Hindi Past Paper BHDG-173 2024-25 PDF
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2024
IGNOU
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This is a past paper for the IGNOU BHDG-173 course, from the 2024-2025 academic year. It includes a variety of questions on journalism, travel writing, film reviews, and societal issues. The sections require lengthy answers.
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## सत्रीय कार्य (संपूर्ण पाठ्यक्रम पर आधारित) पाठ्यक्रम कोड : बी.एच.डी.जी-173 सत्रीय कार्य कोड : बी.एच.डी.जी-173/2024-25 कुल अंक : 100 नोट : सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए। ### खंड-क निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 800 शब्दों में दीजिए : 1. एक अच्छा फीचर लिखने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना...
## सत्रीय कार्य (संपूर्ण पाठ्यक्रम पर आधारित) पाठ्यक्रम कोड : बी.एच.डी.जी-173 सत्रीय कार्य कोड : बी.एच.डी.जी-173/2024-25 कुल अंक : 100 नोट : सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए। ### खंड-क निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 800 शब्दों में दीजिए : 1. एक अच्छा फीचर लिखने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। अथवा समाचार लेखन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। 2. अपनी किसी यात्रा के आधार पर एक यात्रा-वृत्तांत लिखिए। अथवा अच्छे पुस्तक समीक्षक के गुणों पर प्रकाश डालिए । ### खंड - ख निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 400 शब्दों में दीजिए : 3. कला समीक्षा की विशेषताएं बताइए । 4. 'स्वच्छता और स्वास्थ्य' विषय पर एक फीचर की रूपरेखा तैयार कीजिए। 5. अपनी किसी मनपंसद फिल्म की समीक्षा लिखिए। 6. अपनी दादी या नानी का व्यक्तिचित्र तैयार कीजिए। ### खंड - ग निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 200 शब्दों में दीजिए : 7. समुदाय संबंधी फीचर का आशय स्पष्ट कीजिए। 8. उल्टा पिरामिड शैली से आप क्या समझते हैं / समझती हैं? 9. पत्र-पत्रिकाओं की सामाजिक भूमिका को रेखांकित कीजिए । 10. विज्ञान-फीचर क्या है? स्पष्ट कीजिए। ## समाचार पत्र और फीचर लेखन पाठ्यक्रम कोड: बी.एच.डी.जी-173 सत्रीय कार्य कोड: बी.एच.डी.जी-173/2024-25 कुल अंक: 100 अस्वीकरण नोट : ये सत्रीय कार्य में दिए गए कुछ प्रश्नों के उत्तर/समाधान के नमूने मात्र हैं। ये नमूना उत्तर/समाधान निजी शिक्षका शिक्षका लेखकों द्वारा छात्र की सहायता और मार्गदर्शन के लिए तैयार किए जाते हैं ताकि यह पता चल सके कि वह दिए गए प्रश्नों का उत्तर कैसे दे सकता है। हम इन नमूना उत्तरों की 100% सटीकता का दावा नहीं करते हैं क्योंकि ये निजी शिक्षका शिक्षक के ज्ञान और क्षमता पर आधारित हैं। सत्रीय कार्य में दिए गए प्रश्नों के उत्तर तैयार करने के संदर्भ के लिए नमूना उत्तरों को मार्गदर्शक सहायता के रूप में देखा जा सकता है। चूँकि ये समाधान और उत्तर निजी शिक्षका शिक्षक द्वारा तैयार किए जाते हैं. इसलिए त्रुटि या गलती की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। किसी भी चूक या त्रुटि के लिए बहुत खेद है, हालांकि इन नमूना उत्तरों/समाधानों को तैयार करते समय हर सावधानी बरती गई है। किसी विशेष उत्तर को तैयार करने से पहले और अप-टू-डेट और सटीक जानकारी, डेटा और समाधान के लिए कृपया