Podcast
Questions and Answers
बूढ़ी काकी कब रोती थी?
बूढ़ी काकी कब रोती थी?
- जब उसके पास कोई नहीं होता था
- जब उसे दर्द होता था
- जब उसे अपने बच्चों की याद आती थी (correct)
- जब वह अकेली होती थी
रामप्रसाद अपनी माँ को देवी क्यों कहते थे?
रामप्रसाद अपनी माँ को देवी क्यों कहते थे?
- क्योंकि वह उसे हमेशा सिखाती है
- क्योंकि वह उसकी देखभाल करती है (correct)
- क्योंकि वह उसकी साथी है
- क्योंकि वह उसकी सबसे प्रिय है
बाबा भारती अपने घोड़े से कितना प्यार करते थे?
बाबा भारती अपने घोड़े से कितना प्यार करते थे?
- बहुत ज्यादा (correct)
- बहुत कम
- थोड़ा सा
- बिल्कुल नहीं
शामनाथ कौन था? उसके घर कौन आने वाला था?
शामनाथ कौन था? उसके घर कौन आने वाला था?
अंतिम समय के लिए बस्मिलि अपनी माँ से क्या वर मांगते थे?
अंतिम समय के लिए बस्मिलि अपनी माँ से क्या वर मांगते थे?
Flashcards are hidden until you start studying
Study Notes
बूढी काकी की भावनाएँ
- बूढी काकी अकेलेपन और उदासी के कारण अक्सर रोती थीं।
- काकी कहाड़ के पास बैठकर अपने जीवन के अनुभवों और दुखों को सोचती थीं।
रामप्रसाद का मातृत्व सम्मान
- रामप्रसाद अपनी माँ को देवी मानते थे क्योंकि उन्होंने उनके प्रति अपार श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया।
बस्मिलि की अंतिम इच्छा
- अंतमि समय के लिए बस्मिलि ने अपनी माँ से वर मांगने की इच्छा प्रकट की, जो उसके अंतिम क्षणों में शांति प्रदान कर सके।
शामनाथ का संदर्भ
- शामनाथ एक पात्र था, जिसके घर कोई महत्वपूर्ण मेहमान आने वाला था, जिससे उसकी स्थिति में बदलाव आ सकता था।
बाबा भारती का घोड़े के प्रति प्रेम
- बाबा भारती अपने घोड़े के प्रति अत्यधिक प्रेम करते थे, इसे उनकी भावनाओं का प्रतीक माना जा सकता है।
खड़क सहाय का परिवर्तन
- हदय परिवर्तन के बाद डाकू खड़क सहाय ने साहस और धर्म की राह अपनाई, जिससे उनका जीवन बदल गया।
माँ का गीत गाने का आग्रह
- बॉस ने माँ से गाने को कहा, जो इस बात को दर्शाता है कि वे उसकी आवाज़ और कला की सराहना करते थे।
वृद्धावस्था और बचपन का पुनरागमन
- वृद्धावस्था अक्सर बचपन की निर्दोषता और सरलता को वापस लाने का संकेत देती है।
मातृत्व का महत्व
- "मेरी माता देवी है" का वाक्य मातृत्व के अपार मूल्य और उसकी गरिमा को व्यक्त करता है।
मां के त्याग की भावना
- "मेरी जब जल जाए बेटे तुमसे जहर लूंगी" वाक्य का अर्थ है, मां के त्याग और दृढ़ संकल्प की अभिव्यक्ति।
देवता जैसी मानवता
- ऐसा मनुष्य जो सदैव दूसरों की भलाई के लिए तत्पर रहता है, उसे देवता के समान माना गया है।
धन का मूल्य
- "सिर्फ रुपये से ही आदमी अमीर नहीं होता" का अर्थ है कि धन मात्र बाहरी सुख और संतोष प्रदान नहीं करता।
Studying That Suits You
Use AI to generate personalized quizzes and flashcards to suit your learning preferences.