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Questions and Answers
युवाओं से मिलने का अर्थ क्या है?
युवाओं से मिलने का अर्थ क्या है?
- प्रकृति से जुड़ना
- भीम के बारे में जानना
- समृद्धि की तलाश करना
- युवा शक्ति को समझना (correct)
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का मुख्य विषय क्या है?
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का मुख्य विषय क्या है?
- युवाओं की जिम्मेदारी
- भाग्य और पुरुषार्थ
- निंदात्मकता
- अध्यात्म और समृद्धि (correct)
निंदात्मकता में कौन सा पात्र शामिल है?
निंदात्मकता में कौन सा पात्र शामिल है?
- भाग्य
- युवा
- अध्यात्म
- धृतराष्ट्र (correct)
नए मुहावरे का क्या अर्थ है?
नए मुहावरे का क्या अर्थ है?
समृद्धि शब्द का प्रयोग किया जाता है?
समृद्धि शब्द का प्रयोग किया जाता है?
डॉ. एपीजे कलाम के दृष्टिकोण में कौन सा तत्व महत्वपूर्ण है?
डॉ. एपीजे कलाम के दृष्टिकोण में कौन सा तत्व महत्वपूर्ण है?
भाग्य और पुरुषार्थ में कौन सा शब्द बार-बार आता है?
भाग्य और पुरुषार्थ में कौन सा शब्द बार-बार आता है?
प्राकृतिक अधूरे मन से काम करने का क्या संकेत है?
प्राकृतिक अधूरे मन से काम करने का क्या संकेत है?
किस गद्ांश में 'धरती माता' शब्द का प्रयोग हुआ है?
किस गद्ांश में 'धरती माता' शब्द का प्रयोग हुआ है?
कन्है यालाल नमश्र द्वारा रचचत गद्ांश का मुख्य विषय क्या है?
कन्है यालाल नमश्र द्वारा रचचत गद्ांश का मुख्य विषय क्या है?
अशोक के फूल गद्ांश में 'गंधवध' शब्द का क्या तात्पर्य है?
अशोक के फूल गद्ांश में 'गंधवध' शब्द का क्या तात्पर्य है?
प्रगचत के मानदंड गद्ांश में किस शब्द का उल्लेख किया गया है?
प्रगचत के मानदंड गद्ांश में किस शब्द का उल्लेख किया गया है?
नीचे दिए गए में से किस पाठ में 'मनो र पुष्प' शब्द का प्रयोग हुआ है?
नीचे दिए गए में से किस पाठ में 'मनो र पुष्प' शब्द का प्रयोग हुआ है?
'भारतीय संस्कृति' किस गद्ांश में चर्चा की गई है?
'भारतीय संस्कृति' किस गद्ांश में चर्चा की गई है?
किस लेखक ने 'भाषा और आधुनिकता' गद्ांश लिखा है?
किस लेखक ने 'भाषा और आधुनिकता' गद्ांश लिखा है?
कथा में 'नश्तर' शब्द किस संदर्भ में प्रयोग होता है?
कथा में 'नश्तर' शब्द किस संदर्भ में प्रयोग होता है?
'राष्ट्र' शब्द किस गद्ांश में मुख्यता से वर्णित है?
'राष्ट्र' शब्द किस गद्ांश में मुख्यता से वर्णित है?
'बड़ी भुलक्कड़' वाक्यांश किस गद्ांश में आता है?
'बड़ी भुलक्कड़' वाक्यांश किस गद्ांश में आता है?
सुख के साधन के रूप में भौतिक उपकरों का क्या स्थान है?
सुख के साधन के रूप में भौतिक उपकरों का क्या स्थान है?
धरती माता की कोख में समृद्धि का क्या संबंध है?
धरती माता की कोख में समृद्धि का क्या संबंध है?
समृद्धि और अध्यात्म के बीच का संबंध क्या है?
समृद्धि और अध्यात्म के बीच का संबंध क्या है?
भाषा का मुख्य कार्य क्या है?
भाषा का मुख्य कार्य क्या है?
इच्छाएँ किस प्रकार की होती हैं?
इच्छाएँ किस प्रकार की होती हैं?
