आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की विचारधारा
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Questions and Answers

भीष्म पितामह का मौन किस संदर्भ में महत्वपूर्ण माना गया है?

  • द्रौपदी के अपमान के समय (correct)
  • सामाजिक अवसरों पर
  • राजनीतिक वार्ताओं में
  • युद्ध के मैदान में
  • आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार साहित्यकार का क्या कर्तव्य होता है?

  • सिर्फ आलोचना करना
  • केवल निजी विचार साझा करना
  • समाज में गलत कार्यों को नजरअंदाज करना
  • सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं पर रुख देना (correct)
  • द्विवेदी जी के अनुसार साहित्यकारों का मौन क्या दर्शाता है?

  • अमानवीय कृत्यों की ओर इशारा (correct)
  • ज्ञान की कमी
  • सामाजिक स्थिति का पालन
  • सामाजिक कार्यों में भागीदारी
  • भीष्म को अवतार क्यों नहीं माना गया, इस पर द्विवेदी जी का क्या तर्क है?

    <p>भीष्म का ज्ञान और धर्म कोई हल नहीं ढूंढ़ा गया</p> Signup and view all the answers

    द्विवेदी जी के अनुसार सत्य को किसके ऊपर रखा जाना चाहिए?

    <p>लोक कल्याण</p> Signup and view all the answers

    द्विवेदी जी के अनुसार प्रभावशाली भाषा की क्या विशेषता होती है?

    <p>यह श्रोता को प्रभावित कर सकती है</p> Signup and view all the answers

    द्विवेदी जी समाज में विद्वानों से क्या अपेक्षाएँ रखते हैं?

    <p>समाज में सुधार लाने का प्रयास करना</p> Signup and view all the answers

    द्विवेदी जी के अनुसार विचारों का महत्व क्या है?

    <p>कार्य में बदलने पर</p> Signup and view all the answers

    द्विवेदी जी का क्या कहना है कि इतिहास निर्माता कौन होता है?

    <p>जो क्रियान्वयन करता है</p> Signup and view all the answers

    द्विवेदी जी के अनुसार, अच्छे कार्य समाज के किस प्रकार के तत्व होते हैं?

    <p>समाज के कल्याण के लिए</p> Signup and view all the answers

    द्विवेदी जी का क्या मानना है कि विद्वानों का कार्य सिर्फ ज्ञान की चर्चा करना है?

    <p>नहीं, उन्हें कार्य करने का भी जोश होना चाहिए</p> Signup and view all the answers

    द्विवेदी जी ने किस निबंध में विचारों को कार्य में बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया?

    <p>विष्णु को क्षमा नहीं किया गया</p> Signup and view all the answers

    द्विवेदी जी के अनुसार, यदि समाज में बदलाव लाना है, तो क्या करना चाहिए?

    <p>विचारों को कार्य में बदलना</p> Signup and view all the answers

    Study Notes

    आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और उनकी विचारधारा

    • द्विवेदी जी एक विद्वान और साहित्यिक व्यक्तित्व हैं, जो अपने समय के ज्ञानियों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
    • वे उम्र के कारण सम्मान की प्रवृत्ति का जिक्र करते हैं, जिसमें ऐसे लोग भी सम्मान पाते हैं जिनके पास ज्ञान और समझ नहीं होती।
    • साहित्यकार का कर्तव्य सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं पर रुख देने का होता है।

    भीष्म पितामह का संदर्भ

    • द्विवेदी जी ने भीष्म पितामह का उदाहरण पेश किया है, जिन्होंने द्रौपदी के अपमान के समय मौन धारण किया और इसके चलते उन्हें भविष्य में क्षमा नहीं किया गया।
    • यह संदर्भ समाज में साहित्यकारों और पत्रकारों की जिम्मेदारी को उजागर करता है कि उन्हें गलतियों के प्रति जागरूक रहना चाहिए।

    भविष्य और क्षमा

    • द्विवेदी जी विचारित करते हैं कि साहित्यकारों का मौन भी अमानवीय कृत्यों की ओर इशारा करता है, जो भविष्य में क्षमा योग्य नहीं है।
    • उन्होंने अपनी चुप्पी को अपराध के रूप में माना और इस बात पर जोर दिया कि अगर बदलाव नहीं किया गया तो भविष्य कड़ी कीमत वसूलेगा।

    भीष्म का गुण और अवतार का प्रश्न

    • द्विवेदी जी अपने मित्र से बातचीत में यह प्रश्न उठाते हैं कि भीष्म को अवतार क्यों नहीं माना गया जबकि श्रीकृष्ण को अवतार के रूप में स्वीकार किया गया है।
    • वे यह सुझाव देते हैं कि भीष्म के ज्ञान और धर्म का कोई हल नहीं ढूंढा गया।

    प्रभावशाली भाषा की महत्ता

    • द्विवेदी जी का मानना है कि प्रभावशाली भाषा में जादुई शक्ति होती है, जो श्रोता को प्रभावित करती है।
    • उनके अनुसार, शब्दों का प्रभाव किसी भी समाज और व्यक्ति को अस्तित्व से जोड़ देता है या फिर तोड़ देता है।

    सामाजिक दायित्व

    • उन्होंने समस्त विद्वानों से आग्रह किया कि वे समाज में हो रहे आचरण पर नजर रखें और अपने ज्ञान और लेखनी के माध्यम से सुधार लाने का प्रयास करें।
    • द्विवेदी जी ने यह भी कहा कि सच्चाई और लोक कल्याण दोनों का अनिवार्य संतुलन आवश्यक है।

