जैन धर्म PDF
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इस दस्तावेज़ में जैन धर्म, इसके संस्थापक, सिद्धांत, और महत्वपूर्ण तत्वों जैसे अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, और ब्रह्मचर्य के बारे में जानकारी दी गई है। यह जैन धर्म के इतिहास और विकास पर भी प्रकाश डालता है।
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# जैन धर्म Jainism ## जैन धर्म - जैन शब्द संस्कृत के 'जीन' शब्द से बना है। जिसका अर्थ विजेता होता है। - जैन धर्म का मुख्य केन्द्र बिन्दु 'अहिंसा' था - इस धर्म के संस्थापक ऋषभदेव थे। - जैन धर्म के प्रवर्तक को तीर्थकर कहा जाता है। - ऋषभदेव जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे। - तीर्थंकर का अर्थ होता है, दु...
# जैन धर्म Jainism ## जैन धर्म - जैन शब्द संस्कृत के 'जीन' शब्द से बना है। जिसका अर्थ विजेता होता है। - जैन धर्म का मुख्य केन्द्र बिन्दु 'अहिंसा' था - इस धर्म के संस्थापक ऋषभदेव थे। - जैन धर्म के प्रवर्तक को तीर्थकर कहा जाता है। - ऋषभदेव जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे। - तीर्थंकर का अर्थ होता है, दुःख से परे संसार रूप सागर को पार कराने वाला। - ऋषभदेव हिमालय पर्वत पर निर्वाण को प्राप्त किए थे। - जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर माने जाते हैं जिन्होंने समय-समय पर जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किए - जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पारसनाथ थे। - इनका जन्म वाराणसी के राजा अश्वसेन के यहाँ हुआ था जो इच्छवाकु वंश से संबंधित थे। - इन्हें झारखण्ड के सम्मेद शिखर पर ज्ञान की प्राप्ति हुई, जिस कारण सम्मेद शिखर का नाम पारसनाथ की चोटी हो गया। - ज्ञान प्राप्ती के बाद इन्होंने चतुरायण धर्म दिया जो निम्नलिखित है - ### चतुरायण धर्म 1. अहिंसा - जान-बूझकर या अनजाने में भी किसी प्रकार की हिंसा नहीं करना। 2. सत्य - सदा सत्य बोलना। 3. अस्तेय - किसी व्यक्ति की कोई वस्तु बिना उसकी इच्छा के ग्रहण नहीं करना न ऐसी कोई इच्छा करना। 4. अपरिग्रह - किसी प्रकार का संग्रह नहीं करना। 5. ब्रह्मचर्य - ब्रह्मचर्य व्रत का सख्ती से पालन करना। ## जैन धर्म की पाँच श्रेणियाँ 1. तीर्थंकर - वह जिसने मोक्ष की प्राप्ति की हो। 2. अर्हत - वह जो निर्वाण की प्राप्ति की ओर अग्रसर हो। 3. आचार्य - जैन-भिक्षुओं के समूह का प्रमुख 4. उपाध्याय - जैन धर्म का शिक्षक 5. साधु - सारे जैन-भिक्षु ## महावीर स्वामी - जैन धर्म के 24वें तिर्थंकर एवं अंतिम तिर्थंकर महावीर स्वामी हैं। इन्हें जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक कहते हैं। - इनके पिता सिद्धार्थ थे, जो ज्ञातृक कुल के राजा थे। - इनकी माता त्रिशला थी। जो लिच्छिवी नरेश चेतक की बहन थी। - इनके बड़े भाई नदीवर्मन थे। - इनका बचपन का नाम वधर्मान था। - इनका जन्म 540 ई.