परंपरागत भाषा की एक कमी क्या है?
परंपरागत भाषा की एक कमी क्या है?
प्रवृत्ति और निवृत्ति के बीच में क्या संबंध है?
प्रवृत्ति और निवृत्ति के बीच में क्या संबंध है?
वृत्ति और राग-द्वेष के अंत में क्या प्राप्त होता है?
वृत्ति और राग-द्वेष के अंत में क्या प्राप्त होता है?
भौतिक समृद्धि की कठोरता क्या है?
भौतिक समृद्धि की कठोरता क्या है?
सच्चा भाग्योदय कब होता है?
सच्चा भाग्योदय कब होता है?
भाषा के लिए सही मुहावरे क्यों आवश्यक हैं?
भाषा के लिए सही मुहावरे क्यों आवश्यक हैं?
राग-द्वेष का चक्र मनुष्य को क्या अनुभव कराता है?
राग-द्वेष का चक्र मनुष्य को क्या अनुभव कराता है?
व्यक्तिगत समृद्धि का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
व्यक्तिगत समृद्धि का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
प्रवृत्तियों का प्रेरित होना किससे संबंधित है?
प्रवृत्तियों का प्रेरित होना किससे संबंधित है?
Study Notes
राष्ट्रस्य स्वरूपम्
- वासुदेवशरण अग्रवालस्य रचनायां राष्ट्र, धरती, भूनम, वसुंधरा, माता भूनम, मातृभूनम, धरती माता, पृथ्वी, जन, संस्कृत, राष्ट्रीय जन, राष्ट्र संवधधन, राष्ट्रीयता, साहित्य कला, नृत्य गीत इत्यादय शब्दावली प्रयुक्तः अस्ति।
रोबर्ध ननसिंग ोम में
- कन्हैयालाल नमश्र 'प्रभाकर' रचिते 'रोबर्ध ननसिंग ोम में' रचनायां नश्तर, ह र्लर, मदर, मदर मागधरर् , मदर र्े रस , कामरूप जाद इत्यादय शब्दावली दरीदृश्यते।
अशोक के फूल
- जारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित 'अशोक के फूल' रचनायां अशोक , अशोक का फूल, अशोक, कानलदास, गंधवध, संतानकानमननया, मनो र पुष्प, कवक्रमाददत्य, मानव जाचत की दग धम ननमधम धारा, नजजीकवषा, आयध हूण, कुषाण, शक, म ामानवसमुद्र, रवींद्रनाथ र्ै गोर, दनु नया बडी भुलक्कड ै इत्यादय शब्दावली अवश्यम् स्युः।
प्रगतिः के मानदंडः
- पंहडत दीनदयाल उपाध्याय रचिते 'प्रगति के मानदंड' पाठे यत कपिंडे तथा ब्रह्ांडे, बलमुपास्य, आर्थिक, सामानजक, समाज, भरण-पोषण, जीकवकोपाजधन, समाज के कवषय इत्यादय शब्दावली अवश्य विद्यते।
भाषा आधुनिकता च
- प्रो.जी सुंदर रेड्डी कृत 'भाषा और आधुनिकता' पाठे भाषा की बात अवश्य ोगी, संस्कृचत + भाषा की बात ोगी। नए शब्द को गढना, आकवष्कार करना, नए मु ावरे, पंहडतों की ददमागी कसरत, आदद इत्यादय शब्दावली दरीदृश्यते।
म और मारा आदशध
- डॉ.एपीजे अब्दल कलाम रचिते 'म और मारा आदशध' पाठे अध्यात्म और समृद्धि का कवरोध, युवा शर्ि, युवाओ ं से नमलना, म त्वाकांक्षा, कवकनसत भारत, नजम्मेदार नागहरक, समृद्धि और अध्यात्म, प्रकृचत अधूरे मन से काम न ीं करती, संसार ऊजाध का रूप , भौचतक पदाथों की इच्छा रिना इत्यादय शब्दावली दरीदृश्यते।
निं दा रस
- हररशंकर परसाई रचिते 'निं दा रस' पाठे निं दा शब्द अनेकवार दृश्यते. धृतराष्ट्र, भीम, नमत्र, झूठ च इत्यादय शब्दावली अवश्य विद्यते।
