संशोधन के बहाने संविधान की बुनियादी विशेषताओं को नुकसान नहीं पहुंचा सकती है। वाक्यांश "बुनियादी संरचना" स्वयं संविधान में नहीं पाती है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने 1973 में ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामले में पहली बार इसे स्वीकार किया।
भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता
- 42 वें संशोधन ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को "संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य" से "संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य" में बदल दिया।
- इस संशोधन ने 1976 में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लागू किया गया था।
भारतीय संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन
- पहला संशोधन अधिनियम, 1951: सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान करने के लिए राज्य को सशक्त बनाया गया। भूमि सुधार और उसमें शामिल अन्य कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया।
- 7 वां संशोधन अधिनियम, 1956: राज्य पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने के लिए लाया गया।
- 10 वां संशोधन अधिनियम, 1961: भारत के संघ में मुक्त दादरा और नगर हवेली के क्षेत्रों को एकीकृत किया।
- 42 वां संशोधन अधिनियम, 1976: "संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य" के रूप में भारत के चारित्रिक को "संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य" में बदल दिया गया। अनुच्छेद 74 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राष्ट्रपति अपने कार्यों के निर्वहन में मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार काम करेंगे।
- 43 वां संशोधन अधिनियम, 1978: सर्वोच्च न्यायालय की राज्य कानून की संवैधानिक वैधता पर विचार करने की शक्ति की पुष्टि करने के लिए अनुच्छेद 32 ए डाला गया। केंद्र के संघ की किसी भी सशस्त्र बल को तैनात करने में सीमा लगाने के लिए संविधान में अनुच्छेद 257 ए जोड़ा गया। अनुच्छेद 14, 19 या 31 में निहित मौलिक अधिकारों से संबंधित सभी मूल सिद्धांतों को प्राथमिकता दी। संविधान में IV-ए नामक एक नया भाग बनाने के लिए अनुच्छेद 51-ए डाला गया, जिसमें नागरिकों को मौलिक कर्तव्य निर्धारित किए गए। राष्ट्रपति को देश के किसी भी हिस्से में आपातकाल की घोषणा करने के लिए अधिकृत किया गया।
- 44 वां संशोधन अधिनियम, 1978: मौलिक अधिकारों की सूची से संपत्ति का अधिकार और कानूनी अधिकार घोषित किया गया।
- 52 वां संशोधन अधिनियम, 1985: एक राजनीतिक दल से दूसरे संसद सदस्यों और राज्य विधानसभाओं के दल-बदल को रोकने के लिए।
- 73 वां संशोधन अधिनियम, 1992: अनुच्छेद 243 ए और एक नई अनुसूची के अतिरिक्त संविधान में एक अलग भाग IX जोड़ा गया, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियों और कार्यों को शामिल किया गया है। ग्यारहवीं अनुसूची को इसमें शामिल किया गया।
- 74 वां संशोधन अधिनियम, 1992: शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। एक नया प्रोग्राम जोड़ा गया, जिसे बारहवीं अनुसूची कहा जाता है, जिसमें शहरी स्थानीय निकायों की शक्तियों और कार्यों को शामिल किया गया है।
- 89 वां संशोधन अधिनियम, 2003: अनुच्छेद 338 क जोड़ा गया और अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग के निर्माण का प्रावधान है।
- 101 वां संशोधन अधिनियम, 2017: माल और सेवा कर (जीएसटी) का परिचय।
- 103 वां संशोधन अधिनियम, 2019: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के अलावा अन्य वर्गों के नागरिकों के लिए 10% आरक्षण की अधिकतम सीमा डाली गई। अनुच्छेद 15 में उल्लिखित (4) और (5) और अनुच्छेद 16 में संशोधन किया गया।
महत्वपूर्ण निर्णय जिन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण को आकार दिया
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973): यह निर्णय संविधान की मूल संरचना के विचार को स्थापित करने में महत्वपूर्ण था, यह तय करते हुए कि संसद संविधान में संशोधन के बहाने इसकी बुनियादी विशेषताओं को छेड़छाड़ नहीं कर सकती है।
- गोलाकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967): इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, यहां तक कि मूल अधिकारों सहित।
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ (1980): इस निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा कि संसद की संशोधन शक्ति सीमित है और संविधान की मूल संरचना को संरक्षित करने के लिए।
- एस.आर. बोम्मई बनाम कर्नाटक राज्य(1994): इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने यह तय किया कि राज्य सरकारों को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए और संविधान की मूल संरचना को संरक्षित करना चाहिए।
### गोपालि मामला (1950)
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि निरोधक निरोध की धाराओं के तहत धारा 13, 19, 21 और 22 में उल्लिखित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है, यदि निरोध कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किया गया हो।
- यहां, सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 21 का एक संकीर्ण दृष्टिकोण लिया।
शंकरी प्रसाद मामला (1951)
- यह मामला मौलिक अधिकारों (जिन्हें पहले संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई थी) से संबंधित है।
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि संसद अनुच्छेद 368 के तहत भाग III के तहत मौलिक अधिकारों में संशोधन करने के लिए सक्षम थी।
बेरुबारी यूनियन मामला (1960)
- यह मामला बेरुबारी क्षेत्र को पाकिस्तान में स्थानांतरित करने के लिए संसद की शक्ति के बारे में था।
- सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 3 की विस्तृत जांच की और कहा कि वह नेहरू-दोपहर समझौते को निष्पादित करने के लिए इस अनुच्छेद के तहत कानून नहीं बना सकती है।
- इसलिए, इसी समझौते को लागू करने के लिए 9वां संशोधन अधिनियम पारित किया गया।
गोलकिाथ मामला (1967)
- यहां यह सवाल उठा कि क्या संवैधानिक संशोधन एक कानून है और मौलिक अधिकारों में संशोधन किया जा सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि मौलिक अधिकार अनुच्छेद 13 में वर्णित संसदीय प्रतिबंध के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, और मौलिक अधिकारों में संशोधन के लिए एक संविधान सभा की आवश्यकता होगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया देता है लेकिन संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान नहीं करता है।
केसवाणंद भारती मामला (1973)
- सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने संविधान की मूल संरचना को प्रभावित किया।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यद्यपि मौलिक अधिकारों सहित संविधान का कोई भी हिस्सा संसद की संशोधित शक्ति से परे नहीं था, "संविधान का मूल ढांचा एक संशोधन द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।"
- यह भारतीय कानून में आधार है जिसमें न्यायपालिका संसद द्वारा पारित किसी भी संशोधन को रद्द कर सकती है यदि वह संविधान की मूल संरचना से टकराव करती है।
मेिका गांधी मामला (1978)
- इस मामले का एक मुख्य मुद्दा यह था कि क्या अनुच्छेद 21 के तहत विदेश जाने के अधिकार को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार माना जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में शामिल है।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी फैसला दिया कि एक सीमित कानून का अस्तित्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं था। ऐसा कोई भी कानून जो मौजूद है, वह "उचित, उचित और वाजिब" होना चाहिए।
एमसी मेहता और भारत संघ (1986)
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इस मामले में तीन वि बिंदु थे। - अनुच्छेद 32 का दायरा - निरपेक्ष दायित्व का नियम - मुआवजा जारी करना.