पू. वैशाली के निकट कुंडग्राम में हुआ था। - इनकी पत्नी यशोदा थी। - इनकी बेटी प्रियदर्शनी (अन्नोज्जा) थी तथा दामाद जमालि था। - 30 वर्ष की आयु में इन्होंने अपने बड़े भाई नंदीवर्मन से आज्ञा लेकर गृह त्याग दिए। ## महावीर स्वामी ने त्रिरत्न दिए जो निम्नलिखित हैं- 1. सम्यक् ज्ञान 2. सम्यक् दर्शन 3. सम्यक् आचरण - भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपने मतों के प्रचार-प्रसार के लिए एक संघ की स्थापना किए जिसमें 11 अनुयायी थे। - महावीर स्वामी ने ईश्वर के अस्तित्व को नहीं माना जिस कारण वे मूर्तिपूजा और कर्मकांड का विरोध किए। अतः इन्हें अनेश्वरवादी भी कहा जाता है। - इन्होंने पुनर्जन्म को माना और पुनर्जन्म का सबसे बड़ा कारण आत्मा को बताया। आत्मा को सताने के लिए इन्होंने कहा कि मोक्ष प्राप्ती के बाद पुनर्जन्म से मुक्ति मिल जाएगी। - महावीर स्वामी ने अहिंसा पर सर्वाधिक बल दिया, जिस कारण उन्होंने कृषि तथा युद्ध पर प्रतिबंध लगा दिए। - महावीर स्वामी के दिए गए उपदेशों को चौदह पूर्वी नामक पुस्तक में रखा गया जो जैन धर्म की सबसे प्राचीन पुस्तक है। - महावीर स्वामी ने अपने उपदेश प्राकृत भाषा में दिए। - महावीर ने अपने उपदेश में अनेकांतवाद की चर्चा किए। - 72 वर्ष की अवस्था में 468 ई.पू. पावापुरी में इनकी मृत्यु (निर्वाण) हो गई। - पावापुरी उस समय मल्ल गणराज्य के अधीन था। जिसका शासक हस्तपाल था। - महावीर स्वामी के बाद प्रथम उपदेश देने वाला आर्यसूधर्मा को घोषित किया गया था। - भद्रबाहु तथा स्थूलबाहु इनके दो सबसे प्रिय अनुयायी थे - मौर्य काल में मगध पर 12 वर्षीय भीषण अकाल पड़ा जिस कारण भद्रबाहु अपने अनुयायियों के साथ दक्षिण भारत में कर्नाटक चले गए। इन्हीं के साथ चन्द्रगुप्त मौर्य आये थे। जिसने कर्नाटक के श्रवण बेलगोला में संलेखना (संथारा) से प्राण त्याग दिये। - इस भीषण अकाल में भी स्थूलबाहु तथा उसके अनुयायी मगध में ही रूके रहे। जब अकाल खत्म हो गया तो भद्रबाहु मगध लौट आया। किन्तु इन दोनों में विवाद हो गया। - भद्रबाहु के नेतृत्व वाले लोग निर्वस्त्र रहते थे, जिन्हें दिगम्बर कहा गया। - जबकि स्थूलबाहु के नेतृत्व वाले लोग श्वेत वस्त्र धारण करने लगे। जिसे श्वेताम्बर कहा गया। ## जैन धर्म के विनाश के कारण - कठिन भाषा - कठोर नियम - महिलाओं का असम्मान - राजाओं का संरक्षण न प्राप्त होना। - निवस्त्र रहना - ब्रह्मचर्य रहना ## जैन धर्म के विनाश के कारण - कठिन भाषा - कठोर नियम - महिलाओं का असम्मान - राजाओं का संरक्षण न प्राप्त होना। - निवस्त्र रहना - ब्रह्मचर्य रहना ## प्रमुख जैन तीर्थंकर एवं उनके प्रतीक चिन्ह | क्र.सं. | प्रमुख जैन तीर्थंकर | चिह्न | |---|---|---| | 1. | ऋषभदेव | बैल | | 2. | अजीतनाथ | हाथी | | 3. | संभवनाथ | अश्व | | 6. | पद्मप्रभू | कमल | | 7. | सुपार्श्वनाथ | स्वास्तिक | | 19. | मल्लिनाथ | कलश | | 21. | नेमिनाथ | नीलकमल | | 22. | अरिष्टनेमि | शंख | | 23. | पारसनाथ | सर्प | | 24. | महावीर स्वामी | सिंह | ## जैन धर्म का प्रचार - महावीर का जन्म 540 ईसा पूर्व के लगभग वैशाली में कहां हुआ था? - कुंडग्राम में - जैन धर्म में सर्वप्रथम विभेद किसने उत्पन्न किया था? - जमालि - जैन धर्म का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ जो संस्कृत में लिखा गया है, कौन सा है? - कल्पसूत्र - जैन मतावलम्बियों ने किस आम बोल-चाल की भाषा को अपनाया था? - प्राकृत - मथुरा एवं उज्जैन किस धर्म के प्रधान केन्द्र थे - - जैनधर्म - किस जैन ग्रंथ में महावीर के कठोर तपश्या एवं कायाक्लेश का रोचक विवरण मिलता है? - आचरांग सूत्र - कुंडलपुर जन्म स्थान है - - महावीर स्वामी का - किस जैन संगीति का अध्यक्ष कौन था - देवार्धि क्षमा श्रवण - किस जैन संगीति में जैन धर्म के महत्त्वपूर्ण 12 अंगों का प्रणयन किया गया? - प्रथम जैन संगीति - 'आजीवक' नामक नए सम्प्रदाय की स्थापना किसने की थी? - मोखलिपुत्त गोशाल - पार्श्वनाथ के अनुयायी क्या कहलाते थे? - निग्रंथ - तीर्थकर शब्द संबंधित है? - जैन ## जैन धर्म का प्रचार - महावीर का जन्म 540 ईसा पूर्व के लगभग वैशाली में कहां हुआ था? - कुंडग्राम में - जैन धर्म में सर्वप्रथम विभेद किसने उत्पन्न किया था? - जमालि - जैन धर्म का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ जो संस्कृत में लिखा गया है, कौन सा है? - कल्पसूत्र - जैन मतावलम्बियों ने किस आम बोल-चाल की भाषा को अपनाया था? - प्राकृत - मथुरा एवं उज्जैन किस धर्म के प्रधान केन्द्र थे - - जैनधर्म - किस जैन ग्रंथ में महावीर के कठोर तपश्या एवं कायाक्लेश का रोचक विवरण मिलता है? - आचरांग सूत्र - कुंडलपुर जन्म स्थान है - - महावीर स्वामी का - किस जैन संगीति का अध्यक्ष कौन था - देवार्धि क्षमा श्रवण - किस जैन संगीति में जैन धर्म के महत्त्वपूर्ण 12 अंगों का प्रणयन किया गया? - प्रथम जैन संगीति - 'आजीवक' नामक नए सम्प्रदाय की स्थापना किसने की थी? - मोखलिपुत्त गोशाल - पार्श्वनाथ के अनुयायी क्या कहलाते थे? - निग्रंथ - तीर्थकर शब्द संबंधित है? - जैन ## पार्श्वनाथ ने जिस धर्म का प्रतिपादन किया वह था - जिनकल्प ## जैन प्रकीणों की संख्या कितनी है? - दस ## महावीर स्वामी का सर्वप्रथम अनुयायी कौन बना था? - व्यापारी वर्ग ## जैन धर्म मुख्यतः किस वर्ग तक सीमित रहा? - व्यापारी वर्ग तक ## महावीर द्वारा शिक्षित किए गए मूल सिद्धांतों को कितने ग्रंथों में संकलित किया गया था? - चौदह ग्रंथों में ## महावीर स्वामी द्वारा शिक्षित किए गए मूल सिद्धांतों को बारह अंगों में किनके द्वारा संकलित किया गया? - सम्भूति विजय और भद्रबाहु द्वारा ## जैन धर्म के 12 अंगों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंग कौन से हैं? - आचरांग सूत्र व भगवती सूत्र ## ‘नियुक्ति’ नामक जैन ग्रंथ के लेखक थे - भद्रबाहु ## जैन धर्म में कितने प्रकार के ज्ञान का उल्लेख मिलता है? - 5 प्रकार के ## जैन धर्म ग्रंथों को अंतिम रूप से किस संगीति में संकलित कर लिपिबद्ध किया गया था? - द्वितीय जैन संगीति ## ऋग्वेद के श्लोकों में किन तीर्थंकरों के नामों का स्पष्ट उल्लेख हुआ? - ऋषभ एवं अरिष्टनेमी ## 'कल्पसूत्र' नामक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ की रचना किसने की थी? - भद्रबाहु ## दक्षिण में जैन धर्म के प्रसार का श्रेय किसे दिया जाता है? - भद्रबाहु एवं चन्द्रगुप्त