दैनिक क्लास नोट्स: अर्थव्यवस्था PDF
Document Details
Uploaded by EarnestLitotes
PW Vidyapeeth
Tags
Summary
यह दैनिक क्लास नोट्स अर्थव्यवस्था विषय पर केंद्रित है, जिसमें नव पूंजीवाद और नव उदारवाद पर जानकारी दी गई है। यह नवीनतम आर्थिक विचारधाराओं पर विस्तृत चर्चा प्रदान करता है।
Full Transcript
1 दै ननक क्लास नोट् स अर्थव्यवस्र्ा Lecture – 03 नव पूंजीवाद और नव उदारवाद 2 नव पूंजीवा...
1 दै ननक क्लास नोट् स अर्थव्यवस्र्ा Lecture – 03 नव पूंजीवाद और नव उदारवाद 2 नव पूंजीवाद और नव उदारवाद नव उदारवाद (New liberalism): ❖ पूंजीवादी ववचारधारा का पुनरुत्थान नव पूँजीवाद या नव उदारवाद कहलाता है , क्यूंवक समाजवाद के उत्थान से पूँजीवाद कय अवधक चुनौती वमली, ले वकन 1990 के दशक में सयववयत सूंघ के ववघटन से समाजवाद का पतन हय गया, वजसके पश्चात ववश्व के अवधकाूँ श राष्ट्यूं में पूँजीवाद का वचचस्व स्थावपत हय गया। ❖ 20वीूं शताब्ीूं के अूंत में उदारवाद की पुनः वापसी कय नवउदारवाद कहते हैं । नोट: ववचार की कयई भी धारा जब वगरावट के पश्चात् पुनः उठती है , तय उसके आगे ‘नव’ लगा वदया जाता है । जैसे 1990 के दशक में पूँजीवाद या उदारवाद की पुनवाच पसी कय ‘नव उदारवाद’ या ‘नव पूँजीवाद’ कहा गया। भारत में आनथिक सुधार: ❖ 1991 के बाद के आवथचक सुधार अवधकाशतः नव उदारवाद के आस-पास केन्द्रित हैं । ❖ भारत में सरकारी कूंपवनययूं का वनजीकरण वकया गया। ❖ ववदे शी वनवेशकयूं कय भारतीय बाजार में आसानी से प्रवेश वदया जा रहा है । ❖ वनगम कर या कॉपोरे ट टै क्स कय कम वकया गया। ❖ व्यापार सुगमता या ईज ऑफ़ डइूं ग निज़नेस पर बल वदया जा रहा है । उपयुचक्त सभी प्रयास नव उदारवाद कय बढ़ावा दे ने में सहायक हैं । कल् याणकारी अथिव्यवस्था: ❖ कल् याणकारी अथचव्यवस्था पूँजीवाद तथा समाजवाद में कल् याणकारी तत्यूं का समावेश है । ❖ पूँजीवाद अथचव्यवस्था धन केन्द्रित अथचव्यवस्था थी, ले वकन इसमें बच्यूं से काम करवाना, कायच की अमानवीय पररन्द्रस्थवतयाूं , मवहलाओूं का शयषण तथा असमानता जैसे कुछ नकारात्मक पहल थें। ❖ पूँजीवाद की असमानता कय दर करने हे तु समाजवाद का वसद्ाूं त प्रचवलत हुआ, ले वकन इसमें “एकल दलीय व्यवस्था” के कारण चुवनन्दा लयगयूं कय ही शासन में स्थान वमला, वजसके कारण श्रवमकयूं की समानता तथा उत्थान एक स्वप्न मात्र बनकर रह गया। ❖ ववश्व के अथचशान्द्रिययूं से पूँजीवाद और समाजवाद का ववरयध करते हुए नारा वदया वक “यनद कोई अथिव्यवस्था सिकी आूँ ख के आूं स न पोछ सके, तो वह नटकाऊ नही ूं हो सकती है ”। इसीवलए दु वनया में कल् याणकारी अथचव्यवस्था की माूं ग उठने लगी, वतचमान में अवधकाूं शतः दे श कल् याणकारी अथचव्यवस्था के मागच पर चल रहे हैं , भारत में कल् याणकारी अथचव्यवस्था के कुछ उदाहरण वनम्न