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि अनुच्छेद 32 के तहत इसकी शक्ति निवारक उपायों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अधिकारों का उल्लंघन होने पर उपचारात्मक उपायों के लिए भी है।
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यह भी माना गया कि उद्योगों के मामले में खतरनाक गतिविधियों में लगे हुए थे, निरपेक्ष दायित्व का पालन किया जाता था।
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अंत में, यह भी आयोजित किया गया कि मुआवजे की राशि उद्योग के परिमाण और क्षमता के संबंध में होनी चाहिए ताकि यह एक निवारक हो।
इं द्रा साविी और भारत संघ (1992)
- इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 16(4) के दायरे और सीमा की जांच की, जो पिछड़े वर्गों के लिए नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान करता है।
- ओबीसी के लिए 27% आरक्षण की संवैधानिक वैधता को कुछ शर्तों के साथ बरकरार रखा। - क्रीमी लेयर अपवर्जन की तरह - पदोन्नति में आरक्षण नहीं - कुल आरक्षित कोटा 50% से अधिक नहीं होना चाहिए, आदि।
ववशाखा और राजिाि राज्य (1997)
- इस मामले ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे से निपटा।
- फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने नियोक्ताओं के साथ-साथ अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों या संस्थानों को भी यौन उत्पीड़न की रोकथाम सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिशा-निदेश प्रदान किए। इन दिशानिदेशों को 'विशाखा दिशानिदेश' कहा जाता है। उचित कानून लागू होने तक इन्हें कानून के रूप में माना जाता था।
भारतीय संविधान का निर्माण
- संविधान सभा के सदस्यों द्वारा भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया गया था।
- 1934 में एम.एन. रॉय द्वारा संविधान सभा का प्रस्ताव रखा गया था।
- संविधान सभा की पहली बैठक 9 सितंबर, 1946 को दिल्ली में हुई, जिसमें डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया।
- 11 सितंबर, 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष और एच.सी. मुखर्जी को संविधान सभा के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया।
- प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों ने अप्रत्यक्ष रूप से संविधान सभा के सदस्यों को चुना।
- संविधान सभा, ब्रिटिश कैबिनेट द्वारा प्रस्तावित योजना के आधार पर सदस्यों से बनी थी, जिसे कैबिनेट मिशन के नाम से भी जाना जाता है।
- संविधान सभा में 299 प्रतिनिधि थे, जिनमें पंद्रह महिलाएं शामिल थीं।
- भारत की अस्थायी सरकार का गठन 2 सितंबर 1946 को निर्वाचित संविधान सभा से किया गया था।
भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएँ
- संविधान सभा ने संविधान बनाने के लिए कुल 22 समितियों का गठन किया।
- इनमें से 8 प्रमुख समितियाँ थीं, जिनमें से प्रमुख समितियाँ और उनके अध्यक्ष हैं:
- मसौदा समिति: बी.आर. अम्बेडकर
- संघ शक्ति समिति: जवाहर लाल नेहरू
- संघ की संविधान समिति: जवाहर लाल नेहरू
- प्रांतीय संविधान समिति: वल्लभभाई पटेल
- मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों एवं आदिवासी और दलित क्षेत्रों पर सलाहकार समिति: वल्लभभाई पटेल
- प्रक्रिया के नियम समिति: राजेंद्र प्रसाद
- राज्य समिति: वल्लभभाई पटेल
- संचालन समिति: राजेंद्र प्रसाद
संविधान निर्माण में उद्देश्य प्रस्ताव
- पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा 13 सितंबर, 1946 को उद्देश्य प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसने संविधान के निर्माण के लिए दिशा और मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान किए।
- यह प्रस्ताव 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
भारतीय संविधान की समयरेखा
- 6 दिसंबर, 1946: संविधान सभा का गठन
- 22 जुलाई 1947: उद्देश्य प्रस्ताव सर्वसम्मति से अपनाया गया।
- 15 अगस्त 1947: स्वतंत्रता प्राप्ति। भारत का विभाजन और पाकिस्तान स्वतंत्र होता है।
- 29 अगस्त 1947: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर को मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
- 26 नवंबर, 1949: संविधान सभा द्वारा 'भारतीय संविधान' पारित और अपनाया गया।
- 24 जनवरी, 1950: संविधान सभा की अंतिम बैठक में संविधान पर हस्ताक्षर किए गए।
- 26 जनवरी, 1950: 'भारतीय संविधान' लागू हुआ।
भारतीय संविधान के स्रोत
- संविधान में प्रस्तावना, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ शामिल थीं।
- संविधान निर्माताओं ने कई स्रोतों से भारतीय संविधान की विशेषताओं को अपनाया।
- भारतीय संविधान के प्रमुखों को प्रेरित करने वाले प्राथमिक स्रोत हैं:
संविधान के स्रोत
- भारत सरकार अधिनियम, 1935: संघीय प्रावधानों, राज्यपाल के पद, न्यायपालिका, लोक सेवा आयोगों, आपातकालीन प्रावधानों और प्रशासनिक विवरण को भारत सरकार अधिनियम, 1935 से अपनाया गया था।
- ब्रिटिश संविधान: संसदीय सरकार, एकल नागरिकता, कानून का शासन, शिटेट, कैबिनेट प्रणाली, विधायी प्रक्रिया और विशेषाधिकारिक रिट।
- अमेरिकी संविधान: मौलिक अधिकार, न्यायिक समीक्षा, अमेरिकी संविधान की न्यायपालिका की स्वतंत्रता, राष्ट्रपति का महाभियोग, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और उपराष्ट्रपति को हटाना।
- आयरिश संविधान: राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत।
- कनाडाई संविधान: एक मजबूत केंद्र के साथ संघ, केंद्र के साथ अवशिष्ट शक्तियाँ, समवर्ती सूची, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति और सुप्रीम कोर्ट के सलाहकार क्षेत्राधिकार।
- ऑस्ट्रेलियाई संविधान: व्यापार, वाणिज्य की स्वतंत्रता और संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक।
- वीमर संविधान (जर्मनी): आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन।
- सोवियत संविधान: मौलिक कर्तव्यों, प्रस्तावना में न्याय के आदर्श (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक), सोवियत संघ के संविधान के मॉडल पर आधारित थे। (1976 में 42वें संशोधन के माध्यम से मौलिक कर्तव्यों पर जोर दिया गया)।
- फ्रांसीसी संविधान: प्रस्तावना में गणराज्य, स्वतंत्रता के आदर्श, समानता, बंधुत्व।
- दक्षिण अफ्रीकी संविधान: संविधान में संशोधन की प्रक्रिया, राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव।
भारतीय संविधान की मूल संरचना
- संविधान के अनुसार, भारत में संसद और राज्य विधानसभाएं अपने संबंधित न्यायालयों के भीतर कानून बनाने की शक्ति रखती हैं, लेकिन यह शक्ति प्रकृति में पूर्ण नहीं है।