अपने स्वयं के शिक्षका शिक्षक से परामर्श लें। छात्र को विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की गई आधिकारिक अध्ययन सामग्री को पढ़ना और देखना चाहिए। नोटः सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए। ### खंड-क निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 800 शब्दों में दीजिए: 1. एक अच्छा फीचर लिखने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। **एक अच्छा फीचर लिखने के लिए ध्यान देने योग्य बातें** फीचर लेखन पत्रकारिता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल जानकारी देता है, बल्कि पाठकों को आकर्षित भी करता है। एक अच्छा फीचर लेखन करने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं का ध्यान रखना आवश्यक है: * **विषय का महत्व**: एक अच्छा फीचर लेखन करने के लिए सबसे पहले विषय का चयन करना आवश्यक है। विषय ऐसा होना चाहिए जो न केवल जानकारीपूर्ण हो, बल्कि पाठकों की रुचि को भी आकर्षित करे। * **विविधता**: विभिन्न विषयों पर विचार करें, जैसे कि समाजिक मुद्दे, सांस्कृतिक परंपराएँ, वैज्ञानिक अनुसंधान, या किसी विशेष व्यक्ति की कहानी। * **अनुसंधान** * **गहन अध्ययन**: विषय को समझने के लिए गहन अनुसंधान करें। यह केवल इंटरनेट पर सर्च करने तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि संबंधित किताबें, शोध पत्र, और विशेषज्ञों के विचारों का भी अध्ययन करें। * **तथ्यात्मक सटीकता**: तथ्यों की सटीकता को सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। गलत जानकारी पाठकों का विश्वास खो सकती है। * **दृष्टिकोण और शैलियों का चयन** * **कहानी बताने का तरीका**: फीचर लेखों में कहानी सुनाने की एक अनोखी शैली होनी चाहिए। इसे व्यक्तिगत दृष्टिकोण से लिखना या किसी विशेष घटना के इर्द-गिर्द घूमना उपयुक्त हो सकता है। * **शैली का चयन**: लेख की शैली पर विचार करें। क्या आप पत्रकारिता की एक औपचारिक शैली अपनाना चाहते हैं या एक अनौपचारिक, व्यक्तिगत शैली? यह आपके दर्शकों पर निर्भर करता है। * **आकर्षक शीर्षक** * **प्रभावी शीर्षक**: शीर्षक फीचर लेख का पहला प्रभाव होता है। यह संक्षिप्त और आकर्षक होना चाहिए, जिससे पाठक तुरंत रुचि दिखाएँ। * **सटीकता**: शीर्षक को लेख के विषय से संबंधित होना चाहिए ताकि पाठक जान सकें कि क्या पढ़ने को मिलेगा। * **प्रारंभिक पैराग्राफ** * **पहली पंक्ति का महत्व**: पहले पैराग्राफ में पाठक को यह समझाना चाहिए कि लेख क्यों महत्वपूर्ण है। इसे इतना रोचक बनाना चाहिए कि पाठक आगे पढ़ने के लिए प्रेरित हो। * **स्पष्टता**: पहले पैराग्राफ में स्पष्टता होनी चाहिए कि लेख किस विषय पर केंद्रित है। * **सामग्री का आयोजन** * **संगठन**: लेख की सामग्री को स्पष्ट और सुव्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत करें। शीर्षकों, उपशीर्षकों और अनुच्छेदों का उपयोग करें ताकि पाठक को आसानी से समझ में आए। * **लहरदार प्रवाह**: सामग्री का प्रवाह इस प्रकार होना चाहिए कि पाठक एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक सहजता से पहुँच सके। * **व्यक्तिगत अनुभव और कहानियाँ** * **व्यक्तिगत स्पर्श**: लेख में व्यक्तिगत अनुभव या कहानियों को शामिल करें। यह पाठकों को जुड़ाव महसूस कराता है और लेख को जीवंत बनाता है। * **उदाहरण**: यदि आप किसी सामाजिक मुद्दे पर लिख रहे हैं, तो उसमें किसी व्यक्ति की कहानी या अनुभव को शामिल करना पाठकों को अधिक