संस्कृतिकरण का अर्थ और परिभाषा PDF

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संस्कृतिकरण समाजशास्त्र भारतीय समाज सामाजिक विकास

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यह दस्तावेज़ संस्कृतिकरण (Sanskritikaran) पर चर्चा करता है। संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है कि कैसे एक संस्कृति या समाज का वर्ग दूसरी, अधिक प्रभावशाली संस्कृति की विशेषताओं को अपनाता है। यह प्रक्रिया विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक स्थितियों में होती है।

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संस्कृतिकरण का अर्थ और परिभाषा संस्कृतिकरण (Sanskritikaran) का अर्थ है एक संस्कृति या समाज के एक वर्ग द्वारा दस ू री अधिक प्रभावशाली संस्कृति की विशेषताओं को अपनाना। यह प्रक्रिया विशेष रूप से तब होती है जब कोई समाज या समद ु ाय अधिक विकसित और प्रभावशाली संस्कृति के संपर्क में आता है और उसकी जीवनशैल...

संस्कृतिकरण का अर्थ और परिभाषा संस्कृतिकरण (Sanskritikaran) का अर्थ है एक संस्कृति या समाज के एक वर्ग द्वारा दस ू री अधिक प्रभावशाली संस्कृति की विशेषताओं को अपनाना। यह प्रक्रिया विशेष रूप से तब होती है जब कोई समाज या समद ु ाय अधिक विकसित और प्रभावशाली संस्कृति के संपर्क में आता है और उसकी जीवनशैली, मान्यताओं, रीति-रिवाजों, भाषा और व्यवहार को अपनाने की कोशिश करता है । इस प्रक्रिया को भारतीय संदर्भ में समाजशास्त्री एम. एन. श्रीनिवास ने प्रमख ु रूप से परिभाषित किया। उनके अनसु ार: > "संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी निम्न जाति या समाज का कोई वर्ग उच्च जाति या समाज की परं पराओं, रीति-रिवाजों, जीवनशैली और आदर्शों को अपनाता है ।" संस्कृतिकरण की विशेषताएँ 1. ऊँची सामाजिक स्थिति की प्राप्ति की इच्छा: संस्कृतिकरण का प्रमख ु उद्दे श्य उस समाज या समद ु ाय की सामाजिक स्थिति को सध ु ारना है । यह आमतौर पर निचली जातियों या पिछड़े समाजों द्वारा उच्च जातियों की नकल करके किया जाता है । 2. धार्मिक और सांस्कृतिक तत्वों का ग्रहण: इस प्रक्रिया में उच्च जातियों के धार्मिक कर्मकांड, त्यौहार, भोजन-पद्धति और भाषा को अपनाया जाता है । 3. परिवर्तनशीलता: संस्कृतिकरण एक सतत प्रक्रिया है , जो समय के साथ बदलती रहती है और विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों में विविध रूप लेती है । 4. परं परा और आधनि ु कता का मिश्रण: यह प्रक्रिया परं परागत मान्यताओं को छोड़ने और आधनि ु कता के प्रति झक ु ाव दिखाने के रूप में भी प्रकट होती है । 5. नवीनता का समावेश: संस्कृतिकरण के अंतर्गत लोग अपने रीति-रिवाजों में नई परं पराओं और नियमों को भी जोड़ते हैं। 6. सामाजिक तनाव का कारण: कभी-कभी यह प्रक्रिया समाज में तनाव या संघर्ष को जन्म दे सकती है , विशेषकर जब एक संस्कृति दस ू री पर हावी हो जाती है । 7. व्यक्तिगत और सामहि ू क प्रक्रिया: यह प्रक्रिया व्यक्तिगत स्तर पर भी होती है और सामहि ू क रूप से परू े समद ु ाय या जाति में भी दे खी जाती है । उदाहरण भारत में निचली जातियों द्वारा ब्राह्मणों की जीवनशैली, पज ू ा-पद्धतियों और परं पराओं को अपनाना। पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में भारतीय यव ु ाओं का रहन-सहन, पहनावा और भाषा बदलना। संस्कृतिकरण का महत्व इस बात में निहित है कि यह समाज के विभिन्न वर्गों को एक-दस ू रे के करीब लाने और उनके सामाजिक विकास को प्रेरित करने का माध्यम बन सकता है । हालांकि, इसके कारण सांस्कृतिक पहचान खोने का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है ।

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