प्रकार है : ❖ प्रधानमूंत्री आवास ययजना ❖ राष्ट्ीय खाद्य सुरक्षा अवधवनयम-2013 ❖ जन धन आधार ययजना ❖ आयुष्मान ययजना ❖ गरीबयूं कय स्वास्थ्य बीमा ❖ ववत्तीय समावेशन तथा सामावजक समावेशन ❖ वशक्षा ववकास तथा कौशल ववकास ❖ मध्यान भयजन ययजना 3 नमनित अथिव्यवस्था या नेहरूवादी समाजवाद: ❖ पूंजीवाद तथा समाजवाद की ववशेषताओूं का वमवश्रत स्वरुप वमवश्रत अथचव्यवस्था कहलाती है । ❖ नेहरूवादी समाजवाद: समाजवाद में नेहरू के ववचारयूं का समावेश नेहरूवादी समाजवाद कहलाता है । कारण: ❖ नेहरू सयववयत रूस के समाजवादी मॉडल से अवधक प्रभाववत थे , क्यूंवक समाजवाद तीव्र ववकास पर आधाररत था। ❖ यह कल् याणकारी राज्य तथा समानता की अवधारणा कय साकार करता है । ❖ भारतीय स्वतूंत्रता के समय भारत में वनजी क्षेत्र आवथचक रूप से अवधक सूंपन्न नहीूं था। भारतीय स्वतूंत्रता के समय ववश्व में अथचव्यवस्था के दय मॉडल थे, जयवक पूँजीवाद तथा समाजवाद के रूप में जाने जाते हैं, भारतीय जननेताओूं ने अपने दे श की आवश्यकताओूं के अनुसार वमवश्रत स्वरुप कय अपनाया था, जैसे: समाजवाद समानता की अवधारणा पर आधाररत था, ले वकन इसमें वनजी क्षेत्र का कयई स्थान नहीूं था साथ ही यहाूँ पणच लयकतूंत्र का अभाव था। जबवक पूँजीवाद में पणच लयकतूंत्र तथा वनजी क्षेत्र कय वरीयता प्रदान की गई थी, ले वकन इनमें अहस्तक्षेप के कारण असमानता अवधक थी। उपयुचक्त दयनयूं ववचारधाराओूं की ववशेषताओूं के माध्यम से भारत ने समाजवाद की समानता, सरकारी उद्ययग जबवक पूँजीवाद से वनजी क्षेत्र की भवमका तथा पणच लयकतूंत्र कय अपनाया। नमनित अथिव्यवस्था की प्रमुख नवशेषताएूं : ❖ बड़े उद्ययगयूं की स्थापना सरकार द्वारा की जाएगी। ❖ अवसूंरचनात्मक ववकास सरकार द्वारा वकया जाएगा। ❖ सक्ष्म तथा मध्यम उद्ययगयूं पर अवधकार वनजी क्षेत्र का हयगा। ❖ समानता पर आधाररत समाज का वनमाच ण करने पर बल वदया जाएगा। ❖ पणच लयकतूंत्र का ववकास वकया जाएगा। गाूंधीवादी अथिव्यवस्था: ❖ गाूं धी के आवथचक ववचारयूं के सूंकलन कय गाूं धीवादी अथचव्यवस्था कहा जाता है , गाूं धी पर समाजवाद, टॉलस्टॉय तथा रस्किन के नसद्ाूंत का अवधक प्रभाव था। ❖ गाूं धी के अनुसार अथचव्यवस्था का मल उद्दे श्य रयजगार का ववकास करना था, उनके अनुसार भारत में श्रम की प्रचुरता है , इसीवलए भारत में रयजगार का ववकास वकया जाना चावहए। मल तत्व: नवकेंद्रीकरण: गाूं धी के अनुसार स्थानीय आवश्यकताओूं के अनुसार सक्ष्म उद्ययगयूं का ववकास वकया जाना चावहए, तावक स्थानीय जनसूंख्या कय रयजगार प्रदान कर सृजनशील अथचव्यवस्था कय प्रयत्साहन वदया जा सके। कुटीर उद्योग: कुटीर उद्ययगयूं पर बल वदया जाना चावहए, क्यूंवक दे श में रयजगार की प्रचुरता है । मानव िम की गररमा: गाूं धी ने समाज के श्रम के वतरस्कार की अवधारणा की आलयचना करते