प्रभावित करेगा। * **संपादन और संशोधन** * **पहली ड्राफ्ट के बाद संपादन**: लेख लिखने के बाद, उसे संपादित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे लेख की गुणवत्ता में सुधार होता है और त्रुटियों को दूर किया जा सकता है। * **बाहरी समीक्षा**: किसी और से लेख को पढ़वाने और उनकी राय लेने से भी लेख में सुधार हो सकता है। * **नैतिकता और सच्चाई** * **पत्रकारिता की नैतिकता**: हमेशा लेखन में नैतिकता का पालन करें। किसी की छवि को धूमिल करने या झूठी जानकारी देने से बचें। * **सच्चाई का सम्मान**: लेख में हमेशा सच्चाई का सम्मान करें। यह पाठकों का विश्वास जीतने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। * **पाठक की दृष्टि** * **पाठक को समझना**: लेख लिखते समय यह समझना जरूरी है कि आपका लक्षित पाठक कौन है। उनके हितों, चिंताओं और समस्याओं को ध्यान में रखते हुए लेख को तैयार करें। * **संवाद स्थापित करना**: पाठक के साथ संवाद स्थापित करने का प्रयास करें। ऐसा लिखें कि वे लेख को पढ़ते समय खुद को शामिल महसूस करें। * **दृश्य सामग्री का उपयोग** * **तस्वीरें और ग्राफिक्स**: लेख में चित्र, ग्राफिक्स या अन्य दृश्य सामग्री का उपयोग करने से लेख की आकर्षण बढ़ता है और जानकारी को स्पष्ट मदद मिलती है। * **उदाहरण**: किसी विशेष घटना या विषय पर चर्चा करते समय, संबंधित तस्वीरें या चार्ट पाठकों को अधिक जानकारीपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान कर सकते हैं। * **सहायक संदर्भ** * **संदर्भ और स्रोत**: लेख में जिन स्रोतों का उपयोग किया गया है, उन्हें संदर्भित करना न भूलें। इससे लेख की विश्वसनीयता बढ़ती है। * **लिंक और उद्धरण**: यदि आप ऑनलाइन लेख लिख रहे हैं, तो संदर्भित सामग्री के लिए लिंक देना और आवश्यक उद्धरण देना न भूलें। * **ट्रेंड और नवीनतम जानकारी** * **समय की प्रासंगिकता**: लेख को हमेशा अद्यतित और प्रासंगिक रखें। नवीनतम जानकारी और ट्रेंड पर ध्यान दें, ताकि लेख पाठकों के लिए ताजा और जानकारीपूर्ण बने रहे। * **सोशल मीडिया की भूमिका**: सोशल मीडिया पर चल रहे चर्चाओं और ट्रेंड्स का उपयोग कर सकते हैं, जो आपके लेख को और भी प्रासंगिक बना सकते हैं। * **भावनात्मक जुड़ाव** * **भावनाओं का उपयोग**: पाठकों के दिलों को छूने के लिए लेख में भावनात्मक तत्वों का समावेश करें। यह पाठकों को विषय के प्रति और अधिक संवेदनशील बनाता है। * **व्यक्तिगत कहानियाँ**: व्यक्तिगत कहानियों और अनुभवों को शामिल करने से लेख में भावनात्मक गहराई आती है, जो पाठकों को प्रभावित करती है। * **निष्पक्षता और संतुलन** * **विभिन्न दृष्टिकोण**: लेख में विभिन्न दृष्टिकोणों को प्रस्तुत करना महत्वपूर्ण है। यह न केवल संतुलन बनाए रखता है, बल्कि पाठकों को विचार करने का मौका भी देता है। * **विरोधाभासों को समझाना**: यदि विषय में कोई विवाद या विरोधाभास है, तो उसे निष्पक्षता से प्रस्तुत करें ताकि पाठक सभी पहलुओं को समझ सकें। * **नियमितता** * **लेखन की आदत**: नियमित लेखन से न केवल कौशल में सुधार होता है, बल्कि विचारों की स्पष्टता भी बढ़ती है। नियमितता लेखन के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। * **प्रेरणा के स्रोत**: नए विचारों और प्रेरणा के लिए विभिन्न स्रोतों का उपयोग करें, जैसे किताबें, डॉक्यूमेंट्री, या अन्य लेख। * **पाठकीय प्रतिक्रिया** * **फीडबैक का महत्व**: लेख के प्रकाशित होने के बाद पाठकों से फीडबैक लेना न