मौर्य को ## जैन परम्परा के अनुसार ऐसे कौन से आचार्य हुए जो श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों अनुयायियों के श्रद्धेय थे? - उमास्वामी ## किसके राजप्रसाद में महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ? - मल्ल राजा सस्तिपाल ## दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार किन राजाओं के काल में सर्वाधिक हुआ? - राष्ट्रकूटों के समय ## भारत की धार्मिक प्रथाओं के संदर्भ में 'स्थानक वासी' सम्प्रदाय का संबंध किससे है? - जैन मत ## जैन धर्म के संस्थापक है - ऋषभदेव ## जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर कौन थे? - ऋषभदेव ## जैन 'तीर्थकर' पार्श्वनाथ स्थानों में से मुख्यतः किस स्थानों से संबंधित थे? - वाराणसी ## तीर्थकर शब्द संबंधित है - जैन ## प्रभासगिरि जिनका तीर्थ स्थल है, वह हैं - जैन ## जैन धर्म में 'पूर्ण ज्ञान' के लिए क्या शब्द है? - कैवल्य ## त्रिरत्न सिद्धांत सम्यक धारण, सम्यक चरित्र एवं सम्यक ज्ञान - जिस धर्म की महिमा है, वह है- जैन धर्म ## अणुव्रत सिद्धांत का प्रतिपादिन किया था - जैन धर्म ने ## स्याद्वाद सिद्धांत है - जैन धर्म का ## जैन दर्शन के अनुसार - सृष्टि की रचना एवं पालन-पोषण सार्वभौमिक विधान से हुआ है ## अनेकांतवाद किसका क्रोड सिद्धांत एवं दर्शन है- जैन मत ## जैन संप्रदाय में प्रथम विभाजन के समय शेवतांबर संप्रदाय के संस्थापक थे - स्थूलभद्र ## जैन धर्म का आधारभूत बिन्दु है - अहिंसा ## यापनीय किसका एक संप्रदाय था - जैन धर्म का ## कौन सबसे पूर्वकालिक जैन ग्रंथ कहलाता है- चौदह पूर्व ## प्रारंभिक जैन साहित्य किस भाषा में लिखे गए ? - अर्ध-मागधी ## कौन-सा स्थल पार्श्वनाथ से संबद्ध होने के कारण जैन-सिद्ध क्षेत्र माना जाता है? - सम्मेद शिखर ## भगवान महावीर का प्रथम शिष्य था - जमालि ## किस जैन सभा में अंतिम रूप से श्वेतांबर आगम का संपादन हुआ? - पाटलिपुत्र ## महावीर का प्रथम अनुयायी कौन था? - जमालि ## "समाधि मरण" किस दर्शन से संबंधित है? - जैन दर्शन ## श्रवणबेलगोला में गोमतेश्वर की विशाल प्रतिमा किसने स्थापित करवाई थी? - चामुंडराय ने ## 'आजीव' संप्रदाय के संस्थापक थे - मक्खलिगोसाल ## किसने प्रतिपादित किया कि भाग्य ही सब कुछ निर्धारित करता है, मनुष्य असमर्थ होता है? - आजीविकों ने ## संप्रदाय, जो नियति की अटलता में विश्वास करता था - आजीवक ## बराबर की गुफाओं का उपयोग किसने आश्रयगृह के रूप में किया - आजीविकों ने ## उत्तर प्रदेश में बौद्ध एवं जैनियों दोनों की प्रसिद्ध तीर्थस्थली है - कौशाम्बी ## महान धार्मिक घटना, महामस्तकाभिषेक, किससे संबंधित है - बाहुबली ## प्रभासगिरि जिनका तीर्थ स्थल है, वे हैं- जैन ## बुद्ध धर्म ## बौद्ध धर्म का प्रारंभ महात्मा बुद्ध ने किया था। - महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। - इनका जन्म 563 ई.