- संविधान न्यायपालिका में निहित है, सभी कानूनों की संवैधानिक वैधता पर फैसला करने की शक्ति। अगर संसद या राज्य विधानसभाओं द्वारा बनाया गया कोई कानून संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन करता है, तो सर्वोच्च न्यायालय के पास ऐसे कानून को अमान्य या असंवैधानिक घोषित करने की शक्ति है।
- संविधान का अनुच्छेद 368 यह धारणा देता है कि संसद की संशोधित शक्तियां दस्तावेज के सभी भागों को निरपेक्ष और समग्र रूप से कवर करती हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आजादी के बाद से संसद के विधायी उत्साह पर रोक लगाने का काम किया है।
- संविधान निर्माताओं द्वारा लागू किए गए मूल आदर्शों को संरक्षित करने के इरादे से, शीर्ष अदालत ने कहा कि संसद संविधान में संशोधन के बहाने संविधान की बुनियादी विशेषताओं को नुकसान नहीं पहुंचा सकती या विकृत नहीं कर सकती है। वाक्यांश 'बुनियादी संरचना' स्वयं संविधान में नहीं पाया जा सकता है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने 1973 में ऐतिहासिक केस केशवानंद भारती मामले में पहली बार इस अवधारणा को मान्यता दी। जिससे सर्वोच्च न्यायालय संविधान की व्याख्या करने वाला और संसद द्वारा किए गए सभी संशोधनों का मध्यस्थ बन गया है।
जिमत संग्रह
- जिमत संग्रह में मतदाताओं को सीधे प्रश्न या प्रश्नों के सेट पर अपना मत देने का अवसर दिया जाता है, जिससे वे अपने प्रतिनिधियों द्वारा लिए गए निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।
- जिमत संग्रह का उपयोग अक्सर विवादित मुद्दों को हल करने के लिए किया जाता है, विशेष रूप से उन मुद्दों पर जहां गठबंधन सरकारें संघर्ष कर रही होती हैं या जहां राजनीतिक सहमति नहीं होती है।
- जिमत संग्रह को लोकप्रिय सहमति और वैधता के रूप में देखा जाता है।
- भारत के संविधान को जिमत संग्रह के अधीन नहीं किया गया था।
भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता
- 42वें संशोधन ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को "संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य" से "संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य" में बदल दिया, और राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए "राष्ट्र की एकता" शब्दों को भी बदल दिया।
- तत्कालीन प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी ने 1976 में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान 42वां संशोधन लागू किया।
भारत में संसदीय लोकतंत्र
- अनुच्छेद 79 के तहत, संघ की संसद में राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं जिन्हें क्रमशः राज्य की परिषद (राज्य सभा) और लोक सभा (लोकसभा) के रूप में जाना जाता है।
- केंद्रीय विधिमंडल द्विसदनीय है: उच्च सदन (राज्य सभा) इकाइयों का प्रतिनिधित्व करता है; निचला सदन (लोकसभा) लोगों का प्रतिनिधित्व करता है; दोनों सदन क्रमशः इकाइयों की अखंडता को संरक्षित करने और संघ का एकीकरण सुरक्षित करने के लिए काम करते हैं।
- राज्यसभा में व्यवसाय की प्रक्रिया और आचरण के नियम एक पुस्तिका है जो अपने सदस्यों का स्पष्ट आचरण प्रदान करती है।
भारतीय संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन
- पहला संशोधन अधिनियम, 1951: सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए राज्य को सशक्त बनाने के लिए विशेष प्रावधान किए; भू-सुधार और उसमें शामिल अन्य कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए नौवीं अनुसूची को जोड़ा गया।
- सातवां संशोधन अधिनियम, 1956: राज्य पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने के लिए बनाया गया था।
- दसवां संशोधन अधिनियम, 1961: भारत के संघ में मुक्त दादरा और नगर हवेली के क्षेत्रों को एकीकृत किया।
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976: ‘संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य’ के रूप में भारत के चरित्रांकन को ‘संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ में बदल दिया; अनुच्छेद 74 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राष्ट्रपति अपने कार्यों के निष्पादन में मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार काम करेंगे।
- 43वां संशोधन अधिनियम: सर्वोच्च न्यायालय को राज्य कानून की संवैधानिक वैधता पर विचार करने की शक्ति से वंचित करने के लिए अनुच्छेद 32ए डाला गया; केंद्र के संघ के किसी भी सशस्त्र बल को तैनात करने में सीमित करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 257ए जोड़ा गया; अनुच्छेद 14, 19 या 31 में निहित मौलिक अधिकारों से संबंधित सभी मूल सिद्धांतों को प्राथमिकता दी; संविधान में IV-ए नामक एक नया भाग बनाने के लिए अनुच्छेद 51-ए डाला गया, जिसने नागरिकों को मौलिक कर्तव्य निर्धारित किए।
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978: राष्ट्रपति को देश के किसी भी हिस्से में आपातकाल की घोषणा करने के लिए अधिकृत किया गया; मौलिक अधिकारों की सूची से संपत्ति का अधिकार और कानूनी अधिकार घोषित किए गए।
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985: एक राजनीतिक दल से दूसरे संसद सदस्यों और राज्य विधानसभाओं के दलबदल को रोकने के लिए।
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992: एक अलग भाग IX को संविधान में अनुच्छेद 243ए और ताजा अनुसूची के अतिरिक्त पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियों और कार्यों को शामिल करते हुए ग्यारहवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992: शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया; एक नया कार्यक्रम जिसका नाम बारहवीं अनुसूची है, जिसमें शहरी स्थानीय निकायों की शक्तियों और कार्यों को शामिल किया गया है।
- 89वां संशोधन अधिनियम, 2003: अनुच्छेद 338क जोड़ा गया और अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग के निर्माण का प्रावधान है।
- 101वां संशोधन अधिनियम, 2017: माल और सेवा कर का परिचय दिया।
- 103वां संशोधन अधिनियम, 2019: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के वर्गों के अलावा अन्य वर्गों के नागरिकों के लिए 10% आरक्षण की अधिकतम सीमा (4) और (5) और अनुच्छेद 15 में उल्लिखित।
महत्वपूर्ण निर्णय जिन्होंने भारतीय संविधान का निर्माण किया
- केशवानंद भारती मामले में संविधान की मूल संरचना
संविधान से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना, मूल अधिकार, राज्य के नीति निर्देशक तत्व, और मौलिक कर्तव्यों को समझना।