भूलें। यह आपको भविष्य के लेखन में सुधार करने में मदद करेगा। * **समीक्षा और चर्चा**: लेख पर चर्चा या समीक्षाओं के माध्यम से आपको यह समझने का मौका मिलेगा कि पाठक आपके लेख को कैसे देखते हैं। **निष्कर्ष** अच्छा फीचर लेखन एक चुनौतीपूर्ण लेकिन rewarding प्रक्रिया है। उपरोक्त बिंदुओं का पालन करके, आप न केवल एक प्रभावशाली लेख लिख सकते हैं, बल्कि पाठकों के दिलों में भी स्थान बना सकते हैं। निरंतर अभ्यास, शोध और पाठकों के प्रति संवेदनशीलता से आप इस कला में माहिर हो सकते हैं। लेखन एक यात्रा है, और हर नया लेख आपको ने और भी बेहतर बनाता है। 2. अपनी किसी यात्रा के आधार पर एक यात्रा-वृत्तांत लिखिए। **यात्रा-वृत्तांत: हिमालय की गोद में** हाल ही में मैंने एक अद्भुत यात्रा का अनुभव किया, जो मुझे हिमालय की ऊँचाइयों में ले गई। यह यात्रा मेरे लिए एक नई दुनिया के दरवाज़े खोलने वाली साबित हुई। मेरी यात्रा का उद्देश्य था शांतिपूर्ण प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करना और हिमालय की संस्कृति को नजदीक से देखना। **यात्रा की तैयारी** मेरे मन में हिमालय की छवि पहले से ही थी। वहाँ की बर्फ से ढकी चोटियाँ, हरे-भरे वन, और शुद्ध वायु ने मुझे आकर्षित किया। मैंने अपनी यात्रा की योजना बनाई और दोस्तों के साथ मिलकर हम एक सप्ताह के लिए मनाली जाने का निश्चय किया। यात्रा के लिए जरूरी सामान जैसे कि हल्के कपड़े, ट्रैकिंग जूते, और कैमरा तैयार किए। अंततः, हम सब तैयार होकर दिल्ली से मनाली के लिए निकल पड़े। **मनाली का सफर** दिल्ली से मनाली की यात्रा बस के माध्यम से शुरू हुई। रास्ते में सुंदर पहाड़, बहते नदियाँ, और हरियाली देखकर मन आनंदित हो गया। जब हम मनाली पहुंचे, तो वहाँ की ठंडी हवा ने हमें स्वागतम कहा। मनाली की बर्फीली पहाड़ियों के बीच एक छोटे से होटल में ठहरे। अगले दिन का कार्यक्रम तय करने के बाद, हम सभी ने रात का खाना खाया और अगली सुबह का इंतज़ार किया। **स्थानीय संस्कृति का अनुभव** सुबह उठकर हमने मनाली के आसपास के क्षेत्र की यात्रा करने का निश्चय किया। पहले दिन हम सोलांग वैली गए। वहाँ की हरियाली और बर्फ़ ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया। हमने वहाँ कई साहसिक गतिविधियाँ कीं, जैसे कि पैराग्लाइडिंग और स्कीइंग। स्थानीय लोगों से बातचीत करके हमें उनके रीति-रिवाज़ों और जीवनशैली के बारे में जानने का मौका मिला । उन्होंने हमें बताया कि यहाँ हर साल कई पर्यटक आते हैं और यह स्थान कितना महत्वपूर्ण है उनके लिए। **यात्रा का मुख्य आकर्षण: मनाली से रोहतांग पास** यात्रा का सबसे रोमांचक हिस्सा था रोहतांग पास की यात्रा। सुबह जल्दी उठकर हम एक टैक्सी लेकर रोहतांग की ओर बढ़े। रास्ते में बर्फ की चादर और पहाड़ियों का दृश्य अद्भुत था। जब हम पास पहुंचे, तो बर्फ से ढकी चोटी हमारे सामने थी। वहाँ की खूबसूरती ने मेरे दिल को छू लिया। मैंने वहाँ कई तस्वीरें खींचीं और कुछ समय बर्फ में खेलकर बिताया । **आध्यात्मिक अनुभव** हमारी यात्रा का एक और महत्वपूर्ण पहलू था मनाली के मंदिरों का दौरा। हमने हिडिम्बादेवी मंदिर और गोल्डन देवी मंदिर देखा। वहाँ का शांत वातावरण और प्राचीनता ने मुझे भीतर से प्रभावित किया। मैंने महसूस किया कि इन मंदिरों में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत समन्वय है। स्थानीय लोग अपनी आस्था के साथ पूजा अर्चना कर रहे थे, जो हमें उनके विश्वास और परंपराओं के करीब लाया। **यात्रा का