पू. में नेपाल के लुम्बनी कपिलवस्तु में हुआ। - इनके पिता सुद्धोधन क्षत्रिय (शाक्य गण के प्रधान थे)। - इनकी माता महामाया (कोलीय वंश) की थी। - जन्म के सात दिन बाद महामाया की मृत्यु हो गई। - इनकी मौसी गौतमी ने इनका पालन पोषण किया। गौतमी इनकी सौतेली माँ भी थी। - इनका विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा (गोपा/ बिम्बा/ भदकच्छना) नामक अति सुंदर स्त्री से हुआ। - इनके पुत्र का नाम राहुल था। - सिद्धार्थ को तथागत, कनकमुनि, शाक्यमुनि भी कहते है। - इन्हें एशिया का ज्योतिपुंज भी कहा जाता है। ## **महात्मा बुद्ध के चार सत्य वचन** 1. संसार दुखों से भरा है। 2. सभी के दुखों का कोई न कोई कारण अवश्य है। 3. दुःख का सबसे बड़ा कारण इच्छा है। 4. इच्छा पर नियंत्रण पाया जा सकता है। ## **महात्मा बुद्ध का प्रथम उपदेश** - महात्मा बुद्ध ने कहा कि मेरे उपदेशों को अंधविश्वास के रूप में मत मानों बल्कि इसे तर्क के आधार पर अपनाओं। ## **अष्टांगिक मार्ग Fold Path** 1. सम्यक् दृष्टि (Right Observation) 2. सम्यक् संकल्प (Right determination) 3. सम्यक् वाणी (Right Speech) 4. सम्यक् कर्मान्त (Right Action) 5. सम्यक् आजीव (Right livelihood) 6. सम्यक् व्यायाम (Right Exercise) 7. सम्यक् स्मृति एवं (Right Memory) 8. सम्यक् समाधि (Right Meditation) ## **महात्मा बुद्ध का प्रचार** - महात्मा बुद्ध ने इच्छा पर नियंत्रण पाने के लिए अष्टांगिक मार्ग (मध्य मार्ग, बीच का रास्ता) दिया और कहा कि व्यक्ति की इच्छा इतनी बड़ी नहीं होनी चाहिए कि वह पूरी नहीं हो सके और इच्छा इतनी भी छोटी नहीं होनी चाहिए कि पूरा होने पर भी संतुष्टि न हो। - महात्मा बुद्ध ने कहा कि यदि कोई इच्छा अधूरी रहेगी तो वह पुर्नजन्म का कारण बनेगी। - पुर्नजन्म से छुटकारा पाने के लिए इच्छा को मारना पड़ेगा। इस क्रिया को उन्होंने मोक्ष कहा। - महात्मा बुद्ध अपना उपदेश पाली भाषा में देते थे। - महात्मा बुद्ध ने अपने अनुयायियों को 10 ऐसी बातें करने से मना किया था जिसे शील कहते है। ## **शील की संख्या 10 है।** 1. अहिंसा (Ahimsa) 2. सत्य (Truth) 3. अस्तेय (चोरी न करना) Asthe (Not Stealing) 4. अपरिग्रह (किसी प्रकार की सम्पत्ति न रखना) Aparigraha (Not possessing any kind of property) 5. मद्य-सेवन न करना (Non Drinking) 6. असमय भोजन न करना (Non-Stop eating) 7. सुखप्रद विस्तर पर नहीं सोना (Not sleeping on a soothing bed) 8. धन-संचय न करना (Non-accumulation of wealth) 9. स्त्रियों से दूर रहना (Stay away from women) 10. नृत्य-गान आदि से दूर रहना (Abstain from dancing) ## **बौद्ध धर्म का प्रचार** - मगध के राजा बिम्बिसार ने बुद्ध के निवास के लिए बेलुवन नामक महाविहार बनवाया। - लिच्छिवीयों ने बुद्ध के निवास के लिए कुटाग्रशाला का निर्माण करवाया। - गौतम बुद्ध उदायिन के शासनकल में कौशाम्बी आए थे। - बुद्ध के अनुयायी दो भागों में विभाजित थे। - भिक्षुक- बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु सन्यास ग्रहण करने वाले व्यक्ति भिक्षुक कहलाए। - उपासक - गृहस्थ जीवन जीते हुए भी बौद्ध धर्म अपनाने वाले व्यक्ति उपासक कहलाए। ## **महात्मा बुद्ध ने दर्शन दिए -** 1. अनेश्वरवाद - अर्थात् ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं। 