भाग्य और पुरुषार्थ
-
जै ेन्द्र कुमार रचिते 'भाग्य और पुरुषार्थ ' पाठे भाग्य , पुरुषार्थ, भाग्योदय, इत्यादय शब्दावली बार बार आयेगा. इच्छाएँ ा ा हैं, दुुःख भगवा का वरदा. इत्यादय शब्दावली भी दरीदृश्यते। "यत् पपण्डे तद्ब्रह्ांडे" अनुरूप समष्टि जीवमा प्रततन तध उपकरर् भौततक उपकरर् मा व सुख साध साध्य नजस व्यवस्था में नभन्नरुतचलोक पवचार केवल एक औसत मा व अर्वा शरीर–म – बुद्धि – आत्मायुक्त अ ेक एषर्ाओ ं पुरुषार्थचतुियशील , पूर्थ मा व स्था पर एकांगी मा व पवचार , वह अधूरी है ।
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धरती माता कोख अमूल्य न तधयाँ , नज के कारर् वसुन्धरा "लाखों – करोडों वषों अ ेक प्रकार धातुओ ं पृथर्वी गभथ पोषर् ". दद – रात बह ेवाली ददयों े पहाडों पीस – पीसकर अगद्धर्त प्रकार नमरियों पृथर्वी देह सजाया "हमारे भावी आथर्िक अभ्युदय नलए इ सबकी जाँच – पडताल अिन्त आवश्यक है "
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"मैं यह हीं मा ता पक समृद्धि और अध्यात्म एक – दूसरे के पवरोधी हैं या भौततक वस्तुओ ं इच्छा रख ा कोई गलत सोच है " उदाहरर् तौर पर , "मैं खुद न्यू तम वस्तुओ ं भोग जीव पबता रहा हँ , ले पक मैं – सवथत्र समृद्धि कद्र करता हँ , क्योंपक समृद्धि अप े सार् सुरक्षा तर्ा पवश्वास लाती है , जो अन्ततुः हमारी आजादी को ब ाए रख े में सहायक हैं "
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"पुरा ी रीततयों और शैनलयों की परम्परागत लीक पर चल े वाली भाषा भी ज चेत ा को गतत दे े में प्रायुः असमर्थ ही रह जाती है ". "भाषा समूची युग – चेत ा की अनभव्यथक्त का एक सशक्त माध्यम है और ऐसी सशक्ता तभी वह अनजित कर सकती है जब वह अप े युगा ुकूल सही मुहावरों को ग्रहर् कर सके " "भाषा सामानजक भाव.प्रकटीकरर् की सुबोधता के नलए ही अततररक्त उसकी जरूरत ही सोची हीं जाती "
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"इच्छाएँ ा ा हैं और ा ा पवतध हैं और उसे प्रवृत्त रखती हैं" "उस प्रवृथत्त से वह रह-रहकर र्क जाता है और न वृथत्त चाहता है" "यह प्रवृथत्त और न वृथत्त का चक्र उसको द्वन्द्व से र्का मारता है" "इस संसार को अभी राग-भाव से वह चाहता है पक अगले क्षर् उत े ही पवराग- भाव से वह उसका पव ाश चाहता है" "पर राग-द्वेष की वास ाओ ं से अन्त में झुंझलाहट और छटपटाहट ही उसे हार् आती है" "ऐसी अवस्था में उसका सच्चा भाग्योदय कहलाएगा अगर वह त- म्र होकर भाग्य को नसर आँखों ले गा और प्राप्त कतथव्य में ही अप े पुरुषार्थ की इतत मा ेगा"
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Description
एषः प्रश्नपत्रं विभिन्न रचनाकारः यथा वासुदेवशरण अग्रवाल, कन्हैयालाल नमश्र, जारी प्रसाद द्विवेदी, च अन्यानां रचनां संदर्शयति। अत्र राष्ट्र, नश्तर इत्यादि विषयाः समावेशः अस्ति। साधारणतः मनोविज्ञान विकासः च दर्शयति।