- संविधान संशोधन प्रक्रिया को समझना।
- महत्वपूर्ण संविधान संशोधन, जैसे 42वां संशोधन, 73वां संशोधन, 74वां संशोधन और 103वां संशोधन समझना।
- संविधान और न्यायिक समीक्षा की भूमिका:
- भारतीय संसदीय प्रणाली और संविधान में इसकी भूमिका समझना।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महत्वपूर्ण मामलों की समीक्षा
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गोपालि का मामला (1950): इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि निवारक निरोध की धाराओं के तहत निरोध, अनुच्छेद 13, 19, 21 और 22 में उल्लिखित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है, यदि निरोध कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार होता है। इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 का एक संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया था।
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शंकरी प्रसाद का मामला (1951): यह मामला संसद की शक्ति से संबंधित था जो अनुच्छेद 368 के अंतर्गत भाग III में उल्लिखित मौलिक अधिकारों में संशोधन करने वाली थी। सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय लिया कि संसद को मौलिक अधिकारों में संशोधन करने का अधिकार है।
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बेरुबरी यूनियन का मामला (1960): इस मामले में बेरुबरी क्षेत्र को पाकिस्तान में स्थानांतरित करने की संसद की शक्ति पर बहस हुई। सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 3 की जांच की और पाया कि संसद इस अनुच्छेद के तहत कानून नहीं बना सकती, लेकिन नेहरू-लियाकत समझौते को कार्यान्वित करने के लिए 9वें संशोधन अधिनियम को पारित किया गया।
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गोलखनाथ का मामला (1967): इस मामले में, यह सवाल उठा था कि क्या मौलिक अधिकारों में संशोधन 가능한 है। सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि मौलिक अधिकार अनुच्छेद 13 में उल्लिखित संसदीय प्रतिबंध के लिए उत्तरदायी नहीं हैं और मौलिक अधिकारों में संशोधन के लिए एक संविधान सभा की आवश्यकता होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन की प्रक्रिया निर्धारित करता है, लेकिन संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान नहीं करता है।
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केशवानंद भारती का मामला (1973): इस महत्वपूर्ण मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान की मूल संरचना की अवधारणा को स्थापित किया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि भले ही संसद को मौलिक अधिकारों सहित , संविधान के किसी भी भाग में संशोधन करने की शक्ति है, "संविधान का मौलिक ढाँचा एक संशोधन द्वारा बदला नहीं जा सकता है।" यह निर्णय भारतीय कानून में एक आधार बन गया है, जिसके तहत न्यायपालिका संसद द्वारा पारित किसी भी संशोधन को अमान्य कर सकती है यदि वह संविधान की मूल संरचना के अनुरूप नहीं है।
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मेका गांधी मामला (1978): इस मामले में, यह मुद्दा था कि क्या अनुच्छेद 21 के तहत विदेश जाने का अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में शामिल है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में शामिल है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी फ़ैसला दिया कि एक साधारण कानून का अस्तित्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं था। ऐसा कोई भी कानून, अगर मौजूद है, "उचित, उचित और जायज़" होना चाहिए।
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एम.सी. मेहता और भारत संघ का मामला (1986): इस मामले में तीन प्रमुख मुद्दे थे:
- अनुच्छेद 32 का दायरा
- निरपेक्ष दायित्व का नियम
- मुआवजा जारी करना
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि अनुच्छेद 32 के तहत इसकी शक्ति केवल निवारक उपायों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अधिकारों का उल्लंघन होने पर उपचारात्मक उपायों के लिए भी है। यह भी माना गया कि उद्योगों के मामले में जो खतरनाक गतिविधियों में शामिल थे, निरपेक्ष दायित्व का पालन किया गया। अंत में, यह भी आयोजित किया गया कि मुआवजे की राशि उद्योग के आकार और क्षमता के संबंध में होनी चाहिए ताकि यह एक निवारक हो।
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इंद्रा साहनी और भारत संघ (1992): इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 16(4) के दायरे और सीमा की जांच की, जो पिछड़े वर्गों के लिए नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कुछ शर्तों के साथ ओबीसी के लिए 27% आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा :
- क्रीमी लेयर अपवर्जन की तरह
- पदोन्नति में आरक्षण नहीं
- कुल आरक्षित कोटा 50% से अधिक नहीं होना चाहिए, आदि।
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विशाखा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का मामला (1997): इस मामले में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे से निपटा गया। सर्वोच्च न्यायालय ने नियोक्ताओं के साथ-साथ दूसरे ज़िम्मेदार व्यक्तियों या संस्थाओं को यौन उत्पीड़न की रोकथाम सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिशा-निर्देश प्रदान किए। इन दिशा-निर्देशों को 'विशाखा दिशा-निर्देश' कहा जाता है। उचित कानून लागू होने तक इन्हें कानून के रूप में माना गया।
भारतीय संविधान का निर्माण
- भारतीय संविधान का निर्माण 1946 में संविधान सभा द्वारा किया गया था।
- संविधान सभा की पहली बैठक 9 सितंबर 1946 को दिल्ली में हुई थी।
- डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया था।
- 11 सितंबर, 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष और एच.सी. मुखर्जी को संविधान सभा के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
- संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव प्रांतीय विधान सभाओं द्वारा किया गया था।
- कैबिनेट मिशन योजना के आधार पर संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 299 थी, जिसमें 15 महिलाएँ शामिल थीं।
- भारत की अंतरिम सरकार का गठन 2 सितंबर 1946 को निर्বাচিত संविधान सभा द्वारा किया गया था।
संविधान सभा की समितियाँ
- संविधान को तैयार करने के लिए संविधान सभा ने कुल 22 समितियों का गठन किया था।
- इनमें से 8 प्रमुख समितियाँ थीं और अन्य छोटी समितियाँ थीं।
- प्रमुख समितियों के अध्यक्ष इस प्रकार थे:
- मसौदा समिति: बी.आर. अंबेडकर
- संघ शक्ति समिति: जवाहरलाल नेहरू
- संघ की संविधान समिति: जवाहरलाल नेहरू
- प्रांतीय संविधान समिति: सरदार वल्लभभाई पटेल
- मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों और आदिवासी और दलित क्षेत्रों पर सलाहकार समिति: सरदार वल्लभभाई पटेल
- प्रक्रिया के नियम समिति: राजेंद्र प्रसाद
- राज्य समिति: सरदार वल्लभभाई पटेल
- संचालन समिति: राजेंद्र प्रसाद
उद्देश्य प्रस्ताव
- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर 1946 को उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया था।
- यह प्रस्ताव 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था।
- इस प्रस्ताव ने संविधान की रूपरेखा तय की थी।
भारतीय संविधान के स्रोत
- संविधान की प्रस्तावना, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ हैं।
- भारतीय संविधान कई स्रोतों से प्रेरित है, जिनमें शामिल हैं:
- भारत सरकार अधिनियम, 1935
- शिटेि
- अमेरिका का संविधान
- आयरिश संविधान
- किाडाई संविधान
- ऑस्ट्रेक्षलयाई संविधान
- वीमर संविधान (जर्मनी)
- सोवियत संविधान
- फ्ांसीसी संविधान
- दक्षिण अफ्रीकी संविधान
भारतीय संविधान की मूल संरचना
- भारत में संसद और राज्य विधान सभाएँ अपने संबंधित न्यायालयों के भीतर कानून बनाने की शक्ति रखती हैं।
- संविधान न्यायपालिका को सभी कानूनों की संवैधानिक वैधता पर निर्णय करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संविधान का अनुच्छेद 368 यह मानता है कि संसद की संशोधन शक्तियाँ दस्तावेज़ के सभी भागों को निरपेक्ष और व्यापक बनाती हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने संसद की विधायी शक्ति पर रोक लगाने का काम किया है।
- संविधान निर्माताओं द्वारा लागू किए गए मूल सिद्धांतों को संरक्षित करने के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संसद संविधान में संशोधन के बहाने संविधान की मूल विशेषताओं को नुकसान नहीं पहुँचा सकती।
- "मूल संरचना" शब्द स्वयं संविधान में नहीं पाया जा सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने 1973 में केशवानंद भारती मामले में पहली बार इस अवधारणा को मान्यता दी।
संविधान से जुड़ी महत्वपूर्ण शर्तें
जनमत संग्रह
- जनमत संग्रह में मतदाताओं को सीधे प्रश्नों का एक सेट करने की अवसर दिया जाता है।
- जनमत संग्रह का उपयोग अक्सर ऐसे मुद्दों को निपटाने के लिए किया जाता है जो कई दलों की गठबंधन सरकारों को विभाजित करते हैं।
भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता
- 42वें संशोधन ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को “संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य” से “संप्रभु समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य” में बदल दिया।
- इंदिरा गांधी ने 1976 में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान 42वां संशोधन लागू किया था।
भारत में संसदीय लोकतंत्र
- अनुच्छेद 79 के तहत, संघ की संसद में राष्ट्रपति और दो सदन होते हैं जिन्हें क्रमशः राज्य सभा और लोक सभा के रूप में जाना जाता है।
- केंद्रीय विधिमंडल द्विसदनीय है: उच्च सदन (राज्य सभा) इकाइयों का प्रतिनिधित्व करता है; निचला सदन (लोक सभा) लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।
भारतीय संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन
- पहला संशोधन अधिनियम, 1951: यह अधिनियम सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान करने के लिए राज्य को सशक्त बनाने के लिए था।
- सातवाँ संशोधन अधिनियम, 1956: यह संशोधन राज्य पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने के लिए था।
- दसवाँ संशोधन अधिनियम, 1961: इसने भारत के संघ में मुक्त दादरा और नगर हवेली के क्षेत्रों को एकीकृत किया।
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976: इसने भारत के लक्षण को 'संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य’ से 'संप्रभु समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ में बदल दिया।
- 43वाँ संशोधन अधिनियम, 1978: इसने अनुच्छेद 14, 19 या 31 में निहित मौलिक अधिकारों से संबंधित सभी मूल सिद्धांतों को प्राथमिकता दी।
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985: यह संशोधन एक राजनीतिक दल से दूसरे संसद सदस्यों और राज्य विधान सभाओं में दल-बदल को रोकने के लिए था।
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992: पंचायती राज संस्थानों की शक्तियों और कार्यों को शामिल करते हुए, संविधान में भाग IX को अनुच्छेद 243ए और एक नई अनुसूची, ग्यारहवीं अनुसूची, में शामिल किया गया।
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992: इसने शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- 89वाँ संशोधन अधिनियम, 2003: अनुच्छेद 338क जोड़ा गया और अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग के निर्माण का प्रावधान किया गया।
- 101वाँ संशोधन अधिनियम, 2017: इसमें वस्तु और सेवा कर (GST) को पेश किया गया।
- 103वाँ संशोधन अधिनियम, 2019: ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के वर्गों के अलावा अन्य वर्गों के नागरिकों के लिए 10% आरक्षण जोड़ा गया।
गोपालि केस (1950)
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सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि निवारक निरोध के लिए धाराओं का इस्तेमाल अनुच्छेद 13, 19, 21 और 22 में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है, अगर निरोध कानून द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार हो।
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इस मामले ने अनुच्छेद 21 के संदर्भ में एक संकीर्ण दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया।
शंकरी प्रसाद केस (1951)
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इस मामले ने मौलिक अधिकारों (पहले संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई थी) के संदर्भ में संशोधन से संबंधित बहस को सामने लाया।
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सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि संसद अनुच्छेद 368 के तहत भाग III में मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है।
बेरुबरी यूनियन केस (1960)
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यह मामला बेरुअरी क्षेत्र को पाकिस्तान को सौंपने के संबंध में संसद की शक्ति से जुड़ा हुआ है।