2. शून्यवाद - कोई भी व्यक्ति सर्वोपरी नहीं है न ही सर्वशक्तिमान है 3. क्षणिकवाद - संसार की सभी वस्तुएँ कुछ ही समय के लिए है। इनका विनाश निश्चित है अर्थात् ये सभी वस्तुएँ क्षणिक हैं। ## **बौद्ध धर्म के तीन प्रमुख सिद्धांतों को त्रिरत्न कहते है।** 1. बुद्ध 2. संघ 3. धम्म ## **महात्मा बुद्ध का सबसे पहले शिक्षा का संकलन त्रिपिटक में किया गया।** - **त्रिपिटक का अर्थ- ज्ञान भरा टोकरी होता है।** - **त्रिपिटक श्रीलंका में सिंहली भाषा में लिखा गया।** - **बौद्ध धर्म में प्रवेश की न्यूनतम आयु 15 वर्ष थी।** - **बुद्ध अपने जीवनकाल में ही संघ का प्रमुख देवदत्त को बनाना चाहते थे।** - **महात्मा बुद्ध उपदेश देते हुए पावापुरी पहुंच गए जहाँ एक जैन भिक्षु चन्द्र ने इन्हें सुकरमास (सुअर का मांस या जहरीली मशरूम) खिला दिया।** - **महात्मा बुद्ध की तबीयत बिगड़ने लगी और उन्हें डायरिया हो गया।** - **के मल्ल महाजनपद में स्थित कुशीनगर में उनकी मृत्यु हो गई जिसे महापरिनिर्वाण के नाम से जानते हैं।** - **इनके अंतिम संस्कार को मल्य महाजनपद के राजाओं ने धूम-धाम से किया।** - **महात्मा बुद्ध के मृत्यु के बाद उनकी अस्थियों को 8 अलग-अलग स्थानों पर दफनाया गया। जिन्हें अष्ट् महास्थान कहते है।** - **गौतम बुद्ध ने अपने जीवन की अंतिम वर्षा ऋतु वैशाली में बिताया।** ## **बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए चार बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया।** | संगिति वर्ष | स्थान | राजा | पुरोहित | |---|---|---|---| | 483 BC | राजगीर | आजातशत्रु | महाकश्यप | | 383 BC | वैशाली | कालाशोक | साबकमीर | | 255 BC | पाटलिपुत्र | अशोक | मोगलीपुतिस | | प्रथम शताब्दी | कुण्डलवन | कनिष्क | वसुमित्र (अध्यक्ष) | | 172 ई. शताब्दी | | (II अशोक) | अश्वघोष (उपाध्यक्ष) | ## **बौद्ध धर्म के त्रिपिटक** - **विनयपिटक** - **सुतपिटक** - **अभिधम्म पिटक** ## **बौद्ध धर्म में विनाश के कारण** - **जैन धर्म ने पुर्नजन्म का कारण आत्मा को बताया जबकि बौद्ध धर्म ने इच्छा को बताया।** - **जैन धर्म ने मोक्ष प्राप्ति के लिए संलेखना विधि अपनाया जबकि बौद्ध धर्म ने अष्टांगिक मार्ग अपनाया।** - **जैन धर्म में ज्ञानप्राप्ति को कैवल्य कहा गया जबकि बौद्ध धर्म में मोक्ष कहा गया।** ## **बौद्ध धर्म के आगे बढ़ने के कारण** - **जैन धर्म की भाषा प्रकृति थी, जो बहुत ही कठिन थी। जबकि बौद्ध धर्म की भाषा पाली थी, जो उस समय की सबसे लोकप्रिय भाषा थी।** - **जैन धर्म में बहुत की कठोर नियम थे। जबकि बौद्ध धर्म के नियम सरल थे।** - **जैन धर्म में महिलाओं को सम्मान नहीं दिया गया जबकि बौद्ध धर्म में महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिया गया।** - **जैन धर्म में ब्रह्मचर्य तथा अहिंसा पर बहुत अधिक ध्यान दे दिया जबकि बौद्ध धर्म ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।** - **जैन धर्म में निर्वस्त्र रहने का प्रावधान था, जो असभ्य प्रतीत होता था, जबकि बौद्ध धर्म में निर्वस्त्र रहने का प्रावधान नहीं था।