समापन** एक सप्ताह की यात्रा समाप्त होने को थी। हमने एक रात पहले एक साथ मिलकर यात्रा के अनुभवों पर चर्चा की। हमने एक-दूसरे से अपने विचार साझा किए और यह तय किया कि हम फिर से ऐसी यात्रा करेंगे। मनाली ने हमें न केवल एक नई दुनिया से परिचित कराया, बल्कि हमें एक नई ऊर्जा भी दी। जब हम लौटे, तो मन में एक अद्भुत संतोष था । इस यात्रा ने मुझे न केवल प्रकृति के करीब लाया, बल्कि मेरी आत्मा को भी शांति दी। हिमालय की इस यात्रा ने मुझे सिखाया कि जीवन में छोटे-छोटे पलों का आनंद लेना चाहिए और प्रकृति के साथ एक गहरा संबंध बनाना चाहिए। **यात्रा का प्रभाव** हिमालय की इस यात्रा ने न केवल मुझे प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराया, बल्कि आत्म-विश्लेषण का भी एक अवसर प्रदान किया। वहाँ की शांति और सरल जीवनशैली ने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि हम कितनी व्यस्तता और भागदौड़ में जीते हैं। हिमालय में बिताए समय ने मुझे सिखाया कि जीवन की सच्ची खुशी छोटे-छोटे पलों में होती है। **दोस्तों के साथ बिताए पल** इस यात्रा में मेरे दोस्तों का साथ होना और भी खास था। हम सभी ने मिलकर हर पल का आनंद लिया। सोलांग वैली में बर्फ के गोले बनाना, रोहतांग पास पर एक-दूसरे के साथ मस्ती करना, और मंदिरों में एक साथ पूजा करना ये सभी अनुभव हमारी दोस्ती को और मजबूत बनाने वाले थे। हम सभी ने मिलकर न केवल यात्रा का आनंद लिया, बल्कि एक-दूसरे के साथ अपने रिश्तों को भी मजबूत किया। **लौटने के बाद की जिंदगी** जब हम वापस घर लौटे, तो मन में कई यादें थीं। मैं अब हर रोज़ की भागदौड़ में एक नई ऊर्जा महसूस कर रहा था। मैंने अपनी दिनचर्या में थोड़े-थोड़े बदलाव किए, जैसे सुबह जल्दी उठना, थोड़ा योग करना, और प्रकृति के करीब रहने का प्रयास करना। मेरी यात्रा ने मुझे सिखाया कि जीवन में संतुलन कितना आवश्यक है। **यात्रा की सिख** इस यात्रा का एक और महत्वपूर्ण सबक था कि हमें अपने जीवन में समय निकालकर यात्रा करनी चाहिए। नए स्थानों का अनुभव, नई संस्कृतियों से परिचय, और नई चीजें सीखना हमारे व्यक्तिगत विकास में बहुत मदद करता है । मैंने समझा कि यात्रा सिर्फ एक भौतिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह आत्मिक और मानसिक विकास का एक माध्यम है। **समापान** हिमालय की यात्रा मेरे जीवन का एक अनमोल हिस्सा बन गई है। यह यात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं थी, बल्कि एक अनुभव था जिसने मुझे नई दृष्टि दी। अब मैं सोचता हूँ कि अगले अवसर पर मैं और भी नई जगहों की खोज में निकलूँगा। हिमालय के इस अद्भुत सफर ने मुझे सिखाया है कि असली यात्रा अपने भीतर की यात्रा होती है, और प्रकृति के साथ जुड़े रहना ही जीवन की सच्ची सार्थकता है। ### खंड - ख निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 400 शब्दों में दीजिए : 3. कला समीक्षा की विशेषताएं बताइए । **कला समीक्षा की विशेषताएँ** कला समीक्षा (Art Criticism) एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य कला के विभिन्न रूपों, जैसे चित्रकला, संगीत, नृत्य, थिएटर और साहित्य की गहरी समझ और विश्लेषण प्रदान करना है। यह केवल कला के बारे में राय देने का एक माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक संरचित और सूचनात्मक दृष्टिकोण है जो कला के सामाजिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों को समझने में मदद करता है। यहाँ हम कला