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सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 3 का विस्तृत विश्लेषण किया और निर्णय दिया कि नेहरू-लियाकत समझौते को लागू करने के लिए संसद इस अनुच्छेद के तहत कानून नहीं बना सकती है।
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नौवें संशोधन अधिनियम को इसी समझौते को लागू करने के लिए पारित किया गया था।
गोलकिाथ केस (1967)
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इस मामले में यह सवाल उठा कि क्या मौसम संशोधन एक कानून है और मौलिक अधिकारों में संशोधन किया जा सकता है।
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सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि मौलिक अधिकार अनुच्छेद 13 में दिए गए संसदीय प्रतिबंध के अधीन नहीं हैं और मौलिक अधिकारों में संशोधन के लिए एक संविधान सभा की आवश्यकता होगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया देता है, लेकिन यह संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान नहीं करता है।
केसवांद भारती केस (1973)
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सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान की मूल संरचना को प्रभावित करने वाले फैसले को दिया।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि संसद के संशोधन की शक्ति से संविधान का कोई भी हिस्सा, मौलिक अधिकारों सहित, सुरक्षित नहीं था, "संविधान का मूल ढांचा किसी भी संशोधन द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।"
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यह भारतीय कानून का एक आधार है जिसके तहत न्यायपालिका संसद द्वारा पारित किसी भी संशोधन को रद्द कर सकती है अगर वह संविधान की मूल संरचना के साथ टकराव करती है।
मेिका गांधी मामला (1978)
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इस मामले का मुख्य मुद्दा यह था कि क्या अनुच्छेद 21 के तहत विदेश जाने के अधिकार को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार माना जाएगा।
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सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में शामिल है।
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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी फैसला दिया कि एक सिविल कानून का अस्तित्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं था।
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ऐसा कोई भी कानून जो मौजूद है, वह "उचित, उचित और वाजिब" होना चाहिए।।
एमसी मेहता और भारत संघ (1986)
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इस मामले में तीन मुख्य मुद्दे थे:
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अनुच्छेद 32 का दायरा
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निरपेक्ष दायित्व का नियम
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मुआवजा जारी करना।
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सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि अनुच्छेद 32 के तहत इसकी शक्ति निवारक उपायों तक सीमित नहीं है, बल्कि अधिकारों का उल्लंघन होने पर उपचारात्मक उपायों के लिए भी है।
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इस मामले में यह भी माना गया कि उद्योगों के मामले में जहां खतरनाक गतिविधियों में लगे हुए थे, निरपेक्ष दायित्व का पालन किया जाना चाहिए।
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अंत में, यह भी आयोजित किया गया कि मुआवजे की राशि उद्योग की परिमाण और क्षमता के संबंध में होनी चाहिए ताकि यह एक निवारक हो।
इं द्रा साविी और भारत संघ (1992)
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इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 16(4) के दायरे और सीमा की जाँच की, जो पिछड़े वर्गों के लिए नौकरियों में आरक्षण प्रदान करता है।
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ओबीसी के लिए 27% आरक्षण की संवैधानिक वैधता को कुछ शर्तों के साथ बरकरार रखा गया:
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क्रीमी लेयर अपवर्जन के तौर पर
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पदोन्नति में आरक्षण नहीं
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कुल आरक्षित कोटा 50% से अधिक नहीं होना चाहिए, आदि।
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ववशाखा और राजिा अि (1997)
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इस मामले ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे से निपटा।
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फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने नियोक्ताओं के साथ-साथ अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों या संस्थाओं को भी यौन उत्पीड़न की रोकथाम सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिशा-निर्देश प्रदान किए।
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इन दिशानिर्देशों को 'विशाखा दिशानिर्देश' कहा जाता है।
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उचित कानून लागू होने तक इन्हें कानून के रूप में माना जाता था।
संविधान का विकास
- भारत एक सांस्कृतिक रूप से विविध देश है, लेकिन राजनीतिक रूप से एकजुट है।
- औपनिवेशिक शासन नियमों और विनियमों पर आधारित था।
- स्वतंत्र भारत को एक निश्चित ढांचे की जरूरत थी।
- एक संविधान बनाने के लिए गठित संविधान सभा ने समाज के विभिन्न वर्गों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संविधान का निर्माण किया।
- भारत का संविधान देश के नागरिकों की एक राष्ट्रीय पहचान निर्धारित करता है।
- संविधान में नागरिकों की स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा का प्रावधान है।
- भारत के संविधान को संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया था जो कि भारत के लोगों के प्रतिनिधियों से मिलकर बना था।
संविधान सभा
- 9 सितंबर, 1946 को दिल्ली में संविधान सभा की पहली बैठक हुई।
- डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया।
- 11 सितंबर, 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष और एच.सी. मुखर्जी को उपाध्यक्ष चुना गया।
- संविधान सभा के सदस्यों को प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुना गया था।
- संविधान सभा में 299 सदस्य थे, जिनमें पंद्रह महिलाएं शामिल थीं।