** - **जैन धर्म में केवल दो ही संगीतियाँ हुई, और वो भी 900 वर्ष के अंतराल पर, जबकि बौद्ध धर्म में चार संगितियां हुई वो भी 100 वर्ष के अंतराल पर।** - **जैन धर्म को बड़े-बड़े राजाओं का समर्थन नहीं मिल सका। जैन धर्म को मानने वाला प्रमुख राजा चन्द्रगुप्त मौर्य तथा खारवेल थे, जबकि बौद्ध धर्म को बड़े-बड़े राजाओं का संरक्षण मिला। बौद्ध धर्म मानने वाले प्रमुख राजा अशोक, कनिष्क, पालवंश, चीन एवं पूर्वी एशिया आदि।** ## **बौद्ध धर्म का शब्दकोश** - **महाविभाष्य सूत्र को कहा जाता है।** ## **बौद्ध धर्म से जुड़े चिन्ह** - **गर्भ - हाथी** - **जन्म- कमल** - **गृहत्याग – घोड़ा (महाभिनिष्क्रमण)** - **ज्ञान प्राप्ति – बौद्ध वृक्ष (संबोधन)** - **प्रथम उपदेश - समृद्धि - शेर** - **चक्र (धर्मचक्र प्रवर्तन)** - **निर्वाण – पचिन्ह** - **मृत्यु – स्तूप (महापरिनिर्वाण)** ## **बौद्ध तथा जैन धर्म में समानता** - **दोनों ने मोक्ष प्राप्ती तथा पुर्नजन्म में विश्वास किया।** - **दोनों ने मूर्तिपूजा तथा भगवान के अस्तित्व का विरोध किया।** - **दोनों ने कर्मकाण्ड का विरोध किए।** - **दोनों ही हिन्दु धर्म से टूटे थे।** ## **बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म में अंतर** - **जैन धर्म ने पुर्नजन्म का कारण आत्मा को बताया जबकि बौद्ध धर्म ने इच्छा को बताया।** - **जैन धर्म ने मोक्ष प्राप्ति के लिए संलेखना विधि अपनाया जबकि बौद्ध धर्म ने अष्टांगिक मार्ग अपनाया।** - **जैन धर्म में ज्ञानप्राप्ति को कैवल्य कहा गया जबकि बौद्ध धर्म में मोक्ष कहा गया।** ## **सारनाथ की भूमि स्पर्श मुद्रा वाले बुद्ध की प्रतिमा गुप्तकाल में बनाई गई थी।** - **बुद्ध की खड़ी प्रतिमा कुषाण काल में बनाई गई थी।** - **गौतम बुद्ध को देवता का स्थान कनिष्क के समय में दिया गया।** - **भारत में सबसे पहले जिस मानव प्रतिमा को पूजा गया वह बुद्ध की प्रतिमा थी और इसी के साथ मूर्ति पूजा की नींव रखी गयी।** - **बुद्ध की 80 फूट की प्रतिमा जो बोधगया में है उसे जापानीयों द्वारा निर्मित की गयी है।** - **30 फीट ऊँचा और 10 फीट लम्बा गौतम बुद्ध का शयनमुद्रा में मूर्ति बोधगया में बन रहा है।** - **बुद्ध की प्रथम मूर्ति शैली मथुरा शैली थी।** - **बुद्ध का सर्वाधिक मूर्ति गांधार शैली में मिला।** - **धार्मिक जुलूस का प्रारंभ बौद्ध धर्म से हुआ।** - **बौद्ध धर्म का रामायण अश्वघोष की पुस्तक बुद्धचरितम् को कहा जाता है।** - **भारत तथा एशिया का सबसे बड़ा मठ तवांगमठ अरूणाचल प्रदेश में है जो विश्व का दूसरा बौद्ध मठ है।** - **विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध मठ पोतलामहल, लहासा (तिब्बत) में है।** ## **बौद्ध तथा जैन धर्म में अन्तर** - **जैन धर्म ने पुर्नजन्म का कारण आत्मा को बताया जबकि बौद्ध धर्म ने इच्छा को बताया।** - **जैन धर्म ने मोक्ष प्राप्ति के लिए संलेखना विधि अपनाया जबकि बौद्ध धर्म ने अष्टांगिक मार्ग अपनाया।** - **जैन धर्म में ज्ञानप्राप्ति को कैवल्य कहा गया जबकि बौद्ध धर्म में मोक्ष कहा गया।