समीक्षा की कुछ प्रमुख विशेषताओं का अवलोकन करेंगे: * **विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण** कला समीक्षा में विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण का होना अत्यंत आवश्यक है। समीक्षक को कला के काम का गहराई से अध्ययन करना चाहिए, जिसमें उसके तकनीकी पहलुओं, सामग्री, रंगों, रचनात्मकता और संरचना का विश्लेषण शामिल है। समीक्षक को यह देखना चाहिए कि कलाकार ने किस प्रकार की तकनीक और शैली का उपयोग किया है और इसका समग्र प्रभाव क्या है। * **संदर्भ का महत्व** कला समीक्षा में कला के काम को उसके संदर्भ में समझना बहुत महत्वपूर्ण है। यह संदर्भ ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक हो सकता है। समीक्षक को यह समझना चाहिए कि कलाकृति किस समय और स्थान पर बनाई गई थी और इसे किस प्रकार की सामाजिक परिस्थितियों ने प्रभावित किया। यह संदर्भ कला की गहरी समझ को संभव बनाता है। * **व्यक्तिगत और सामूहिक प्रतिक्रिया** कला समीक्षा में व्यक्तिगत और सामूहिक प्रतिक्रियाएँ दोनों का समावेश होना चाहिए। समीक्षक को अपनी व्यक्तिगत भावनाओं और विचारों को प्रस्तुत करना चाहिए, लेकिन साथ ही साथ वह अन्य दर्शकों और कला प्रेमियों की राय को भी ध्यान में रखे। इससे समीक्षा का दृष्टिकोण व्यापक और समृद्ध बनता है। * **तकनीकी और रचनात्मक मूल्यांकन** कला समीक्षा में तकनीकी और रचनात्मक मूल्यांकन भी शामिल होना चाहिए। समीक्षक को यह बताना चाहिए कि कलाकृति की तकनीकी विशेषताएँ क्या हैं और वे किस प्रकार से उसके रचनात्मक प्रभाव को बढ़ाती हैं। जैसे, एक चित्र में रंगों का चुनाव, आकृतियों का गठन और रचना की संरचना पर ध्यान देना आवश्यक है। * **कलात्मक उद्देश्य और संदेश** कला समीक्षा में कलाकृति के उद्देश्य और संदेश को समझना भी महत्वपूर्ण है। समीक्षक को यह विश्लेषण करना चाहिए कि कलाकार ने किस उद्देश्य से कलाकृति बनाई है और यह किस प्रकार के विचार या भावनाएँ प्रस्तुत करती है। इससे पाठक को कलाकृति के पीछे की सोच और भावनाओं को समझने में मदद मिलती है। * **समालोचनात्मक दृष्टिकोण** कला समीक्षा में समालोचनात्मक दृष्टिकोण आवश्यक है। समीक्षक को न केवल कला के सकारात्मक पहलुओं को उजागर करना चाहिए, बल्कि उसके कमियों और विवादास्पद मुद्दों पर भी चर्चा करनी चाहिए। यह एक संतुलित और निष्पक्ष समीक्षा के लिए आवश्यक है। * **लिखित और मौखिक अभिव्यक्ति** कला समीक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू उसकी अभिव्यक्ति है। समीक्षक को अपनी बातों को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। लिखित रूप में, समीक्षक को शब्दों का चयन सावधानी से करना चाहिए ताकि विचारों को स्पष्टता से व्यक्त किया जा सके। मौखिक समीक्षा में भी प्रभावी संप्रेषण महत्वपूर्ण है, जैसे कि कला प्रदर्शनियों या संगोष्ठियों में। * **समाज और संस्कृति पर प्रभाव** कला समीक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि समाज और संस्कृति पर कला के प्रभाव को समझने में मदद करती है। समीक्षक को यह विचार करना चाहिए कि कलाकृति किस प्रकार से समाज के विचारों और मूल्यों को प्रभावित करती है। यह सामाजिक परिवर्तन, राजनीतिक मुद्दे या सांस्कृतिक धारणाओं पर भी आधारित हो सकता है। * **पुनरावलोकन और विकास** कला समीक्षा में पुनरावलोकन और विकास की प्रक्रिया भी महत्वपूर्ण होती है। समीक्षक को कला के विकास को समझने और उसे नए संदर्भों में देखने का प्रयास