- 2 सितंबर 1946 को अंतरिम सरकार का गठन संविधान सभा से हुआ था।
संविधान निर्माण की समयरेखा
- 6 दिसंबर 1946: संविधान सभा का गठन
- 22 जनवरी 1947: उद्देश्य प्रस्ताव का सर्वसम्मति से पारित होना।
- 22 जुलाई 1947: राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया गया था।
- 15 अगस्त 1947: भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
- 29 अगस्त 1947: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर को प्रारूप समिति अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
- 26 नवंबर 1949: 'भारत का संविधान' संविधान सभा द्वारा पारित किया गया।
- 24 जनवरी 1950: संविधान सभा की अंतिम बैठक
- 26 जनवरी 1950: 'भारत का संविधान' लागू हुआ।
भारतीय संविधान के स्रोत
- भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां हैं।
- संविधान के निमाताओं ने कई स्रोतों से संविधान की विशेषताओं का अपनाया।
प्रमुख स्रोत:
- भारत सरकार अधिनियम, 1935: संघीय प्रावधान, राज्यपाल का पद, न्यायपालिका, लोक सेवा आयोग, आपातकालीन प्रावधान और प्रशासनिक विवरण।
- श्रीलंका: संसदीय सरकार, एकल नागरिकता, कानून का शासन, प्रधानमंत्री प्रणाली, मंत्रिपरिषद प्रणाली, विधायी प्रक्रिया, विशेषाधिकार।
- अमेरिका का संविधान: मौलिक अधिकार, न्यायिक समीक्षा, अमेरिकी संविधान की न्यायपालिका की स्वतंत्रता, राष्ट्रपति का महाभियोग, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और उपराष्ट्रपति को हटाना।
- आयरिश संविधान: राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत
- कनाडा का संविधान: एक मजबूत केंद्र के साथ संघ, केंद्र के साथ अवशिष्ट शक्तियां, समवर्ती सूची, राज्य के राज्यपालों की नियुक्ति केंद्र द्वारा और सर्वोच्च न्यायालय का सलाहकार क्षेत्राधिकार।
- ऑस्ट्रेलियाई संविधान: व्यापार, वाणिज्य की स्वतंत्रता और संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक।
- वीमर संविधान (जर्मनी): आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन।
- सोवियत संविधान: मौलिक कर्तव्यों, प्रस्तावना में न्याय के आदर्श (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक) सोवियत संघ के संविधान के मॉडल पर आधारित थे।
- फ्रांसीसी संविधान: प्रस्तावना में गणराज्य, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व के आदर्श।
- दक्षिण अफ्रीकी संविधान: संविधान में संशोधन की प्रक्रिया, राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव।
भारतीय संविधान की मूल संरचना
- संविधान में संसद और राज्य विधानसभाओं को कानून बनाने की शक्ति दी गई है।
- न्यायपालिका की संविधान की वैधता की व्याख्या करने की शक्ति है।
- संविधान के अनुच्छेद 368 में कहा गया है कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान की मूल विशेषताओं को बदलना या नष्ट करना संसद के अधिकार से बाहर है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने 1973 के केशवानंद भारती मामले में "मूल संरचना" की अवधारणा को मान्यता प्राप्त दी।
संविधान से जुड़ी महत्वपूर्ण शर्तें
- जनमत संग्रह: जनमत संग्रह में मतदाताओं को सीधे प्रश्न या प्रश्नों के सेट पर मतदान करने का अवसर प्रदान किया जाता है।
- धर्मनिरपेक्षता: 42वें संशोधन से भारतीय संविधान की प्रस्तावना को "संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य" से "संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य" में बदल दिया गया।
भारतीय संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन
- पहला संशोधन अधिनियम, 1951: सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को उन्नत करने के लिए राज्य को अधिकार दिया।
- 7वां संशोधन अधिनियम, 1956: राज्य पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने के लिए पारित किया गया।
- 10वां संशोधन अधिनियम, 1961: भारत के संघ में मुक्त दादरा और नगर हवेली के क्षेत्रों को एकीकृत किया गया।
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976: 'संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य' को 'संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य' में बदल दिया गया। अनुच्छेद 74 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राष्ट्रपति अपने कार्यों के निष्पादन में मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करेंगे। सर्वोच्च न्यायालय को राज्य कानून की संवैधानिक वैधता पर विचार करने की शक्ति को सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद 32ए को शामिल किया गया। केंद्र के संघ के किसी भी सशस्त्र बल को तैनात करने में सीमित करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 257ए को जोड़ा गया।
- 43वां संशोधन अधिनियम, 1978: अनुच्छेद 14, 19 या 31 में निहित मौलिक अधिकारों से संबंधित सभी मूल सिद्धांतों को प्राथमिकता दी गई। संविधान में IV-ए नामक एक नया भाग जोड़ने के लिए अनुच्छेद 51-ए को शामिल किया गया, जिसमें नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्यों को निर्धारित किया गया। राष्ट्रपति को देश के किसी भी हिस्से में आपातकाल की घोषणा करने के लिए अधिकृत किया गया।
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978: मौलिक अधिकारों की सूची से संपत्ति का अधिकार और कानूनी अधिकार को हटा दिया गया।
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985: एक राजनीतिक दल से दूसरे संसद सदस्यों और राज्य विधानसभाओं में दलबदल को रोकने के लिए।
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992: संविधान में एक अलग भाग IX को अनुच्छेद 243ए और एक नई अनुसूची के साथ पंचायती राज संस्थानों की शक्तियों और कार्यों को शामिल करते हुए ग्यारहवीं अनुसूची में शामिल किया गया।
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992: शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा दिया गया। एक नया कानून, जिसे बारहवीं अनुसूची कहा जाता है, जिसमें शहरी स्थानीय निकायों की शक्तियों और कार्यों को शामिल किया गया है।
- 89वां संशोधन अधिनियम, 2003: अनुच्छेद 338 क को जोड़ा गया और अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रावधान शामिल किया गया।
- 101वां संशोधन अधिनियम, 2017: माल और सेवा कर का परिचय फदया गया।
- 103वां संशोधन अधिनियम, 2019: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के वर्गों के अलावा अन्य वर्गों के नागरिकों के लिए 10% आरक्षण की अधिकतम सीमा (4) और (5) और अनुच्छेद 15 में उल्लिखित।
भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण निर्णय
- ए.के.