हुए ‘अन्नदायी िम की अवधारणा’ कय प्रयत्साहन वदया। वजसके अनुसार प्रत्येक व्यन्द्रक्त कय अपनी खाद्यान्न जरूरतयूं कय परा करने के बराबर स्वयूं श्रम करना चावहए, क्यूंवक एक व्यन्द्रक्त का अवधक उपभयग समाज के अन्य लयगयूं हे तु अभाव का कारण बन सकता है । इच्छा का न्यनीकरण: “पृथ्वी पर प्रत्येक व्यस्कि की आवश्यकताओूं को पणि करने हे तु पयािप्त सूंसाधन है , ले नकन नकसी एक व्यस्कि के लालच को परा करने हे तु कुछ नही ूं”। 4 न्यानसता या टर स्टीनसप का नसद्ाूंत: इस वसद्ाूं त के अनुसार लयगयूं कय अपनी क्षमताओूं के अनुसार धन अजचन का अवधकार है , ले वकन उन्हें अपने उद्ययगयूं तथा स्वयूं के व्यय के पश्चात बचे लाभ कय गरीबयूं के उत्थान में लगाया जाना चावहए, ले वकन यह वसद्ाूं त समाज के वलए व्यवहाररक नहीूं था क्यूंवक पूंजीपवत वगच लाभ के वलए कायच करता है , साथ ही गरीबयूं में कायच के प्रवत आलस्य की मानवसकता का जन्म हय सकता है और सूंघषच के अभाव में व्यन्द्रक्त सदै व वूंवचत ही रहता है । हररत अथिव्यवस्था या ग्रीन इकॉनमी: ❖ आवथचक ववकास की अवववेकपणच गवत ने पयाच वरणीय अवनयन कय बढ़ावा वदया है , वजसे पयाच वरणीय समस्याएूँ , जलवायु पररवतचन तथा स्वास्थ्य सूंबूंधी अनेक समस्याएूँ उत्पन्न हयने लगीूं, वजससे ववकास असतत या अस्थायी हय गया। ❖ प्राकृवतक सूंसाधनयूं का क्षरण हुआ है वजसके प्रकृवत की उत्पादकता कम हुई है । ❖ पयाच वरण के साथ ववकास के सूंचालन हे तु हररत अथचव्यवस्था की अवधारणा का ववकास वकया गया, जयवक अवधक वटकाऊ है । नवकास के कुछ नकारात्मक पक्ष: ❖ हररत क्ाूंनत: भवम अवनयन, भ-जल अपक्षय, मृदा अपरदन, वन न्यनीकरण, वैन्द्रश्वक तापमान में वृन्द्रद्। ❖ वषच 2019 में UK की सरकार ने कैन्द्रिज यवनववसचटी के एक अथचशािी ‘पाथि दास गुप्ता’ कय जैव ववववधता के अथचशाि पर वैन्द्रश्वक समीक्षा की आपवतच हे तु अवधकृत वकया गया, इन्हयने अपनी ररपयटच “द इकोनॉनमक्स ऑफ़ द िायोडाइवनसिटी: द दासगुप्ता ररव्यु 2021” प्रकावशत की, वजसमें प्रकावशत वकया गया वक: ❖ ववकास में “प्राकृनतक पूंजी” का भी ध्यान वदया जाना चावहए, अथाच त आवथचक ववकास में लाभ के साथ-साथ जल प्रदषण, वायु प्रदषण तथा भवम अवनयन का मल् य भी शावमल वकया जाना चावहए। ❖ 1992 से 2014 के मध्य वनवमचत वस्तुओूं तथा सेवाओूं का प्रवत व्यन्द्रक्त दय-गुना उत्पादन हय गया है । ❖ 1992 से 2014 के मध्य मानव पूंजी जैसे ज्ञान, स्वास्थ्य तथा कौशल ववकास में प्रवत व्यन्द्रक्त 17% वृन्द्रद् हुई है , वजससे प्राकृवतक पूंजी जैसे जूंगल, झील आवद प्रवत व्यन्द्रक्त 40% तक घट गई है । वनष्कषच के रूप में कहा गया है , “वैन्द्रश्वक अथचव्यवस्था, प्रकृवत पर वनभचर तथा उसमें अन्त:वनवहत है ”। इसीवलए आवथचक ववकास करते समय प्राकृवतक सूंरक्षण का भी ध्यान रखा जाना चावहए।