करना चाहिए। यह एक जीवंत प्रक्रिया है, जो कला के निरंतर परिवर्तन और विकास को दर्शाती है। **निष्कर्ष** कला समीक्षा केवल एक कला के काम की समीक्षा करने का एक माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक गहन प्रक्रिया है जो कला, समाज और संस्कृति के बीच जटिल संबंधों को समझने में मदद करती है। इसके माध्यम से, समीक्षक न केवल कला के तत्वों का विश्लेषण करता है, बल्कि वह दर्शकों को एक नई दृष्टि भी प्रदान करता है। एक सफल कला समीक्षा वह होती है जो गहराई, संदर्भ, और संवेदनशीलता के साथ की जाती है, जिससे पाठक या दर्शक कला को एक नए नजरिए से देख सके। 4. 'स्वच्छता और स्वास्थ्य' विषय पर एक फीचर की रूपरेखा तैयार कीजिए। **स्वच्छता और स्वास्थ्य: एक महत्वपूर्ण संबंध** स्वच्छता और स्वास्थ्य का संबंध अत्यंत गहरा और अभिन्न है। स्वस्थ जीवन का आधार स्वच्छता है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। स्वच्छता को अपनाकर हम अनेक बीमारियों से बच सकते हैं और एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं। * **स्वच्छता का महत्त्व** स्वच्छता का महत्त्व प्राचीन काल से ही मान्यता प्राप्त है। भारतीय संस्कृति में स्वच्छता को जीवन का अभिन्न हिस्सा माना गया है। स्वच्छता के बिना स्वस्थ जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। स्वच्छता का पालन न करने से अनेक संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे कि डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, हैजा, आदि। इसके अलावा, अस्वच्छता से मानसिक तनाव और सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। * **व्यक्तिगत स्वच्छता** व्यक्तिगत स्वच्छता के अंतर्गत हम अपनी शारीरिक स्वच्छता की बात करते हैं। इसमें दैनिक स्नान, दांतों की सफाई, नाखूनों की कटाई, हाथों की सफाई आदि शामिल हैं। हाथ धोने की आदत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा कम हो जाता है। खाने से पहले और बाद में, शौचालय का उपयोग करने के बाद, और किसी बीमार व्यक्ति की देखभाल करने के बाद हाथ धोना अत्यंत आवश्यक है। * **घरेलू स्वच्छता** घर की स्वच्छता का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। साफ-सुथरा घर न केवल हमें बीमारियों से बचाता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है। घर की सफाई के अंतर्गत फर्श की सफाई, रसोईघर की स्वच्छता, बाथरूम की सफाई आदि महत्वपूर्ण हैं। खाने-पीने की वस्तुओं को ढक कर रखना, बर्तनों की नियमित सफाई, और घर में कचरे का सही निपटान करना भी स्वच्छता के महत्वपूर्ण अंग हैं। * **सामुदायिक स्वच्छता** सामुदायिक स्वच्छता का मतलब है, हमारे आस-पास के क्षेत्र की सफाई। इसमें सड़कों, गलियों, सार्वजनिक स्थानों की सफाई शामिल है। सामुदायिक स्वच्छता के अभाव में न केवल बीमारियां फैलती हैं, बल्कि सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। स्वच्छ भारत अभियान जैसे कार्यक्रम सामुदायिक स्वच्छता को बढ़ावा देते हैं। * **जल की स्वच्छता** स्वच्छ जल का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। अशुद्ध जल से अनेक गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, जैसे हैजा, पीलिया, डायरिया, आदि। हमें हमेशा उबला हुआ या शुद्ध पानी पीना चाहिए। जल स्रोतों की सफाई और पानी के सही निपटान का ध्यान रखना चाहिए। * **वायु की स्वच्छता** स्वच्छ वायु का हमारे