गोपालि केस (1950)
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि निवारक नजरबंदी कानून के तहत धाराओं का अनुच्छेद 13, 19, 21 और 22 में उल्लिखित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं था, अगर नजरबंदी कानूनी प्रक्रिया के अनुसार थी।
- इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 21 का एक संकीर्ण दृष्टिकोण अपनाया।
शंकरी प्रसाद केस (1951)
- यह मामला पहली संशोधन की वैधता को चुनौती देने के संबंध में मौलिक अधिकारों के संशोधन से संबंधित था।
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि संसद अनुच्छेद 368 के तहत भाग III के तहत मौलिक अधिकारों में संशोधन करने के लिए सक्षम थी।
बेरुबरी यूनियन केस (1960)
- यह मामला बेरुबरी क्षेत्र को पाकिस्तान को स्थानांतरित करने के लिए संसद की शक्ति के बारे में था।
- सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 3 की विस्तार से जाँच की और माना कि नेहरू-दोपहर समझौते को निष्पादित करने के लिए संसद इस अनुच्छेद के तहत कोई कानून नहीं बना सकती है।
- इसी समझौते को लागू करने के लिए 9वां संशोधन अधिनियम पारित किया गया।
गोलकिाथ केस (1967)
- इस मामले में यह सवाल उठा कि क्या संविधान संशोधन एक कानून है और मौलिक अधिकारों में संशोधन किया जा सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि मौलिक अधिकार अनुच्छेद 13 में वर्णित संसदीय प्रतिबंधों के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, और मौलिक अधिकारों में संशोधन के लिए एक संविधान सभा की आवश्यकता होगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया प्रदान करता है, लेकिन संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान नहीं करता है।
केसवांद भारती केस (1973)
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संविधान की मूल संरचना को प्रभावित किया गया।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौलिक अधिकार सहित संविधान का कोई भी हिस्सा संसद की संशोधन शक्ति से परे नहीं था, "संविधान का मूल ढांचा एक संशोधन द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।"
- यह भारतीय कानून में आधार है जिसमें न्यायपालिका संसद द्वारा पारित किसी भी संशोधन को रद्द कर सकती है यदि वह संविधान की मूल संरचना के साथ टकराव करती है।
मेिका गांधी मामला (1978)
- इस मामले का एक मुख्य मुद्दा यह था कि क्या अनुच्छेद 21 के तहत विदेश जाने के अधिकार को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार माना जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में शामिल है।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी फैसला दिया कि एक सीमित कानून का अस्तित्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं था। ऐसा कोई भी कानून जो मौजूद है, वह "उचित, उचित और वाजिब" होना चाहिए।
एमसी मेहता और भारत संघ (1986)
- इस मामले में तीन मुख्य मुद्दे थे:
- अनुच्छेद 32 का दायरा
- निरपेक्ष दायित्व का नियम
- मुआवजा जारी करना
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि अनुच्छेद 32 के तहत इसकी शक्ति निवारक उपायों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अधिकारों का उल्लंघन होने पर उपचारात्मक उपायों के लिए भी है।
- यह भी माना गया कि उद्योगों के मामले में खतरनाक गतिविधियों में लगे हुए थे, निरपेक्ष दायित्व का पालन किया जाता था।
- अंतिम रूप से, यह भी आयोजित किया गया कि मुआवजे की राशि उद्योग के परिमाण और क्षमता के संबंध में होनी चाहिए ताकि यह एक निवारक हो।
इंद्रा साहनी और भारत संघ (1992)
- इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 16(4) के दायरे और सीमा की जांच की।
- यह पिछड़े वर्गों के लिए नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान करता है।
- ओबीसी के लिए 27% आरक्षण की संवैधानिक वैधता को कुछ शर्तों के साथ बरकरार रखा गया:
- क्रीमी लेयर अपवर्जन की तरह
- पदोन्नति में आरक्षण नहीं
- कुल आरक्षित कोटा 50% से अधिक नहीं होना चाहिए, आदि।
विशाखा और राजस्थान राज्य (1997)
- इस मामले ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे से निपटा।
- फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने नियोक्ताओं के साथ-साथ अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों या संस्थाओं को भी यौन उत्पीड़न की रोकथाम सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिशा-निर्देश प्रदान किए।
- इन दिशानिर्देशों को 'विशाखा दिशानिर्देश' कहा जाता है। उचित कानून लागू होने तक इन्हें कानून के रूप में माना जाता था।
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इस क्विज में भारतीय संविधान के निर्माण और उसके विभिन्न संशोधनों पर चर्चा की गई है। आप जानेंगे कि संविधान सभा का गठन कैसे हुआ और इसमें कौन-कौन से प्रमुख व्यक्ति शामिल थे। इसके अलावा, संविधान के उद्देश्य प्रस्ताव के महत्व पर भी प्रकाश डाला जाएगा।