    सत्य और लोक कल्याण

    • भीष्म ने सत्य को लोक कल्याण से ऊपर रखा, जबकि अक्सर समाज में व्यक्ति को उचित निर्णय लेना चाहिए।
    • द्विवेदी जी ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति के सामने गलत कार्य हो रहा हो, तो उसे सत्य का ध्यान रखते हुए लोक कल्याण की चिंता करनी चाहिए।

    विद्वानों की सक्रियता

    • विद्वानों और साहित्यकारों को यह मानना चाहिए कि उनके पास ज्ञान के साथ-साथ कार्य करने का भी जोश हो।
    • द्विवेदी जी ने यह सिद्ध किया कि यदि विद्वान केवल ज्ञान की चर्चा करें और कार्यवाही न करें, तो वे अपने कर्तव्य से चूक रहे हैं।### इतिहास निर्माण और कर्म
    • इतिहास निर्माता वही होता है जो क्रियान्वयन करता है, सिर्फ सोचने से कुछ नहीं होता।
    • अच्छे विचारों का होना महत्वपूर्ण है, लेकिन उन्हें क्रियान्वित करना और भी आवश्यक है।
    • यदि समाज में बदलाव लाना है, तो विचारों को कार्य में बदलना चाहिए।
    • सोचने की बजाय, प्रभावी कार्य करना चाहिए, खासकर जब विपरीत परिस्थितियाँ हों।
    • अच्छे कार्य समाज का कल्याण करते हैं और व्यक्ति को इतिहास में स्थान दिलाते हैं।
    • विचारों का महत्व तभी होता है जब वे क्रियान्वित हो जाएं, अन्यथा वे मायने नहीं रखते।
    • महान विचारों को अच्छे कर्मों के माध्यम से समाज में उतारना चाहिए।
    • आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का यह निबंध "विष्णु को क्षमा नहीं किया गया" इस सोच को प्रमोट करता है।

    आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी और उनकी विचारधारा

    • द्विवेदी जी एक प्रमुख विद्वान और साहित्यिक हस्ती हैं।
    • सम्मान की प्रवृत्ति पर चर्चा, जिसमें बिना ज्ञान के भी लोग सम्मान पाते हैं।
    • साहित्यकार का महत्वपूर्ण कार्य सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन और उनकी प्रतिक्रिया देना है।

    भीष्म पितामह का संदर्भ

    • द्रौपदी के अपमान पर भीष्म पितामह के मौन से मिली सीख।
    • साहित्यकारों और पत्रकारों की जिम्मेदारी से अवगत कराना कि उन्हें गलतियों के प्रति सजग रहना चाहिए।

    भविष्य और क्षमा

    • द्विवेदी जी का मानना है कि साहित्यकारों का मौन अमानवीयता की ओर इशारा करता है।
    • चुप रहने को अपराध बताया, बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि भविष्य में नुकसान न हो।

    भीष्म का गुण और अवतार का प्रश्न

    • द्विवेदी जी ने भीष्म को अवतार न मानने का कारण खोजा।
    • भीष्म के ज्ञान और धर्म पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया।

    प्रभावशाली भाषा की महत्ता

    • प्रभावशाली भाषा की जादुई शक्ति को समझाया, जो मानव समाज पर गहरा प्रभाव डालती है।
    • शब्दों के प्रभाव से समुदायों और व्यक्तियों के अस्तित्व का जुड़ाव या टूटाव होता है।

    सामाजिक दायित्व

    • विद्वानों को समाज में सुधार लाने के लिए अपने ज्ञान का उपयोग करने की प्रेरणा दी।
    • सच्चाई और लोक कल्याण के बीच संतुलन की आवश्यकता को समझाया।

    सत्य और लोक कल्याण

    • भीष्म के सत्य को लोक कल्याण से ऊँचा रखना एक महत्वपूर्ण संदेश।
    • गलत कार्य के विरुद्ध खड़े होने की आवश्यकता का बोध कराया।

    विद्वानों की सक्रियता

    • विद्वानों की जिम्मेदारी है कि वे ज्ञान के साथ क्रियान्वयन का भी प्रयास करें।
    • यदि विद्वान केवल ज्ञान पर चर्चा करे और कार्यवाही न करें, तो वे अपने कर्तव्य से चूक रहे हैं।

    इतिहास निर्माण और कर्म

    • इतिहास का निर्माण क्रियान्वयन से होता है, केवल विचार करने से नहीं।
    • अच्छे विचारों को कार्य में परिवर्तित करने की आवश्यकता है।
    • प्रभावी कार्य समाज का कल्याण करते हैं और व्यक्ति को महत्वाते हैं।
    • विचारों का मूल्य तभी है जब वे वास्तविकता में परिवर्तित हों।
    • महान विचारों को अच्छे कर्मों द्वारा समाज में लागू करना चाहिए।

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    Description

    इस क्विज में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की विचारधारा और उनके साहित्यिक दृष्टिकोण का विश्लेषण किया गया है। द्विवेदी जी की सामाजिक और राजनीतिक जिम्मेदारियों के बारे में उनके दृष्टिकोण पर चर्चा की गई है। साथ ही, भीष्म पितामह के संदर्भ से साहित्यकारों के कर्तव्यों को उजागर किया गया है।

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