स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण से श्वसन संबंधी समस्याएं, एलर्जी, और अन्य गंभीर रोग हो सकते हैं। वायु की स्वच्छता बनाए रखने के लिए हमें वृक्षारोपण, धूम्रपान का त्याग, और प्रदूषण फैलाने वाले साधनों का कम उपयोग करना चाहिए। * **स्वच्छता और मानसिक स्वास्थ्य** स्वच्छता का मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक साफ और व्यवस्थित वातावरण में रहने से मानसिक तनाव कम होता है और मन खुश रहता है। इसके अलावा, स्वच्छता का पालन करने से आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। * **स्वच्छता के लिए सरकारी प्रयास** सरकार द्वारा स्वच्छता के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। स्वच्छ भारत अभियान इसका एक प्रमुख उदाहरण है। इस अभियान के तहत सार्वजनिक स्थानों की सफाई, शौचालयों का निर्माण, और कचरे के निपटान के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। * **सामुदायिक भागीदारी** स्वच्छता केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। सामुदायिक भागीदारी से ही हम एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं। सामूहिक सफाई अभियान, स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाना, और स्वच्छता के नियमों का पालन करना हमारे प्रयासों को सफल बना सकते हैं। **निष्कर्ष** स्वच्छता और स्वास्थ्य का आपसी संबंध अटूट है। स्वच्छता का पालन करके हम न केवल अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। हमें स्वच्छता को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए और दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करना चाहिए। एक स्वच्छ और स्वस्थ समाज ही उन्नति और विकास की दिशा में आगे बढ़ सकता है। 5. अपनी किसी मनपंसद फिल्म की समीक्षा लिखिए। **फिल्म समीक्षाः "प्यार का पंचनामा"** "प्यार का पंचनामा" 2011 में रिलीज़ हुई एक हिंदी रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है, जिसे लव रंजन ने लिखा और निर्देशित किया। यह फिल्म युवा पीढ़ी के प्यार, रिश्तों और जटिलताओं को एक नए नजरिए से प्रस्तुत करती है। फिल्म के मुख्य कलाकारों में कार्तिक आर्यन, नुसरत भरूचा, और ऋत्विक भौमिक शामिल हैं। * **कहानी** फिल्म की कहानी तीन दोस्तों - चतुर्वेदी (कार्तिक आर्यन), टेक्स (ऋत्विक भौमिक), और विजय (कुशाल टंडन) – के इर्द-गिर्द घूमती है। ये तीनों दोस्त प्यार में पड़ने के बाद रिश्तों की उलझनों का सामना करते हैं। फिल्म में यह दिखाया गया है कि कैसे प्यार कभी-कभी दोस्ती को भी चुनौती देता है और कैसे रिश्तों में छोटे-छोटे मुद्दे बड़े बन जाते हैं। चतुर्वेदी की प्रेमिका नुसरत (नुसरत भरूचा) के साथ उसकी जटिलताओं को खूबसूरती से दर्शाया गया है। फिल्म में हर एक पात्र की मनोविज्ञान और उनके बीच के संवाद मजेदार और प्रभावी हैं। चतुर्वेदी का किरदार विशेष रूप से दर्शकों को हंसाने के लिए बहुत प्रभावी है। * **विश्लेषण** "प्यार का पंचनामा" ने दर्शकों को बहुत हंसाया और साथ ही यह रिश्तों की वास्तविकताओं को भी उजागर किया। फिल्म में युवाओं के जीवन की वास्तविकता, उनके सपने और प्रेम में होने वाली समस्याओं को दिखाया गया है। फिल्म के संवाद बेहद चतुर और मजेदार हैं, जो इसे एक अनूठा अनुभव बनाते हैं। फिल्म का पहला भाग हल्का-फुल्का और मजेदार है, जबकि दूसरे भाग में गहरी भावनाएं और समस्याएं सामने आती हैं। इस संतुलन ने फिल्म को एक अलग पहचान दी है। * **संवाद और कॉमेडी