** ## **बौद्ध धर्म के आगे बढ़ने के कारण** - **जैन धर्म की भाषा प्रकृति थी, जो बहुत ही कठिन थी। जबकि बौद्ध धर्म की भाषा पाली थी, जो उस समय की सबसे लोकप्रिय भाषा थी।** - **जैन धर्म में बहुत की कठोर नियम थे। जबकि बौद्ध धर्म के नियम सरल थे।** - **जैन धर्म में महिलाओं को सम्मान नहीं दिया गया जबकि बौद्ध धर्म में महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिया गया।** - **जैन धर्म में ब्रह्मचर्य तथा अहिंसा पर बहुत अधिक ध्यान दे दिया जबकि बौद्ध धर्म ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।** - **बौद्ध धर्म का शब्दकोश** - **महाविभाष्य सूत्र को कहा जाता है।** ## **बौद्ध धर्म से जुड़े चिन्ह** - **गर्भ - हाथी** - **जन्म- कमल** - **गृहत्याग – घोड़ा (महाभिनिष्क्रमण)** - **ज्ञान प्राप्ति – बौद्ध वृक्ष (संबोधन)** - **प्रथम उपदेश - समृद्धि - शेर** - **चक्र (धर्मचक्र प्रवर्तन)** - **निर्वाण – पचिन्ह** - **मृत्यु – स्तूप (महापरिनिर्वाण)** ## **बौद्ध तथा जैन धर्म में समानता** - **दोनों ने मोक्ष प्राप्ती तथा पुर्नजन्म में विश्वास किया।** - **दोनों ने मूर्तिपूजा तथा भगवान के अस्तित्व का विरोध किया।** - **दोनों ने कर्मकाण्ड का विरोध किए।** - **दोनों ही हिन्दु धर्म से टूटे थे।** ## **बौद्ध धर्म के विनाश के कारण** - **दोनों ही धर्म हिन्दु धर्म के कुरितियों के विरूद्ध आवाज उठाकर आगे बढ़े हुए थे। इन लोगों ने मूर्तिपूजा तथा कर्मकांड का विरोध किया। किन्तु कालांतर में इन लोगों में भी कुरितियाँ आ गई। इन लोगों ने भी मूर्तिपूजा तथा कर्मकांड प्रारम्भ कर दिये।** - **दोनों धर्मों ने हिन्दु धर्म के वर्ण (जाति) प्रथा का विरोध किया, किन्तु कालांतर में इनमें भी जाति व्यवस्था आ गई।** - **बौद्ध तथा जैन मठों के मठाधीश धार्मिक बिन्दुओं पर कम ध्यान देने लगे तथा भोग-विलास में लग गए।** - **जैन तथा बौद्ध धर्म की कमजोर स्थिति का फायदा उठाकर शंकराचार्य ने हिन्दु लोगों को जागरूक किया साथ ही गुप्त काल के राजाओं ने हिन्दु धर्म में अनेक त्योहार इत्यादि जोड़कर हिन्दुओं को एकत्रित कर दिया।** ## **बौद्ध धर्म में विनाश के कारण** - **जैन धर्म ने पुर्नजन्म का कारण आत्मा को बताया जबकि बौद्ध धर्म ने इच्छा को बताया।** - **जैन धर्म ने मोक्ष प्राप्ति के लिए संलेखना विधि अपनाया जबकि बौद्ध धर्म ने अष्टांगिक मार्ग अपनाया।** - **जैन धर्म में ज्ञानप्राप्ति को कैवल्य कहा गया जबकि बौद्ध धर्म में मोक्ष कहा गया।** ## **बौद्ध संगीति** - **कश्मीर में कनिष्क के शासनकाल में जो बौद्ध संगीति आयोजित हुई थी उसकी अध्यक्षता निम्नलिखित में से किसने की थी?** - **वसुमित्र** - **चतुर्थ बौद्ध संगीति (परिषद्) हुई थी** - **कनिष्क के शासनकाल में** - **निम्नलिखित चार स्थानों में हुई बौद्ध संगीतियों का सही कालक्रम नीचे दिए हुए कूट से ज्ञात करें-** - **1. कुंडलवन** - **2. राजगृह** - **3. वैशाली** - **4. पाटलिपुत्र** - **2, 1, 3, 4** - **द्वितीय बौद्ध समीति का आयोजन कहां हुआ था?** - **वैशाली में** ## **बौद्ध धर्म से जुड़े स्थल** - **बुद्ध के जीवन की चार महत्वपूर्ण घटनाओं और उनसे सं